नगर पालिका ने नपवाई अपनी जमीन, न अतिक्रमण हटाया न बोर्ड लगाया
jhalrapatan
श्री कल्याणराय मंदिर के निकट का मामला
झालावाड। झालरापाटन की दो प्रतिष्ठित फर्मों के बीच चर्चित भूमि विवाद के चलते नगर पालिका और राजस्व विभाग की टीमों ने मंगलवार को नगर परिषद के नाम दर्ज जमीन की पैमाईश की। इस दौरान एक पक्ष के लोगों ने टीम को पैमाइश करने से रोके जाने की भी जानकारी मिली। लेकिन न तो इस भूमि पर रातों रात बनाए गए गेट और दीवार को तोडा जा सका और न हीं भूमि के स्वामित्व का बोर्ड लगाया जा सका।
यहां श्री कल्याणराय मंदिर के निकट नगर सेठ के परिजनों ने शहर की प्रतिष्ठित फर्म एसएनएलसी को गिन्दौर गेट के निकट मंदिर और नगर परकोटे के बीच जमीन का बेचान किया था। जिस पर एसएनएलसी ने बिना कनवर्ट कराए बंगलों का निर्माण करा लिया। गिन्दौर गेट के निकट यहां रास्ते को लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद चल रहा था।
इस दौरान गत दिनों नगर सेठ परिवार के मोहित गुप्ता ने पुलिस अधीक्षक, जिला कलक्टर और नगर परिषद के अधिशासी अधिकारी को ज्ञापन दिया। जिसमें बताया कि पास में नगर पालिका के खाते की भूमि खसरा नंबर 471। 2538 है, जिसके 90 बी की कार्रवाई पूर्व में हो चुकी है। ये 90 बी की कार्रवाई मोहित गुप्ता के परिवार के खाते की भूमि पर उनके आवेदन पर हुई थी। लेकिन एसडीएम कोर्ट के दूसरे फैसले की आड में एसएनएलसी परिवार ने इस भूमि पर कब्जा कर लिया। इस पर रातों रात दीवार बनाकर दरवाजा लगा लिया। साथ ही पीछे के कुण्ड को भरकर अवैध निर्माण कराने की शिकायत की।
जिसके बाद नगर पालिका और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम में निर्मल खत्री, सुनील दुबे और सुनील प्रजापति ने मंगलवार को मौके पर जाकर नगर पालिका की 2700 वर्गफीट भूमि की पैमाइश कर चूने से लाइनिंग की। इस दौरान एक पक्ष की ओर से चूने की लाइनिंग करने पर विरोध जताया गया। लेकिन इसके बाद भी नगर पालिका ने गेट और दीवार को हटाकर इस भूमि को सुरक्षित करने का कोई प्रयास नहीं किया।
बिना निर्माण स्वीकृति बन गए बंगले
कृषि भूमि पर बिना निर्माण स्वीकृति के छोटे-छोटे घर बनाने वालों के खिलाफ आए दिन कार्रवाई करने वाली नगर पालिका से महज सौ मीटर दूर बिना भूमि कनवर्जन और निर्माण स्वीकृति लिए चार विशाल बंगलों का निर्माण कर लिया गया। लेकिन नगर पालिका पूरे निर्माण काल के दौरन इन अवैध निर्माण को रोकने का साहस नहीं जुटा पाई। इसमें नगर परिषद को भू कनवर्जन और निर्माण स्वीकृति से एक रूपए का राजस्व प्राप्त नहीं हुआ। दूसरी ओर अब पालिका की 2700 वर्गफीट भूमि दांव पर है। नगर परिषद ने इसकी पैमाईश तो की लेकिन इस भूमि पर रातों रात बनाई दीवार और गेट को न तो तोडा और न ही अपने स्वमित्व का कोई बोर्ड लगाया।
-नगर पालिका की भूमि को नपवाने के लिए भेजा था। लेकिन दोनांे पक्षों ने आपस में बैठकर सुलह करने की बात कही है। इस बीच जो भूमि नगर परिषद की होगी उसे सुरक्षित कर लिया जाएगा।
हेमेन्द्र सिंह
अधिशासी अधिकारी, झालरापाटन नगर पालिका
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