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फिर ताइवान को डराने की साजिश, ड्रेगन की मिलिट्री ड्रिल और धमकियां

Taiwan 

-ताईवान के ईर्द-गिर्द मिलिट्री ड्रिल को चीन की सेना ने बताया  

-अलगाववादी हरकतों की सख़्त सज़ा

चीन गुरुवार से ताईवान के आसपास के समुद्री इलाकों में दो दिवसीय मिलिट्री ड्रिल कर रहा है। इस बहाने चीन की सेना ताईवान को खुले आम धमका भी रही है। चीन की सेना ने इस ड्रिल को अलगाववादी गतिविधियों यानी चीन की मर्जी के खिलाफ अपनी सरकार ख़ुद चलाने वाले ताइवान  के लिए सख़्त सज़ा बताया है। जबकि ताइवान चीन के दबाव के बावजूद खुद को एक अलग और स्वतंत्र भौगोलिक इकाई के तौर पर देखता है। ताइवान के मिलिट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस ड्रिल को वे ज्यादा गंभीरता से लेते है। क्यांेकि आर्थिक नाकाबंदी करने के बजाय चीन पहली बार व्यापक हमले की तैयारी के लिहाज से अभ्यास कर रहा है।  

चीन ये ड्रिल ऐसे मौके पर कर रहा है जब ताइवान के नए राष्ट्रपति विलियम लाई ने तीन दिन पहले ही जिम्मेदारी संभाली थी। चीनी सेना के जवाब में विलियम लाई ने भी चीन से कहा था कि वो ताइवान को धमकियां देना बंद करे और उसके लोकतंत्र के अस्तित्व को स्वीकार करे।

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने भी इसकी आलोचना की इसे बेतुकी उकसावे की कार्रवाई बताते हुए कहा कि ताइवान ने अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए नौसेना, वायुसेना और आर्मी को तैनात किया है।  

चीन ताइवान की मुख्य भूमि के आस-पास सभी जगहों पर ये सैन्य अभ्यास कर रहा है। पहली बार ताइवान के नियंत्रण वाले द्वीप किनमेन, मात्सु, वुकियु और डॉन्गियिन सहित कुछ द्वीपों को भी निशाना बनाया जा रहा है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से ज़ारी किए गए नक़्शों के अनुसार, ये द्वीप चीन के सागर तट के क़रीब हैं। 

ताइवान के पूर्व में भी चीन ने सैन्य अभ्यास किया जो पहाड़ों के दूसरी ओर स्थित द्वीप का ऊबड़-खाबड़ तट है। ये लंबे समय से ताइवान की सेना का मजबूत पक्ष रहा है। ताइवान ने अपना ज़्यादातर मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर इसी पूर्वी तट के पास मजबूत कर रखा है। इसमें एक पहाड़ी के भीतर अंडरग्राउंड मिलिट्री एयरबेस भी है जो हुआलीन शहर के पास है।

ये जापान के दक्षिणी द्वीपों के क़रीब पड़ता है जो उस तक कुमुक (सैन्य मदद) पहुंचने का कुदरती रास्ता भी है। ताइवान के पूरब में अपनी नौसेना और वायुसेना के गश्ती दलों को भेजकर चीन का इरादा ये संकेत देना है कि उसका पूर्वी इलाका चीनी हमलों से महफूज नहीं है।

वो अमेरिका को भी ये संदेश देना चाहता है कि पूरब के रास्ते ताइवान को किसी भी तरह की सैन्य मदद भेजने की कोशिश को चीनी मिसाइल और नौसैनिक हमलों के ख़तरे का सामना करना होगा।

चीनी आर्मी ने गुरुवार को कहा है कि उसके मिलिट्री ड्रिल का फ़ोकस समंदर और हवा के रास्ते हमला करने में सक्षम गश्त करने, मुख्य लक्ष्यों पर अचूक निशाना लगाने, ताइवान के अंदर और बाहर इंटीग्रेटेड ऑपरेशन चलाने की तैयारियों का जायजा लेना है ताकि उसके सैन्य बलों की एक साथ युद्ध लड़ने की क्षमताओं को परखा जा सके। चीनी आर्मी ने ये भी कहा ये मिलिट्री ड्रिल ताइवान इंडीपेंडेंस फोर्सेज़ की अलगाववादी गतिविधियों के लिए एक सख़्त सज़ा और बाहरी ताक़तों द्वारा की जा रही दखलंदाज़ी और उकसावे की कार्रवाई के ख़िलाफ़ कड़ी चेतावनी है।

इस बीच चीन के विदेश मंत्रालय ने इसे चीन की राष्ट्रीय संप्रभुता की सुरक्षा के लिए एक ज़रूरी और वैध कदम बताया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ताइवान चीन के भूभाग का एक अविभाज्य अंग है। ये एक ऐतिहासिक तऔर यथार्थपरक तथ्य है जो भविष्य में भी नहीं बदलेगा। ताइवान की आज़ादी नाकाम होने के लिए अभिशप्त है। 

