भर दिया मल्हार बाग का नाला, खाई खोदी रस्ते बंद, आईडीएसएमटी के खसरा नंबर 265 की खाली जमीन पर कब्जा
-सरकारी नाले और जमीनों को नहीं बचा पा रहे अधिकारी
झालावाड। आईडीएसएमटी कॉलोनी idsmt की खाली जमीन हडपने के लिए निजी कॉलोनाजरों ने मल्हार बाग में होकर निकल रहे बडे सरकारी नाले को न केवल पूरी तरह से बंद कर दिया। बल्कि इस नाले के पूर्व की ओर स्थित आईडीएसएमटी कालोनी idsmt की जमीन पर रास्तों के उपर खाई खुदवा दी। ताकि उस खाई को ही भविष्य में नाले के रूप में दिखाकर सरकारी जमीन को निजी बताया जा सके। यह सारा प्रकरण जिला प्रशासन की जानकारी में होने के बावजूद कार्रवाई के नाम केवल लीपापोती कर रहे हैं।
गांवडी तालाब के निकट आईडीएसएमटी idsmt की जमीन और नालों पर हुए अतिक्रमण के मामले में अधिकारी एक नाले पर पांच फीट की की नाली खुदवाकर चुप बैठ गए। लेकिन किसी अधिकारी ने मल्हार बाग के विशाल नाले को जाकर तक नहीं देखा जिसे पूरी तरह भर दिया गया है। यह नाला रिकार्ड में सरकारी नाले के तौर पर दज्र है। जो रेलवे पटरी के नीचे से होकर गिन्दौर बाईपास सीसी रोड की पुलिया में होकर मल्हार बाग में प्रवेश करता है। जो मल्हार बाग से होते हुए चारदीवारी की मोखियों से बाहर निकलता है। जिसके लिए मल्हार बाग की चारदीवारी में सात मोखे बनाए हुए हैं।
ये आईडीएसएमटी के खसरा नंबर 265 की दक्षिण की अंतिम सीमा के किनारे होकर गांवडी तालाब में जाकर मिलता है। नाले के उत्तर में आईडीएसएमटी idsmt और दक्षिण में ओर राज्य सरकार का खसरा नंबर 267 है। इन सरकारी जमीनों के दक्षिण पूर्व में ये निजी खातेदारों की जमीनें हैं। लेकिन गत दिनों भू माफियाओं ने न केवल सरकारी नाले मिट्टी और मलबे से पूरी तरह बंद कर समतल दिया है। बल्कि इसके उत्तर की ओर आईडीएसएमटी कॉलोनी idsmt के खसरा नंबर 265 की करीब 2.5-3 बीघा खाली जमीन पर भी मलबा डालकर समतल दिया।
साथ ही कॉलोनी की बसावट के निकट मल्हार बाग की दीवार से तालाब तक एक बडी खाई खुदवा दी। जिससे आईडीएसएमटी कॉलोनी idsmt से रेलवे स्टेशन और वॉकिग ट्रेक पर जाने वाले तीन आम रास्ते बंद कर दिए। इन रास्तों पर नगर परिषद की ओर से आबादी सीमा तक पक्की सडकें बनाई हुई है। जबकि इसके आगे की जमीन का लेवल नीचा ओने से 2004 में इस जमीन पर प्लानिंग नहीं की गई। यहां खाई खोदे जाने से लोगों का रेलवे स्टेशन ओर वॉकिंग ट्रेक की ओर जाने का रास्ता बंद हो गया जिससे लोग परेशान हैं।
लाखों रूपए खर्च किए सरकार ने नाले पर
मल्हार बाग से होकर गुजर रहे बरसाती नाले में रायपुर की ओर से पहाडियों का बरसाती पानी तेज बहाव से आता है। जो बाग के बीच में होकर गुजरता है। कृषि विज्ञान केन्द्र kvk यहां खेतों में शोध कार्य के लिए बोई फसल और पैड पौधों को नाले के बहाव से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए निकासी के प्रबंध पर लाखों रूपए खर्च करता है। हाल ही में सलोतिया पंचायत से नरेगा के तहत इस नाले से जल संचय और सफाई पर लाखों रूपए खर्च किए गए है। बारिश में तेज जल बहाव की स्थिति में नाले का मार्ग अवरूद्ध होता है तो न केवल मल्हार बाग में फसल और वनस्पति में पानी भरेगा बल्कि यह पानी आसपास की बस्तियों को भी जलमग्न कर सकता है। साथ पानी के वेग से मल्हार बाग की चारदीवारी भी टूट सकती है।
