एक हजार में 15 बच्चों को जन्मजात होती हैं ये खतरनाक बीमारी, झालावाड़ के साढे पांच लाख बच्चों की होगी जांच
congenital-heart-disease
हृदय रोगी बच्चों की २ डी इको कराएगा स्वस्थ्य विभाग विभाग
कंजनाईटल हार्ट डीजिज congenital-heart-disease के बारे में डॉ मयंक शर्मा ने किया प्रशिक्षित
झालावाड़ । किशोर अवस्था में हार्ट अटैक के मामले कुछ सालों से बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। एक हजार पर १५ बच्चों को जन्म से ही मिलने वाली बीमारी congenital-हार्ट disease से निपटने के लिए झालावाड के चिकित्सा विभाग ने कमर कस ली है। विभाग राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत नवजात से लेकर 18 वर्ष के बच्चों की जांच कराएगा जिसमें कंजनाईटल हार्ट डीजिज congenital-heart-disease के अलावा अन्य चुनिन्दा बीमारियों की जांच की जाएगी। इसके बाद हृदय रोग के लक्षण वाले बच्चों को तुरंत उपचार मुहैया कराया जाएगा।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत मुख्यतः 4 डी कन्सेप्ट पर कार्य किया जाएगा। जिसमें आंगनबाडी केन्द्रों, राजकीय विद्यालयों व राजकीय वित्त पोषित विद्यालयों के बच्चों की स्क्रीनिंग होगी। इस कार्यक्रम के माध्यम से जिले के करीब 5 लाख 70 हजार बच्च्चों के स्वास्थ्य परिक्षण का लक्ष्य है।
यह है कार्यक्रम
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. साजिद खान ने बताया कि आजकल वर्तमान में युवा व किशोरावस्था में हार्ट अटैक के ज्यादा कैस आ रहे है। जिसे देखते हुये जिले में विशेष कार्य योजना तैयार की गई है। जिसके अन्तर्गत सेटेलाईट चिकित्सालय झालरापाटन में 2 डी इको जॉच सुविधा आरम्भ की जावेगी। जिससे युवा, किशोर व वयस्क हृदय रोगियों की जॉच सुविधा यही मिलने लगेगी। साथ ही जिला स्तर पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए कन्ट्रोल रुम स्थापित किया जाएगा। जिसमें स्क्रीनिंग किये गये बच्चों के परिजनों को उच्च उपचार के लिये उचित परामर्श प्रदान करंेगे।
प्रशिक्षण दिया
स्वास्थ्य भवन सभागार में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. साजिद खान की अध्यक्षता में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा बैठक कम प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश कुमार नागर, पीएमओ सेटेलाईट चिकित्सालय डॉ. एच.पी. लकवाल, फिजीशियन डॉ. मयंक शर्मा, डॉ. रामबिलास मीणा, ओरल हाईजीनिसट राजकुमार शर्मा, सभी ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं सभी आर.बी.एस.के. टीम के चिकित्सक एवं फार्मासिस्ट ने भाग लिया।
ये हैं लक्षण
सेटेलाईट चिकित्सालय फिजिशियन डॉ. मयंक शर्मा ने कंजनाईटल हार्ट डीजिज congenital-heart-disease के बारे में बताया कि स्क्रीनिंग के समय आने वाले बच्चों में सांस फूलना, हृदय गति का कम महसूस होना, ग्रोथ डिले, हाईट-वेट का कम होना, बार-बार इंफेक्शन होना, शरीर में नीला पन होना, थकान होना, पैरो में सूजन आना आदि लक्षण होते है। जिन्हे स्क्रीनिंग कर उच्च चिकित्सा संस्थानों पर उचित उपचार हेतु रैफर किया जाएगा।
कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज congenital-heart-disease क्या है
किसी भी बच्चे के जन्म के समय उसके हार्ट में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी होने पर इस स्थिति को कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज congenital-heart-disease कहा जाता है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चे के दिल की बाहरी परत यानी दीवार, हार्ट वाल्व और ब्लड वैसल्स ज्यादा प्रभावित होते हैं। इस बीमारी की वजह से शरीर में रक्त प्रवाह सही तरीके से नहीं हो पाता है, जिसकी वजह से दिल में ब्लॉकेज की समस्या भी होने लगती है। कई गंभीर मामलों में तो इस बीमारी से पीड़ित बच्चे की जान तक चली जाती है। ऐसे में सही समय पर इस बीमारी पहचान कर उचित इलाज से इससे बचा जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार एक हजार पर 15 बच्चे इस से पीड़ित पाए जाते हे .
कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के कारण
कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज कई कारणों के चलते हो सकती है। खासतौर पर दिल के विकास के दौरान हार्ट से जुड़ी किसी समस्या की वजह से यह बीमारी हो सकती है। इसके अलावा अन्य कई कारणों से भी जन्म के समय यह बीमारी हो सकती है। इसके प्रमुख कारणों में से कुछ निम्न हैं-
-हार्ट डिजीज से जुड़ी कोई फेलिमी हिस्ट्री
-गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाओं की वजह से भी यह बीमार हो सकती है।
-प्रेग्नेंसी के समय शराब या ड्रग्स आदि का सेवन
-गर्भावस्था के दौरान वायरल संंक्रमण हो जाना
-शरीर में ब्लड शुगर लेवल का अधिक होना
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