हाईकोर्ट के आदेश हवा में, नहीं रोक पा रहे रास्तों की जमीन पर अवैध निर्माण
illegalconstruction
-कोर्ट ने लोकसेवकों को माना है जिम्मेदार
-नोटिस दिया न बोर्ड लगाया केवल मौखिक कार्रवाई
झालावाड। झालरापाटन नगर पालिका क्षेत्र की लालबाग कॉलोनी में निकाय प्रशासन बिना निर्माण स्वीकृति के रास्ते की जमीन पर बनाए जा रहे अवैध निर्माण को नहीं रोक कर सीधे हाईकोर्ट के आदेशों को चुनौति दे रहा है। मास्टर प्लान और अप्रूव्ड ले आउट के खिलाफ रास्ते, पार्किंग, हरित पट्टी व अन्य सार्वजनिक उपयोग की की भूमि पर होने वाले अवैध निर्माण के लिए हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर मौजूूूद प्रशासनिक अधिकारियों को ही जिम्मेदार माना है।
झालरापाटन की नेमीनगर लाल बाग स्थित कृषि भूमि में से 18 बीघा 15 बिस्वा जमीन की जुलाई 2013 को 90-बी के तहत भू उपयोग परिवर्तन किया गया था। लेकिन कॉलोनाईजरों यहां मास्टर प्लान और लेआउट के विरूद्ध मनमाने तरीके से जमीनें बेच दी। जिनमें से कई पर अवैध तरीके से निर्माण हो गए है। बेचान कर्ताओं ने सडकों कि लिए चिन्हित जमीन पर दुकानों के भूखंड बेच डाले।
अब हनुमान मंदिर के पास बची ओपन भूमि पर बिना निर्माण स्वीकृति के वावसायिक परिसर का अवैध निर्माण किया जा रहा है। यह काम करीब छह माह से जारी है। इस परिसर के पेट्रोल पंप के सामने वाला रोड 40 फीट और गिन्दौर गेट की बाजू वाला रोड 60 फीट चौडा स्वीकृत है। इन दोनों तरफ 25-30 फीट रास्ता छोडकर बाकी जगह पर दुकानों का निर्माण किया जा रहा है। इनकी निर्माण स्वीकृति भी नगर पालिका से जारी नहीं की गई। इसके बावजूद प्रशासन निर्माण नहीं रोक नहीं पाया न ही अभी तक एक भी नोटिस नहीं दिया।
कलक्टर दे चुके हैं ईओ को नोटिस
लालबाग में अंधाधुध तरीके से हुए अवैध बेचान और निर्माण की जिला कलक्टर पूर्व में तीन सदस्यीय कमेटी से जांच कर चुकी है। जिसकी रिपोर्ट पर नगर पालिका अधिशासी अधिकारी को दोषी मानत हुए नोटिस दिया जा चुका है। नोटिस में लिख कि आवासीय भूरूपांतरित हुई भूमि में से जनसुविधाओं के लिए आरक्षित रखी गई भूमि पर नगर पालिका प्रशासन ने बोर्ड नहीं लगाए। न ही इस जमीन को सुरक्षित रखने के लिए कोई प्रयास किए। जिससे भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति पैदा हुई।
हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश-प्रशासन जिम्मेदार
शहरी बसावट में मास्टर प्लान और अनुमोदित नक्शे से छेडछाड करते हुए होने वाले अवैध निर्माणों के लिए हाईकोर्ट ने तत्कानीन लोक सेवकों को सीधे तौर पर जिम्मेदार माना है। जोधपुर उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका गुलाब कोठारी बनाम राजस्थान राज्य में नकरीय क्षेत्रों में सार्वजनिक उपयोग की भूमियों पर होने वाले अवैध निर्माणों के लिए स्वष्ट गाइडलाइन दी है। जिसमें कहा गया है आम रास्ते, ग्रीन बेल्ट, पार्क पानी के बहाव के नालों सहित अन्य सार्वजनिक उपयोग के लिए संरक्षित भूमियों का संरक्षक राज्य सरकार को मानते हुए तत्कालीन स्थानीय निकाय, और जिला प्रशासन के लोक सेवकों को संरक्षण के लिए जिम्मेदार माना है। ऐसी चिन्हित भूमि के अवैध बेचान, अवैध निर्माण, अस्थाई कब्जों की निगरानी, अतिचारियों की बेदखली और दंडित करने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदारी तय की गई है। साथ ही इसमें लापरवाही पर लोकसेवक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश हैं।
-पहले काम बंद करवा दिया था। पता नहीं फिर कब शुरू हो गया। अभी पता करता हूॅ।
हेमेन्द्र सिंह, अधिशासी अधिकारी
नगर पालिका झालरापाटन
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