अशोक शर्मा को झालावाड़ नगर परिषद आयुक्त से किया कार्यमुक्त
-डिस्पेच रजिस्टर ही ले गए थे अपने घर
झालावाड़। झालावाड़़ नगर परिषद में एनयूएलएम के जिला परियोजना अधिकारी और कार्यवाहक आयुक्त अशोक शर्मा को अखिर शुक्रवार को कार्यमुक्त कर दिया गया। उनका गत दिनों धौलपुर सचिव पद पर स्थानांतरण हो गया था, लेकिन इसके बावजूद एक सप्ताह से वे यहीं टिके हुए थे।
स्वायत्त शासन विभाग राजस्थान के आदेशनुसार 15 फरवरी को आई स्थानांतरण सूची में झालावाड नगर परिषद के कार्यवाहक आयुक्त अशोक शर्मा को धौलपुर स्थानांतरित कर दिया गया था। जबकि उनके स्थान पर कोटा नगर निगम से दयावती सैनी को लगया गया था। दयावती पूर्व में यहां आयुक्त रह चुकी हैं। लेकिन शर्मा यहां से रिलीव होने के बजाय नगर परिषद का डिस्पेच रजिस्टर ही अपने घर ले गए। जिसकी शिकायत सभापति संजय शुक्ला और पार्षदों ने जिला कलक्टर को की। जिसके बाद जिला कलक्टर के दखल पर सभापति संजय शुक्ला ने उन्हें शुक्रवार को कार्यमुक्त कर दिया।
कार्यकाल रहा विवादित
अशोक शर्मा झालावाड नगर परिषद में शहरी आजीविका मिशन में परियोजना अधिकारी के पद पर तैनात थे। इस दौरान आयुक्त पद रिक्त होने पर उन्हें कार्यवाहक आयुक्त बनाया गया। लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान दर्जनों घोटाले और काम नहीं करने की शिकायत को लेकर न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस के पार्षद भी कई बार प्रदर्शन कर चुके है। दर्जनों शिकायतें पार्षद डीएबी में दे चुके है, लेकिन अपने रसूख के चलते उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। शहरी आजीविका मिशन की संस्था सीएलसी के माध्यम से हुए कामों में भ्रष्टाचार के मामले भी पार्षद उठाते रहे। लेकिन उनके खिलाफ विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
लग चुका जुर्माना
गत दिनों स्थानीय निकाय निदेशक सुरेश ओला ने सिटी लाइवलीहुड सेंटर पर अन्नपूर्णा रसाईयों में गबन को लेकर दस लाख 76 हजार का जुर्माना लगाया है। यह संस्था ही इनका संचालन कर रही थी। जिसके सचिव आयुक्त अशोक शर्मा थे। इस दोरान फर्जी कूपन काट की पैसे उठाया जा रहा था। मामला सामने आया जिसमें तत्कालीन जिला कलक्टर भारती दीक्षित ने उस समय आयुक्त अशोक शर्मा को 17 सीसी का नोटिस भी दिया था।
कचरा यार्ड में नहीं किया काम
संस्था की ओर से कचरा डंपिंग यार्ड के प्रबंधन में भी लाखों रूपए का घोटला सामने आ चुका है लेकिन डीएलबी ने अभी तक मामले की कोई जांच नहीं कराई। यार्ड में कचरा प्रबंधन व प्रसंस्करण का ठेका भी सीएलसी के पास था लेकिन सीएलसी ने कोई काम नहीं किया। यहां न तो कचरे के पृथक करने का काम हुआ और न ही कचरे से खाद बनाई गई और फर्जी तरीके से पैसे उठा लिए गए। इसके अलावा ठेका कर्मी भर्ती, घर घर कचरा संग्रहण सहित वाहनों के रखरखाव में भी अनियमितता की दर्जनों शिकायतें हैं।
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