उच्च न्यायालय को चुनौति abdul rahman bnam rajasthan sarkar
राजस्थान उच्च न्यायालय highcourt की जोधपुर खंडपीठ ने नदी, तालाब, नाले, जोहड आदि जल भराव और बहाव क्षेत्र की भूमि पर अतिक्रमण के मामलों में स्पष्ट गाइडलाइन दी है। जिसमें राजस्थान सरकार को अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय करते हुए अतिक्रमी के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
अब्दुल रहमान बनाम राजस्थान राज्य abdul rahman bnam rajasthan sarkar प्रकरण में न्यायालय highcourt ने ऐसी भूमियों पर अतिक्रमण रोकने और हो चुके अतिक्रमण को हटाने के लिए मुख्य सचिव को ग्राम स्तर तक स्थाई तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए हैं। जिला कलक्टर के संरक्षण में सार्वजनिक भूमि संरक्षण प्रकोष्ठ (पीएलसीसी) बनाने का आदेश दिया था। जिसमें अतिक्रमण की जांच कर उसे तुरंत हटाने और अतिचारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के आदिश दिए गए हैं। ऐसी शिकायतों और सूचनाओं पर तुरंत स्पीकिंग आदेश जारी कर कार्रवाई की जाए और की गई कार्रवाई से शिकायत या सूचनाकर्ता को अवगत कराया जाए ताकि ऐसे प्रकरण जनहित याचिकाओं के माध्यम से न्यायालय तक आने की आवश्यकता समाप्त हो।
इतना ही नहीं न्यायालय ने abdul rahman bnam rajasthan sarkar जल बहाव के नदी नाले और जलभराव वाली जमीनों पर 1947 के बाद की स्थिति में पूर्ण रूप से राज्य सरकार का ही स्वामित्व माना है। इसके बाद ऐसी भूमियां पर पेटा काश्त जैसे अस्थाई पट्टों के किए गए नियमन को पूर्ण गैर कानूनी मानते हुए राज्य सरकार को निरस्त कर इस में शामिल सरकारी अधिकारी व कार्मिकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाइ्र के आदेश दिए हैं। जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से न्यायालय highcourt की मंशानुरूप समय समय पर कई परिपत्र जारी किए जा चुके हैं।
टाउन प्लानर townplaner ने पूछा था एक लाख 4 हजार फीट भूमि के बारे में
नगर परिषद की आईडीएसएमटी idsmt योजना की प्लानिंग के लिए रायपुर के खसरा नंबर 265 की 9.18 बीघा जमीन सहित झालावाड शहर की भूमि नगर परिषद को आवंटित की गई थी। जिसमें संभवतया खसरा नंबर 265 का मलहार बाग की गांवडी तालाब वाली साइड से लगा एक हिस्सा खाली छोड दिया गया था। इस हिस्से का लेवल काफी नीचे है और तालाब के भराव के निकट है। कॉलोनी की प्लानिंग के दौरान उप नगर नियोजक townplaner ने जनवरी 2006 को नगर पालिका आयुक्त को पत्र लिखा है। जिसमें पूछा है कि मानचित्र में योजना सीमा का क्षत्रफल 857587 वर्गफीट अंकित किया गया है। जबकि उपयोग में ली गई सीमा का क्षेत्रफल 753000 वर्गफीट आ रहा है। उप नगर नियोजक townplaner ने इस पत्र में पूछा है कि आवंटित और उपयोगित भूमि के क्ष्ेत्रफल में भिन्नता के बारे में स्थिति स्पष्ट करें और यदि अतिरिक्त भूमि उपलब्ध हो तो जानकारी में लाएं। लेकिन इसके जवाब में आयुक्त की ओर से भेजा गया कोई पत्र नगर परिषद के रिकार्ड में नहीं मिला।
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