इमरजेंसी के बाद ही शुरू हो गए थे प्रयास, अब मिली उज्जैन-झालावाड़ रेल लाइन
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झालावाड। उज्जैन-झालावाड रेल लाइन jhalawar_ujjain_railway track का सपना आपातकाल के दौरान 1975 में उज्जैन-आगर नेरोगेज रेलवे लाइन narro gauge को उखाड़ने के बाद ही राजस्थान और मध्यप्रदेश के लोग देखने लगे थे जो अब जाकर साकार होता दिखाई दे रहा है। इस बीच दोनों प्रदेशों के कई नेताओं ने अपने प्रयास किए लेकिन 48 साल के लंबे कालखंड में जनता इन प्रयासों को भी इतिहास बन चुकी नैरोगेज लाइन की तरह भूलने लगी थी। लेकिन लोकसभा चुनाव से ऐन पहले केन्द्र सरकार ने इस रेल लाइन को मंजूरी देकर मध्य प्रदेश और राजस्थान की जनता की धुंधलाती उम्मीद को पंख दे दिए हैं। केंद्रीय रेल मंत्रालय ने उज्जैन को झालावाड़ तक रेल मार्ग से जोड़ने jhalawar_ujjain_railway track की डीपीआर बनाने के लिए चार करोड़ 75 लाख रुपये स्वीकृत किए है।
वर्ष 1975 से पहले धार्मिक नगरी उज्जैन से आगर के बीच नेरो गेज narro gauge रेल चलती थी। जिसे धीरे-धीरे बंद कर दिया गया। वर्ष 1975 में आपातकाल के दौरान इस लाइन को ही उखाड़ दिया गया। जिसके बाद जनमानस में इसे खोने की कसक समय समय पर उठती रही। तब से लेकर आज तक कई जनप्रतिनिधि इसके लिए प्रयासरत रहे। 48 साल के लंबे कालखंड के दौरान नेताओं की करीब तीन पीढियां ने जो प्रयास किए वे सारे प्रयास भी इस रेल लाइन की तरह इतिहास बन गए। जनता इन्हें नेताओं के दिखाए कोरे सपने समझकर भूलने लगी थी। इतना ही नहीं कुछ दिन पहले तक इसे लेकर रेलवे के पास कोई प्रस्ताव नहीं थे। अचानक मिला ये तोहफा गत 48 साल में दोनों प्रदेशो के नेताओं के प्रयासों का परिणाम है।
चतुर्भुज वर्मा से लेकर वसुंधरा राजे vasundhra raje तक कई ने किए प्रयास
जानकारों ने बताया कि झालावाड़ के तत्कालीन सांसद चतुर्भुज वर्मा सहित जनता पार्टी के नेताओं ने उज्जैन-आगर-रामगंजमंडी नई रेल लाइन के लिए रेल लाओ समिति का गठन किया था। इस समिति के माध्यम से केन्द्र सरकार से इस रेल लाइन की मांग उठाई गई। 1977 में मध्यप्रदेश के प्रेमनारायण शर्मा के संयोजन में तत्कालीन विधायक डा. सत्यनारायण जटिया, शाजापुर के पूर्व सांसद फूलचंद्र वर्मा, आगर के पूर्व विधायक गोपाल परमार द्वारा मप्र विधानसभा में संकल्प पारित करवाया गया। तब लोगों को आशा बंध गई थी कि शीघ्र ही यह रेलवे लाइन पुनः शुरू हो जाएगी। इसके बाद झालावाड-बारां तत्कालीन सांसद व राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया तथा तत्कालीन सांसद थावरचंद गेहलोत के प्रयास से इस रेल लाइन का द्वितीय चरण के सर्वे का शुभारंभ तत्कालीन रेलमंत्री नीतिश कुमार ने 25 अगस्त 1998 को उज्जैन रेलवे स्टेशन से किया।
इसके बाद 1998 को चुनावी आमसभा में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने उज्जैन से आगर रेल लाइन को शीघ्र बिछाने का वादा किया था। इसके बाद वसुंधरा राजे सिंधिया, डा. सत्यनारायण जटिया, थावरचंद गेहलोत ने भी इस रेल लाइन के लिए जनता से चुनावी संभावों में वादे किए। जिसमें कहा गया था कि उज्जैन-शाजापुर-झालावाड़ से भाजपा को विजय मिली तो यह रेल लाइन शीघ्र बिछाई जाएगी। इसी बीच अप्रैल 2000 द्वितीय चरण की सर्वे रिपोर्ट आ गई। लेकिन यातायात सर्वे अनुकूल होने के बावजूद यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई। इतना ही नहीं इस बीच कई सामाजिक संस्थाओें, साहित्यिक संस्थाओं, ने इसके लिए पोस्टकार्ड अभियान चलाकर समय समय पर मांग उठाई।
उज्जैन आलोट सांसद अनिल फिरोजिया के अनुसार यह मांग लंबे समय से उठाई जा रही थी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गत दिनों इसकी मांग की गई थी।
राजस्थान-मध्यप्रदेश में बढेगा व्यापार
jhalawar_ujjain_railway track वर्तमान में राजस्थान के झालावाड जिले का व्यापार मध्यप्रदेश के इन्दौर और नीमच शहर के साथ अधिक होता है। उज्जैन से आगर होते हुए झालावाड़ के बीच नई रेल लाइन से मालभाडा काफी सस्ता हो जाएगा। इससे झालावाड के कोटा स्टोन, संतरे, लहसुन, प्याज, धनिया, सरसों सहित अन्य फसलों को दक्षिण के राज्यों और मंडियों में जाकर बेचना आसान होगा। वहीं दक्षिण के व्यापारियों के लिए यहां से खरीद करना सुगत हो जाएगा। जानकारों की मानें तो पर्याप्त मात्रा में पानी-जमीन और कृषि के उत्पाद होने के बावजूद झालावाड व्यापार और उद्योग में पिछडने का बडा कारण रेल सुविध का अभाव रहा। अब भोपाल रेल लाइन जुडने के साथ ही इन्दौर और उज्जैन के मार्ग भी सुगम होंगे।
जिससे रोजगार के साथ बुनियादी सुविधाओं का विकास भी तेजी से होगा। व्यापारिक सामग्री का आदान-प्रदान भी सस्ता हो जाएगा।
यदि यह लाइन jhalawar_ujjain_railway track बनती है तो मध्यप्रदेश के आगर-सुसनेर के रोगियों को उपचार और विद्यार्थियों को पढाई के लिए झालावाड सबसे मुफीद साबित होगा। क्योंकि वर्तमान में मध्यप्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में झालावाड शिक्षा और उपचार में सस्ता और सुविधाजनक साबित हो रहा है।
इधर इंदौर-उज्जैन की नई दिल्ली से दूरी भी कम हो जाएगी। इंदौर-खंडवा रेल लाइन बनने पर दिल्ली से मुंबई के लिए एक नया वैकल्पिक रेल मार्ग उपलब्ध हो सकेगा।
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