अफगान तालिबान बन गया पाकिस्तान की आफत, गोलीबारी के बाद आवाजाही ठप
-तोरखम सीमा करीब एक हफ्त से बंद
-छह सितंबर को हुई थी दोनों देशों के सुरक्षाकर्मियों के बीच गोलीबारी
- सैकड़ों ट्रक और यात्री फंसे
पाकिस्तान की मदद से अफगानिस्तान में सत्ता पलट काबिज हुए अफगान तालिबान के रिश्ते पाकिस्तान के साथा बिगड़ गए हैं। एक बोर्डर पोस्ट की मरम्मत को लेकर हुए विवाद के बाद दोनों देशों के सुरक्षाकर्मियों में पहले गोलीबारी हुई। इसके बाद दानों देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर आवाजाही बंद है और दोनों ओर फल-सब्जियों सहित जरूरी चीजों से लदे ट्रकों की कतारें लगी है।
यहां बलूचिस्तर और कंधार की सीमा पर रविवार को दोनों ओर से हुई गोलीबारी में 6 नागरिकों की मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि यहां अफगानिस्तान की ओर से उसकी सीमा में एक नई पोस्ट का निर्माण किया जा रहा था।
पाकिस्तान का कहना है कि अफगान तालिबान सीमा के पास गैरकानूनी निर्माण कर रहा है जो पाकिस्तान की संप्रभुता के खिलाफ है। जबकि अफगान का कहना है कि वह तोरखम क्रासिंग पर पहले से मौजूद पोस्ट की मरम्मत करवा रहे हैं।
ये क्राॅसिंग दोनों देशों के बीच व्यापार के प्रमुख रास्तों में से एक है। साथ ही अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था की लाइफ लाइन है। इस मार्ग से फल और सब्जियां और अन्य वस्तुओं से लदे सैकड़ों ट्रक पाकिस्तान में आते है। तो दवाएं, रासायनिक खाद, चीनी और अन्य जरूरी सामान अफगानिस्तान भेजे जाते हैं।
टी टी पी की मदद से पाकिस्तान की मुश्किल
अफगानिस्तान में सत्ता पलट करने में सैन्य मदद करने वाला पाकिस्तान अब खुद अफगान तालिबान से परेशान है। जबकि पाकिस्तान हमेशा गठबंधन सेनाओं के खिलाफ अफगातन तालिबान का सहयोगी करता रहा है। लेकिन कुछ समय से वो पाकिस्तान के तालिबानी गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को समर्थन कर पाकिस्तान की परेशानी बढाने में लगा है।
टीटीपी के कारण पाकिस्तान पहले ही बेहद परेशान है। उसे पाकिस्तान में सैकड़ों हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है, जिनमें हजारों पाकिस्तानी नागरिक और सैनिक मारे जा चुके हैं। दूसरी ओर उसके कारण ही पाकिस्तान पर पश्चिमी देश डबल गेम खेल खेलने का आरोप लगाते रहे हैं।
इधर अफगान तालिबान की सरपरस्ती में टीटीपी के लडाके स्वच्छंदता से फल-फूल रहे हैं और आए दिन अफगानिस्तान से आकर पाकिस्तान के अंदरूनी इलाकों में हमले कर रहे हैं जिससे पाकिस्तान परेशान है।
जानकार सीमा पर इस तनातनी को टीटीपी विवाद से जोडकर देख रहे हैं। दूसरी ओर अफगान तालिबान का मानना है कि पाकिस्तान अभी भी अमेरिकी की मदद कर रहा है। इधर अफगानिस्तान आर्थिक रूप से कमजोर और राजनीतिक रूप से दुनिया से कटा हुआ है। वहीं सीमा पर व्यापार बंद होने से अफगानिस्तान को ही अधिक नुकसान हो रहा है।
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