डीएलबी बनी हुई है भ्रष्टाचारियों की ढाल, दो साल से रोक रखी है अभियोजन स्वीकृति
nagarpalika-anticorruption
एसीबी की जांच में 32 घोटाले प्रमाणित, नहीं हो पा रही अभियोजन कार्रवाई
झालावाड। जयपुर स्थित स्वायत्त शासन विभाग dlb का मुख्यालय अपने ही विभाग के भ्रष्टाचारियों की ढाल बना हुआ है। झालरापाटन नगर पालिका nagarpalika में एक दो नहीं बल्कि 32 घोटालों की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो anticorruption कर चुका है। जिसमें जन प्रतिनिधियों के साथ नगर पालिका के एक दर्जन अधिकारी और कर्मचारी दोषी पाए जा चुके हैं। लेकिन स्वायत्त शासन विभाग दो साल से अभियोजन स्वीकृतियों दबाकर बैठा हुआ है।
झालरापाटन नगर पालिका nagarpalika में 2015 से पूर्व हुए घोटाले दर घोटाले की परतें इस जांच रिपोर्ट में खोली गई थी। जिनमें तत्कालीन पालिकाध्यक्ष सहित तत्कालीन ईओ आरके गोयल, कनिष्ठ सहायक राजेश गुर्जर, सहित कर्मचारी विमल जैन बशीर मोहममद, जेईएन तरूण लहरी, राम बाबू यादव, विद्यारतन, बृजमोहन श्रंगी, महावीर शर्मा सहित अन्य कम्रचरियों ने अपने पद का दुरूपयोग कर इन घोटालों को अंजाम दिया। जिसमें करोडों रूपए का सरकार को चूना लगाकर अपनी जेबें भरने का काम किया।
इस मामले की शिकायत एक सामाजिक कार्यकर्ता ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो anticorruption को 23 जनवरी 2015 को की थी। जिसके बाद ब्यूरो ने नगर पालिका से सम्बन्धित 32 घोटालों की जांच की। जिसमें सभी प्रकरण में अनियमितताओं की पुष्टि हुई। यह जांच रिपोर्ट ब्यूरो ने 21 जुलाई 2022 को स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक को भेजकर दोषियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। लेकिन स्वायत्त शासन विभाग dlb इस फाइल को ही दबाकर बैठ गया। दो साल गुजर जाने के बाद भी विभाग अपने भ्रष्ट कर्मचारियों की ढाल बना हुआ है।
राजनैतिक संरक्षण
झालरापाटन नगर पालिका nagarpalika के इन घोटालों में शामिल कई कर्मचारियों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है। सरकारी जमीनों पर कब्जे कराने और अवैध निर्माण जैसी गतिविधियों में इन कर्मचारियों की अहम भूमिका रहती है। जिसके कारण इनके खिलाफ दो साल से अभियोजन स्वीकृति अटकी हुई है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस फाइल को उच्च स्तरीय राजनेतिक हस्तक्षेप के बाद डीएलबी dlb ने ठंडे बस्ते में डला दिया है।
ये थे प्रकरण
-द्वारकाधीश कॉलोनी में भूखंड नंबर 48 को भूखंड संख्या 45 में बदल दिया गया। साथ ही स्टिप आफ लेंड का अवैध बेचान किया गया।
-हरिश्चंद्र कॉलोनी में अतिक्रमण किए हुए मकान में रह रही एक महिला के मकान का पट्टा जारी कर दिया। इस तरह के अन्य प्रकरण भी प्रमाणित हुए।
-नियम विरूद्ध तरीके निर्माण स्वीकृतियां जारी कर दी गई। वहीं अतिक्रमण करवाकर पंजीयन भी कर दिया।
-नगर पालिका पार्षद को छह हजार वर्गफीट जमीन मात्र 125 रूप्ए वर्गफीट में बेच दी। जबकि इस भूमि की तत्कालीन बाजार दर छह हजार रूपए वर्गफट थी।
जंांच में इस प्रकार के 32 प्रकरण शामिल थे।
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