छोटा पड़ा कूनो, सीमा लांघ राजस्थान आ रहे चीते
cheeta
(Kuno National Park)
- इस वजह से तीन राज्यों के सात जिलों में ढूंढ रहे अपनी टेरिटरी
कोटा व बारां जिले के सीमावर्ती मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) से चीते पार्क की सीमा लांघकर आसपास के जिलों के जंगलों में अपना ठिकाना ढूंढ रहे है। अब तक एक दर्जन चीते (cheeta )कूनो से करीब सौ किलोमीटर दूर तक विचरण करते हुए राजस्थान के बारां, करौली सहित आसपास के जंगलों में अपना अनुकूल ठिकाना तलाश रहे हैं। वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों ने इसके पीछे बडी वजह बताई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर 2022 को आठ चीते (cheeta ) कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में लाए गए थे। भारत में 74 साल बाद नामीबिया से भारत लाकर चीतों को बसाने की यह महत्वपूर्ण कवायद थी। इसके बाद से लगातार चीतों के कुनबे में वृद्धि हो रही है। लेकिन चीते नेशनल पार्क की टेरिटरी को लांघकर बार बार बाहर भी आ रहे है। एक साल में चीते 11 बार 3 राज्यों के 7 जिलों में अपनी टेरिटरी तलाश करते हुए पहुंच गए। आखिर लगातार पार्क की सीमा क्रॉस क्यों कर रहे हैं इस पर वाइल्ड लाइफ के जानकार जो वजह बताते हैं वे इस प्रकार हैं।
कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में वर्तमान समय में 14 शावकों सहित 27 चीते (cheeta ) है। मार्च 2023 में कूनो के 5 किलोमीटर के बाड़े से पहली बार चार चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया था। जहां बाड़े से बाहर आते ही चीता पवन, वीरा और अग्नि कई बार कूनो नेशनल पार्क की टेरिटरी को पार कर बाहर आ गए। ग्वालियर के मुख्य वन संरक्षक का कहना है कि चीतों का रहवास ग्रासलैंड पर डिपेंड होता है। क्योंकि चीते काफी तेज दौड़ते हैं और घास के मैदान में उन्हें अच्छा लगता है। वे ऐसे क्षेत्र में शिकार भी आसानी से करते हैं।
ग्वालियर वन क्षेत्र में घास का मैदान (grass land) काफी है। इसलिए उन्हें यह क्षेत्र काफी पसंद आ रहा है। और यहां शिकार भी कर रहे हैं। कूनो का जंगल काफी घना है। वहां पूरी तरह से वह चीतल या अन्य वन्य जीवों पर अटैक नहीं कर पा रहा है। जिसके चलते उन्हें बाहर का खासकर ग्वालियर वन क्षेत्र का ग्रासलैंड एरिया ज्यादा पसंद आ रहा है। यहां वह आसानी से ग्रासलैंड में अटैक करके अपना भरण पोषण कर पा रहा है। कूनो का वन्य क्षेत्र अब उनके लिए छोटा पड़ रहा है।
नामीबिया और अफ्रीका में है दस हजार वर्ग किमी का जंगल
नामीबिया और अफ्रीका के जंगल का क्षेत्रफल ही 10 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है। एक चीते को अपनी टेरिटरी बनाने के लिए करीब 100 वर्ग किलोमीटर का इलाका चाहिए होता है। कूनो के जंगल का इलाका 748 वर्ग किलोमीटर मुख्य जोन में और 558 वर्ग किलोमीटर बफर जोन में है। दोनों को जोड़ दिया जाए तो महज 1306 वर्ग किलोमीटर होता है। इस हिसाब से 27 चीतों के लिए 2700 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र का जंगल चाहिए। ऐसे में वन विभाग और चीता एक्सपर्ट इस व्यवस्था को मजबूत करने की कार्रवाई में जुट गए हैं। तो वहीं दूसरी ओर गर्मी को देखते हुए ग्वालियर वन क्षेत्र में विचरण कर रही वीरा पर भी सतत निगरानी रखी जा रही है।
कब-कब कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) से बाहर निकले चीते
. 28 मार्च 2023 को वीरा मुरैना के पहाड़गढ़ इलाके तक पहुंच गई
. 2 अप्रैल 2023 को पवन श्योपुर के झारबड़ौदा पहुंचा
. 22 अप्रैल 2023 को फिर पवन शिवपुरी के एक गांव में दिखाई दिया
. 25 अप्रैल 2023 को आशा राजस्थान बॉर्डर तक पहुंच गई
. 3 मई 2023 को आशा श्योपुर के विजयपुर जा पहुंची
. 18 मई 2023 को पवन ग्वालियर पहुंचा
. जून 2023 को आशा शिवपुरी के गांव में देखी गई
. 15 जुलाई 2023 को पवन शिवपुरी पहुंच
. 23 दिसंबर 2023 को अग्नि राजस्थान के बारां पहुंच गया
. 4 मई 2024 को पवन राजस्थान के करौली इलाके तक पहुंच गया
. 18 मई 2024 को चिता वीरा ग्वालियर तक जा पहुंची, वह अभी तक इसी क्षेत्र में डेरा जमाए हुए है
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