मोदी को घेरने वाले ट्रूडो अपने ही देश में घिरे
कनाडाई मीडिया और विपक्ष की आलोचना
किसान आन्दोलन के दौरान कनाडा में हुए भारत विरोधी प्रदर्शनों पर ठंडा रूख अपनाने और आन्दोलन को लेकर मोदी को घेरने का प्रयास करने वाले कनाडा के प्रधनमंत्री जस्टिन ट्रूडो अब अपने ही देश के मीडिया में घिरते हुए नजर आ रहे हैं। जी-20 शिखिर सम्मेलन के बाद दो दिन भारत में अधिक रूकने के दौरान भारत की ठंडी प्रतिक्रिया से कनाडाई मीडिया बेहद नाराज है।
ट्रूडो जी-20 सम्मेलन में भाग लेने के बाद रविवार को लौटने वाले थे। लेकिन विमान में तकनीकी खराबी के कारण मंगलवार दोपहर तक दिल्ली में ही रहे। इस दौरान भारत में उनको खास तवज्जो नहीं मिली। हालांकि उनको भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री मोदी का विमान आॅफर किया गया था। लेकिन कनाडाई अधिकारियों ने बैकअप विमान का इंतजार किया। इस कारण शुक्रवार को आए को रविवार को वापस लौटना था, लेकिन वे मंगलवार को रवाना हो पाए।
ट्रूडो के लिए भारत का ये दौरा काफी मुश्किलों वाला रहा। एक तो उनको भारत में तवज्जो नहीं मिली। दूसरे कनाडा के मीडिया में उनकी खिंचाई हो रही है। उनके दौरे को नाकाम और शर्मनाक तक कहा जा रहा है। दरअसल ये दानों स्थितियां ट्रूडो की अदूरदर्शिता के करण पैदा हुई। पहला वे भारत के साथ सम्बन्धों के मामले में भारत से आर्थिक और व्यापारिक महत्व का आंकलन करने में नाकाम रहे। इसी कारण वे कनाडा में रह रहे अलगाववादियों के प्रभाव में रहे। इसी का परिणाम ट्रडो को इस दौरे में देखने को मिला।
बयानों में उभरी दूरियां
कनाडा में रहने वाली सिख आबादी दुनिया के किसी भी अन्य देश में रहने वाले सिखों से अधिक है। किसान आंदोलन के दौरान कनाडा में हुए विरोध प्रदर्शन के साथ ही ट्रूडो ने किसान आंदोलन का भी समर्थन किया था। साथ ही भारत विरोधी प्रदर्शनों को अभिव्यक्ति की आजादी बताया था। जिसके चलते जी-20 सम्मेलन के दौरान भारत को कनाडा से अपने देश में ‘खालिस्तान गतिविधियों को नियंत्रित करने’ के लिए कहना पडा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्रूडो के साथ मुलाकात के दौरान कनाडा से भारत में चलाए जा रहे ‘खालिस्तानी आंदोलन’ पर चिंता जताई।
इसी दौरान भारत सरकार की तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जस्टिन ट्रूडो को कहा बयान जारी किया गया जिसमें मोदी ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों में प्रगति के लिए ‘आपसी सम्मान और भरोसा’ जरूरी है। वहीं विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि सिख आंदोलन अलगाव वाद को बढ़ावा देता है और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा को उकसाता है। लेकिन इस पर ट्रडो की प्रतिक्रिया थी कि कनाडा हमेशा ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण प्रदर्शनों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करेगा।
इतना ही नहीं ट्रूडो और मोदी की मुलाकात के दौरान हाथ मिलाते समय मोदी अपना हाथ छुड़ाते हुए प्रतीत हुए। इस तस्वीर को दोनों देशों के बीच दूरियों के रूप मेें देखा जा रहा है।
कनाडाई मीडिया की चिंता
वर्तमान में 140 करोड की आबादी वाला भारत दुनिया की चैथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। साथी ही सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं मेंएक है। कनाडा की तुलना में दोगुनी है।
जबकि चार करोड़ की आबादी वाले कनाडा की अर्थव्यवस्था भी दुनिया की शीर्ष दस अर्थव्यवस्थाओं में है। लेकिन कनाडा की आबादी और अर्थव्यवस्था भारत की तुलना में बहुत कम है। कनाडा का मीडिया भारत के साथ खराब होते सम्बन्धों को लेकर चिंतित है। आर्थिक प्रगति को लेकर भारत से अच्छे सम्बन्धों को कनाडा के लिए कनाडा के मीडिया में जरूरी बताया जा रहा है। भारत के साथ कोई कारोबारी समझौता ना कर पाने को लेकर ट्रडो अपने देश में भी घिर गए है। जबकि भारत कनाडा के उत्पादों का बडा आयातक देश है।
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