अनुदान के बावजूद एक साल में घटा नौ सौ से ज्यादा गोवंश
goshalaanudan
-तीन गोशालाओं का सरकारी रिकार्ड
-मौके पर खाली मिले बाडे
झालावाड। झालावाड़ जिले के अकलेरा ब्लॉक की तीन गोशालाओं का सरकारी रिकार्ड बेहद चौंकाने वाला है। जिन गोशालाओं में विभाग अपने निरीक्षणों में साढे चार सौ-पांच सौ गोवंश का भौतिक सत्यापन कर चुका उनमें गत एक साल की अवधि में नौ सौ से ज्यादा गोवंश गायब हो गया। अनुदान लेने के बावजूद इतनी बडी संख्या में गोवंश का घटना कई सवाल खडे करता है।
पशु एवं गोपालन विभाग के अनुदानित गोशालाओं में से गेहूंखेडी गांव की श्रीराम गोशाला भी है। इस गोशाला में सरकारी रिकार्ड में मार्च 2023 तक 565 गोवंश पल रहा बताया गया है। इसी के अनुसार गत 25 जुलाई 23 को पांच माह का अनुदान 28 लाख 38 हजार रूपए इस गोशाला के खाते में डाला गया। लेकिन अगले चार माह में ये गोवंश अचानक घटकर जुलाई तक 236 रह गया। जबकि सत्र पूरा होते होते मार्च 24 तक एक साल में 332 पशु घट गए और संख्या मात्र 233 रह गई। जबकि इस बीच 10 लाख 36 हजार का अनुदान और मिल गया। गोवंश की संख्या का यह आंकडा सरकारी रिकार्ड का है जबकि मौके गोशाला की क्षमता सौ पशु रखने की भी नहीं है। यह गोशाल अब तक 52 लाख रूपए से अधिक अनुदान ले चुकी है जबकि 22 जून को यहां एक भी गोवंश नहीं था। इतना ही नहीं 233 गोवंश जितना तो गोबर तक नहीं मिला।
अब बात करते हैं गोवर्धन गोशाला घाटोली की। विभाग ने इस गोशाला को नवम्बर से मार्च 2023 तक पांच माह के दौरान 439 गोवंश बताकर 22 लाख पांच हजार रूपए अनुदान दिया था। जबकि मार्च 24 से पहले के पांच माह में यहां केवल 110 गोवंश रह गए। ये 110 का भी सरकारी आंकडा है जबकि सत्यार्थ क्रांति टीम द्वारा 22 मई को किए गोशाला के अवलोकन में यहां 52 गोवंश मिले। अनुदान पाने के बावजूद एक साल में 329 गाय-नंदी कम हो गए। इस गोशाला को अब तक 68 लाख का अनुदान मिल चुका है।
ऐसा ही मामला मुरली मनोहर गोशाला देवली का है। जहां मार्च 2023 से पिछले पांच महीने के दौरान 347 गोवंश का पालन सरकारी रिकार्ड मंे दर्ज है और इसी के अनुसार इसे 19 लाख रूपए से अधिक अनुदान दिया गया। लेकिन एक साल की अवधि में यहां 100 से कम गोवंश रह गए। विभाग की ब्लॉक प्रभारी ने 7 मई को भेजी भौतिक सत्यापन रिपार्ट में यहां 117 के करीब गोवंश बताया। लेकिन 22 मई को सत्यार्थ क्रांति टीम के अवलोकन के दौरान यहां महज 2 बीमार एक मृत और पांच अन्य गोवंश दयनीय हालत में मिला। इसके बाद संयुक्त निदेशक ने जब इसका निरीक्षण किया तो गोशाला को अनुदान की पात्रता से बाहर कर दिया। लेकिन रिकार्ड की मानें तो एक साल की अवधि में यहां से करीब 250 पशु कम हो गए। एक बार अनुदानित की श्रेणी में आने और 24 लाख से अधिक सरकारी सहायता मिलने के बावजूद पशुओं का गोशाला से गायब होना कई सवाल खडे करता है।
इनका कहना है
-निरीक्षण के दौरान जितना गोवंश हमें मिलता है उतना ही रिकार्ड में लिखा है। गोवंश घटने का कारण गौशाला संचालक ही बता सकते हैं। उनके पास गोवंश की संख्या का रिकार्ड नहीं है तो इसका स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
डॉ नीता रघुवंशी, वरिष्ठ पशु चिकित्सक
प्रभारी, अकलेरा ब्लॉक
-गोवंश को विचरण करने के लिए जंगल में ले जाते हैं। इस दौरान कुछ गोवंश जंगल में रह जाते हैं और वापस नहीं आते। जिससे गोवंश घट गया।
सुनील प्रजापति,
उपाध्यक्ष, श्रीराम गोशाला गेहूंखेडी
-यहां देहात में खेतों में फसल कटने के बाद गोवंश को खुला छोड देते हैं। गत साल खुला छोडने के बाद गायें वापस नहीं मिली। कुछ खेतों में विचरण करते आगे दूसरे गांवों में चली जाती है, जिससे वापस नहीं आई।
जगदीश चंद्र किराड, अध्यक्ष
मुरली मनोहर गोशाला देवली
-पहले सात बीघा जमीन पर गोशाला थी जो किसी के खाते की जमीन थी। बाद में उन्होंने अपनी जमीन वापस मांगी तो दो बीघा हमने खरीद ली बाकी पांच बीघा उनको सौपनी पडी। इसलिए जगह कम होने से गोवंश को छोडना पडा। उपर पहाडी पर गोचर भूमि पर लोगों के कब्जे कर रखे हैं जो गायों को चरने नहीं देते इसलिए ज्यादा गोवंश नहीं रख सकते तो कम कर दिया।
केशव बैरागी, अध्यक्ष
श्री गोवर्धन गोशाला घाटोली
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