ताइवान के मीडिया ने मिलिट्री एक्सपर्ट चीयेह चुंग के हवाले से कहा है कि चीन के इस मिलिट्री ड्रिल का मक़सद ताइवान पर व्यापक हमले की तैयारी करना है। 

बीते पूरे साल चीन ने कई बार ऐसे सैन्य अभ्यास किए जिसमें लड़ाकू विमानों और नौसैनिक जहाजों से ताइवान की घेराबंदी की गई थी।

ताइवान का कहना है कि लाई के कार्यकाल शुरू होने से पहले के दिनों में ताइवान के जल और हवाई क्षेत्र में घुसपैठ में वृद्धि हुई है।

अमेरिकी कांग्रेस की तत्कालीन स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइपेई दौरे के बाद चीन ने अगस्त, 2022 में पहली बार ताइवान की घेराबंद वाले सैन्य अभ्यासों की शुरुआत की थी। इस सैन्य अभ्यास में चीन ने जहाजों, लड़ाकू विमानों और मिसाइल हमलों की मदद से ताइवान की नाकाबंदी कर दी थी।

बीते सोमवार को राष्ट्रपति विलियम लाई ने अपने कार्यकाल के पहले संबोधन में कहा कि चीन ताइवान को धमकी देना बंद करे। चीन ने इस भाषण की निंदा की। उसके विदेश मंत्री वांग यी ने ताइवान के राष्ट्रपति विलियन लाई के बयान को शर्मनाक बताया। जनवरी में विलियम लाई की चुनावी जीत के बाद बीजिंग ने एक बयान जारी कर दोहराया कि ताइवान चीन का हिस्सा है। इतना ही नहीं ताइवान की तरफ़ बातचीत के लिए विलियम लाई की पेशकश को भी चीन ने ठुकरा दिया था। 

चीन ने इससे पहले विलियम लाई को एक अलगाववादी और परेशानी पैदा करने वाला शख़्स करार दिया था। इसकी वजह ये थी कि विलियम लाई अतीत में ताइवान की आज़ादी के समर्थन में बयान देते रहे हैं।

ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि गुरुवार का सैन्य अभ्यास चीन की लड़ाकू प्रवृति की मिसाल है। हाल के वर्षों में चीन के विमानों और समुद्री जहाज़ों ने वैश्विक शांति और स्थिरता को नुक़सान पहुँचाया है।

हालांकि चीन और ताइवान के बीच व्यापार चालू है लेकिन उनके बीच अब कोई औपचारिक बातचीत नहीं होती है। सारी दुनिया चीन को कूटनयिक मान्यता तो देती है पर ताइवान को नहीं। विश्लेषकों का कहना है कि शी जिनपिंग के दौर में चीन ने ताइवान पर अपने दावे को जोर-शोर दुनिया के सामने रखा है। शी जिनपिंग हमेशा कहते रहे हैं कि एक न एक दिन ताइवान का चीन में विलय होगा। ताइवान के चुनावों से पहले, पिछले साल दिसंबर में भी शी ने ये बात दोहराई थी।

अब तक ताइवान के ईर्द-गिर्द चीन का सैन्य अभ्यास ग्रे ज़ोन तक ही सीमित रहा है और इसे ताइवान पर हमला नहीं माना जा सकता। 

ग्रे ज़ोन में युद्ध अभ्यास का मक़सद अपने विरोधी को लंबे युद्ध में उलझा कर कमज़ोर करना है। उनके अनुसार, चीन ताइवान के साथ यही कर रहा है।

ये है चीन और ताइवान के रिश्तों का गणित

चीन के निकट समुद्री सीमा से घिरे ताइवान को चीन अपना विद्रोही प्रांत मानता है। चीनका कहना है कि ताइवान का चीन में विलय होना चाहिए। इसके लिए चीन ताक़त का इस्तेमाल करके भी ताईवान पर कब्जा करने का इरादाा रखता है। जबकि ताईवान खुद को एक स्वतंत्र लोकतंत्र मानता है।  ताईवान का अपना संविधान, लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए नेता और करीब तीन लाख सैनिक हैं। 

 

हालांकि ताइवान को बहुत कम देश मान्यता देते हैं। अधिकतर मुल्क चीन को ही मान्यता देते हैं। अमेरिका के ताइवान के साथ कोई अधिकारिक संबंध नहीं हैं, लेकिन अमेरिका में एक कानून है जिसके तहत उसपर ताइवान की हिफ़ाज़त का जिम्मा है।

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Pradyumn Sharma: A Dedicated Voice in Journalism Pradyumn Sharma is a prominent journalist known for his significant contributions to the field of journalism through his work with "Styarth Kranti," a media outlet dedicated to spreading awareness about important societal issues. With a keen sense of investigative reporting and a passion for uncovering the truth, Sharma has made a name for himself as a reliable source of information.


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