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राजनीति की दशा बदल देगा भाजपा का नया माॅडल

भाजपा की नई कार्ययोजना (गुजरात माॅडल) गुजरात के बाद अब राजस्थान में लागू होने जा रही रही है। गहन मंथन के बाद भाजपा के थिंकर्स ने इस माॅडल में जो नीतियां तय की है वो राजस्थान ही नहीं पूरे देश की राजनीति की दिशा और दशा दोनों को बदलकर रख देगी। इस माॅडल मंे नेताओं की आयु और वंशवाद जैसा मुद्दा भी शमिल है जिस पर खेलकर कई क्षेत्रिय पार्टियों को सत्ता से बाहर कर दिया। अब राजस्थान के विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान भारी उलटफेर होने वाला है।

राजस्थान में फिलहाल विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म है और इस कार्ययोजना के बिन्दुओं पर गौर करें तो प्रदेश की 200 सीटों पर चैंकाने वाले निर्णय होने वाले हैं। भाजपा इस बार पार्टी के प्रति वफादारी, सक्रियता, प्रत्याशी की उम्र, संगठन कौशल्य और वंशवाद के सूत्र को ध्यान में रखकर निर्णय करेगी। हाल ही भाजपा ने अन्य राज्यों के  विधायकों को फीडबेक लेने के लिए 200 ही सीटों पर भेजा है। इनके फीडबेक से पता चला है कि वर्तमान में जीती हुई सीटों में से करीब आधे विधायक निष्क्रिय है और लोगों की उनके प्रति नाराजगी है। ऐसे करीब 35 विधायकों के टिकट कटने तय है। जबकि करीब सौ सीटें हैं जहां भाजपा को गत चुनाव में हार का मुंह देखना पडा। इनमें से दो बार चुनाव लड चुके, निष्क्रिय और 55 साल से अधिक आयु वाले प्रत्याशियों के स्थान पर नए कार्यकर्ता को आगे लाया जाएगा। इनमें 25 से 55 वर्ष आयु वालों को प्राथमिकता मिलेगी। प्रदेश में दस सीटें ऐसी भी है जहां लगातार दो बार और करीब बीस सीटों पर तीसरी बार हार मिली है। इन सीटों पर भी क्रांतिकारी बदलाव की संभावना है। इतना ही नहीं प्रदेश के 24 सांसदों में से करीब दर्जन भर को विधानसभा में लाने की तैयारी है।

चार श्रेणी में बांटा 200 सीटों को

भाजपा आला कमान ने नई नीति के तहत प्रदेश की 200 सीटों को चार श्रेणियों में बांटा है। 

ए-जहां वर्तमान में भाजपा के विधायक हैं। 

बी-इस श्रेणी में वे सीटें हैं जहां गत चुनाव में भाजपा हारी है लेकिन 2013 में भाजपा विधायक जीते थे। करीब सौ सीटें इस श्रेणी में आती है।

सी-इस श्रेणी में करीब दस सीटें हैं जहां लगातार दूसरी बार भाजपा हारी है। कोलायत, सुजानगढ, सादुलपुर, राजाखेडा, हिंडोली, सहाडा, कुम्हेर और गंगानगर विधानसभा क्षेत्र हैं। 

डी- इस श्रेणी में वे बीस सीटें है जहां भाजपा को लगातर तीन बार से हार का मुंह देखना पड रहा है। इनमें बस्सी, नवलगढ, झूंझुनू, खेतडी, फतेहपुर, दातारामगढ, कोटपूतली, सीएम गहलोत की सीट सरदारपुरा, सपोटरा, महुआ, टोडभीम, लालसोट, सिकराय, बागीदौरा, वल्लभनगर और सांचैर है। इनमें से बागीदौरा, नवलगढ और दातारामगढ में तो आज तक भाजपा का खाता तक नहीं खुला। गत दस विधानसभा चुनावों से भाजपा हारती ही आ रही है। 

कांग्रेस के लिए होगी मुश्किल

भाजपा की नई रणनीति कांग्रेस के लिए भी नई परेशानी लेकर आने वाली है। गत दिनों उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में 50 प्रतिशत युवाओं को संगठन में प्रतिनिधित्व देने की घोषणा की गई थी। लेकिन गत दिनों एआईसीसी की ओर से घोषित सीडब्लूसी की सूची में महज तीन नेताओं को स्थान मिला जिनकी आयु 50 से कम है। इनमें सचिन पायलट, गौरव गोगोई और कमलेश्वर पटेल शामिल हैं। जबकि मनमोहन सिंह 90 वर्ष, एक के एन्टनी 82, मल्लिकार्जुन खडगे 81, अम्बिका सोनी 80, मीरा कुमार 78 और स्वयं सोनिया गांधी 76 साल की हो चुकी है। ऐसे में भाजपा की नई उर्जा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को भी कडे फैसले लेने होंगे। सब जानते हैं कि इस कार्ययोजना में से केवल एक वंशवाद वाले सूत्र ने ही कुछ सालों में उत्तरप्रदेश, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों को समेटकररख दिया। 

लोकसभा में भी होगा बदलाव

भाजपा के वर्तमान में 135 सांसद पहली बार चुनकर सदन में पहुंचे हैं जबकि 97 सांसद लगातार दूसरी बाद सदन में आए हैं। जबकि मेनका गांधी, संतोष गगंगवार लगातार 8 वीं बार, डाॅ वीरेन्द्र कुमार 7 वी बार, आठ सांसद 6 वी बार, 11 सांसद पांचवी और 19 सांसद लगातार चैथी बार संसद मंे आ  रहे हैं। जबकि 20 सांसद तीसरी बार संसद में आ चुके हैं। नए माॅडल के चलते इन सभी को सेफ जोन से निकलकर अब अन्य भूमिकाओं में आना पड सकता है। भाजपा दो तीन बार सांसद रह चुके लोगों को संगठन में काम करने का मौका देगी। जबकि उनके स्थान पर नए लोगों को सदन में भेजेगी। वहीं विज्ञान, शिक्षा, कला, पत्रकारिता जैसे विषयों के विशेषज्ञों को राज्यसभा में भेजा जाएगा। 55 साल से अधिक आयु वाले दो बार चुनाव लड चुके सांसदों को भी संगठन की मजबूती के लिए काम सौंपा जाएगा वहीं 70 से अधिक आयु के सांसदों को सलाहकार रखा जाएगा।

राजस्थान में इनकी बदल सकती है भूमिका

 नई स्थिति में विचार करें तो राजस्थान में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला, अर्जुनराम मेघवाल, गजेन्द्र सिंह शेखावत, जसबीर सिंह जौनपुरिया, नरेन्द्र सिंह खींचड, कनक मल कटारा, सुभाष बहेडिया भागीरथ चैधरी और वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह की जिम्मेदारियां बदली जा सकती है। 

 

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Pradyumn Sharma: A Dedicated Voice in Journalism Pradyumn Sharma is a prominent journalist known for his significant contributions to the field of journalism through his work with "Styarth Kranti," a media outlet dedicated to spreading awareness about important societal issues. With a keen sense of investigative reporting and a passion for uncovering the truth, Sharma has made a name for himself as a reliable source of information.


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