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सहरिया बच्चों के निवाले पर डाका, उंची कीमतें और घटिया सामान

sahriya hostels 

-बारां जिले के सहरिया छात्रावासों और आवासीय विद्यालयों में खाद्य आपूर्ति में घोटाला

-नए सत्र में करीब डेढ करोड की हुई खरीद

बारां। बारां जिले के सहरिया जनजाति बहुल किशनगंज-शाहाबाद क्षेत्र में सहरिया बच्चों के छात्रावासों और आवासीय विद्यालयों में बच्चों के घटिया गुणवत्ता की खाद्य सामग्री खिलाई जा रही है। जिसकी कीमत सरकार से बाजार मूल्य से कई गुना अधिक वसूली जा रही है। हालत यह है कि बच्चों को सरस के नाम पर मिलते जुलते नाम का नकली घी खिलाया जा रहा है। कमीशन खोरी का यह खेल में इन छात्रावासों और परियोजना से जुडे अधिकारी और निजी सप्लायरों की मिलीभगत से चल रहा है।

सरकार की ओर से सहरिया बालकों के छात्रावासों में की जा रही खाद्य सामग्री की आपूर्ति में भारी भ्रष्टचार व्याप्त है। जिसमें सहरिया छात्रावासों से जुडे प्रशासनिक अधिकारी और निजी फर्में मिलकर इन निर्धन बालकों के निवाले पर डाका डाल रहे है। नए सत्र में अब तक करीब डेढ करोड की खरीद हुई है। जिसकी निविदा व टंेडर प्रक्रिया में फर्जीवाडा करते हुए ये काम कमीशन पर निजी फर्म को सौंपा गया है। जिसमें सहरिया बच्चों के लिए भेजी जाने वाली सामग्री में मूल्य और गुणवत्ता का कोई ध्यान नहीं रखा। बाजार मूल्य के बहुत अधिक दर पर घटिया सामग्री की आपूर्ति की जा रही है। 

नकली माल, कीमत ढाई गुनी

ये फर्म सरस घी के बजाय उससे मिलते जुलते नाम के नकली ब्रांड के घी की आपूर्ति कर रही है। जिसकी गुणवत्ता बेहद घटिया है जो बाजार में महज 200 रूपए लीटर के भाव में उपलब्ध है। लेकिन सरकार को यह करीब 500 रूपए किलों से अधिक में दिया गया। जिसमंे करीब ढाई गुनी दर से सरकारी धन में भ्रष्टाचार हुआ। साथ ही गरीब बच्चों को घटिया और नकली घी खिलाया गया जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पडने की भी आशंका है।  इतना ही नहीं आपूर्तिकर्ता ने मसूर दाल तत्कालीन खुदरा भाव 77रूपए किलो के बजाय 107 रूपए किलो के भाव सरकार को दी। जिसमें बाजर दर से करीब 40 प्रतिशत अधिक पैसा लेकर मुनाफखोरी की ओर संकेत करती है। इतना ही नहीं टाटा टी अग्नि ब्रंाड की चाय पत्ती की तत्काली कीमत करीब 200 रूपए किलो थी जो 300 रूपए प्रतिकिलो की कीमत पर खरीदी गई।

निर्यात कर दें इतना भाडा

ये सामग्री बारां जिला मुख्यालय से किशनगंज और शाहाबाद क्षेत्र के छात्रावासें में भेजी गई। जो बारां मुख्यालय से 30 से 80 किलोमीटर के बीच है। लेकिन सामान भेजना का मालभाडा बिलों में 4.7 प्रतिशत जोडा गया। जो मालभाडे के बाजार दर से बहुत अधिक है। एक अनुमान के मुताबिक इतनी राशि में तो माल को दूसरे देश में निर्यात किया जा सकता है। 

भूख से हो चुकी है मौतें 

बारां जिले की सहरिया जनजाति अत्यंत गरीब एवं पिछडी जाति है। अशिक्षा और रोजगार के साधन के अभाव में हजारों लोग कुपोषण के शिकार हैं। यहां भूख से मौत के मामले सामने आ चुके हैं। जिसके कारण राज्य और केन्द्र सरकार को विष्व स्तर पर बदनामी झेलनी पडी थी। इस घटना के बाद तत्कालीन कांग्रेस सोनिया गाँधी को इस क्षेत्र का दौरा करना पड़ा था. भूख से मौत के मामले सामने आने के बाद ही केन्द्र सरकार को खाद्य सुरक्षा कानून लाने पर विचार करना पडा और सहरिया क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएं लागू की। भूख से मौतों की घटनाओं से मामले की संवेदनशीलता समझी जा सकती है।

-हां, ये नकली घी वाला मामला तो मेरे ध्यान में आया है। मैं अभी नया आया हूं। इस सारे मायाजाल को समझने की कोशिश कर रहा हूं। जल्दी ही इस मामले में तहकीकात करके व्यवस्था को सुधारने ओर अब तक जो हुआ उसमें उचित कार्रवाई करेंगे।

जब्बर सिंह, अतिरिक्त जिला कलक्टर, बारां

प्रभारी सहरिया विकास परियोजना

 

 

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