भारत में बंद हुआ अफगानी दूतावास, गिनाए तीन कारण
नई दिल्ली ( एजेंसी )। नई दिल्ली में चल रहे अफगानी दूतावास को रविवार से बंद कर दिया गया है। अफगानी दूतावास ने अपना कामकाज बंद करने के तीन कारण गिनाए हैं। जिसमें मुख्य रूप से अफगानिस्तान में वैध सरकार नहीं होने से उनके देश और भारत की ओर से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाने का कारण बताया गया। अफगानिस्तान के दूतावास ने शनिवार देर रात इस मामले में आधिकारिक घोषणा की थी। जिसमें बताया कि भारत में उनका दूतावास एक अक्टूबर 2023 से काम करना बंद कर देगा। हालांकि अफगान नागरिकों के लिए इमर्जेंसी सेवाएं चालू रहेंगी।
अफगानी दूतावास की ओर से जारी तीन पन्नों के बयान में इसके तीन कारण गिनाए।
1 ़ दूतावास ने कहा कि भारत की तरफ से कूटनीतिक सहयोग न मिल पाने और अफगानिस्तान में एक वैध सरकार न होने के कारण वे अफगानिस्तान या अफगान नागरिकों की जरूरतों और हितों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
2 ़ मेजबान मुल्क की तरफ से हमें कोई खास मदद नहीं मिल रही है। जिस कारण हम अपना काम कारगर तरीके से नहीं कर पा रहे हैं।
3 ़कर्मचारियों की संख्या और संसाधनों में कमी के कारण हमारे लिए काम जारी रखना एक चुनौती बन गया है। राजनयिकों के वीजा रीन्यूअल से लेकर दूसरे कामकाज में हमें वक्त पर जरूरी मदद नहीं मिल रही। जिस कारण टीम की परेशानी बढ़ रही है।
भारत को सौंपे जाएगी संपत्ति
भारत और अफगानिस्तान के बीच विएना संधि के मुताबिक दूतावास की संपत्ति और सुविधाएं भारत को सौंपे जाएंगे। हालांकि दूतावास ने भारत सरकार से आग्रह किया कि दूतावास की संपत्ति पर अफगान झंडे को लहराने दिया जाए। साथ ही संपत्ति को सही तरीके से काबुल में वैध सरकार को हस्तांरित किया जाए। साथ ही दूतावास ने भारत में रहने वाले अफगान नागरिकों के प्रति चिंता जताई।
वाणिज्य दूतावास जारी रहेंगे
अफगानिस्तान के दूतावास ने अपने बयान में यह भी कहा है कि भारत के मुंबई और हैदराबाद में स्थित अफगानिस्तान के वाणिज्य दूतावासों ने अपना कामकाज जारी रखने की घोषणा की है। लेकिन नई दिल्ली दूतावास ने स्पष्ट किया है कि ये दोनों वाणिज्य दूतावास जो फैसला लेंगे वो अफगानिस्तान में चुनी हुई और वैध सरकार के उद्देश्यों के तहत नहीं होगा। बल्कि उनका काम काज अफगानिस्तान में मौजूद गैरकानूनी सत्ता के हितों में भागीदार होगा। शुक्रवार को एक बयान में दोनों वाणिज्य दूतावासों ने दिल्ली में मौजूद अफगानिस्तान के दूतावास के बंद होने की खबर को अफवाह बताया था। साथ ही कहा था कि मुंबई और हैदराबाद में मौजूद अफगान वाणिज्य दूतावास स्वतंत्र रूप से सेवा करने के लिए तैयार हैं।
बाईस साल से चल रहा था दूतावास
अफगानिस्तान में 2001 से पूर्व भी तालिबान की सत्ता थी। तालिबान के सत्ता से हटने के बाद मार्च 2002 में भारत ने काबुल में अपना दूतावास खोला था। जबकि मजार-ए-शरीफ, हेरात, कंधार और जलालाबाद में वाणिज्य दूतावास भी खोले। लेकिन अगस्त, 2021 में तालिबान ने फिर से अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया और अशरफ गनी सरकार से सत्ता से बाहर कर दिया। इसके बाद रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान जैसे कुछ देशों को छोडकर अधिकांश देशों ने उनके यहां स्थित अफगानी दूतावासों में तालिबान की अवैध सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों को अस्वीकार कर दिया। भारत में वर्ष 2020 में तालिबान से पूर्व गनी सरकार के नियुक्त किए राजदूत फरीद मामुन्दजई ही पिछले तीन साल से कार्यरत थे। इधर भारत ने भी तालिबान के कब्जे के बाद काबुल में स्थित भारतीय दूतावास को अस्थाई तौर पर बंद कर दिया था। लेकिन साल भर बाद मानवीय सहायता के लिए एक टेक्निकल टीम भेजकर और राजनयिक उपस्थिति फिर से स्थापित की।
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