स्वीपर और चतुर्थ श्रेणी का लेबर रूम में क्या काम, अब बच्चा बदलने के प्रकरण में खोनी पडी नौकरी
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-झालावाड़ एसआरजी अस्पताल के जनाना अस्पताल का मामला
झालावाड़। झालावाड एसआरजी हॉस्पिटल के जनाना अस्पताल के लेबर रूम में बच्चे बदलने के मामले में जांच के बाद अस्पताल प्रशासन ने एक स्वीपर और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को नोकरी से हटा दिया। जांच कमेटी में पाया कि प्रसव की प्रक्रिया में इनका कोई काम नहीं होने के बावजूद ये दोनों लेबर रूम में काम कर रहे थे। अस्पताल प्रशासन ने लेबर रूम के स्टाफ को भी बदल दिया है।
अस्पताल में बुधवार को पनवाड क्षेत्र के मोहन पुर निवासी दीपचंद की पत्नी और गंाव कूकडा निवासी एक अन्य प्रसूता के प्रसव हुआ था। लेबर रूम के कर्मचारियों ने इनके बच्चों को बदल दिया और परिजनों को सौंप दिया। बच्चों के टैग लगाने में भी गलती हुई। जब परिजनों को इस बात का अहसास हुआ तो उन्होंने स्टाफ को सूचित करते हुए हंगामा कर दिया। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन को गलती का अहसास हुआ और दो घंटे बाद वापस बच्चें को बदलकर परिजनों को सौपा।
जांच कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई
प्रशासन ने जांच के लिए चार सदस्यों की कमेटी बनाई थी। जिसकी रिपोर्ट के बाद एक स्वीपर, एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को हटा दिया। जबकि लेबर रूम में प्रसव कराने से लेकर बच्चे परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया में इन दोनों को कोई काम ही नहीं है। जांच कमेटी के सामने इन दोनों ने स्वीकार किया कि इन दोनों का प्रसव की प्रक्रिया में कोई काम नहीं है। इसके बावजूद ये लेबर रूम में काम करते हैं और इस प्रक्रिया में उनका दखल था।
जिम्मेदारों का केवल स्थान बदला
लेबल रूम में प्रसव कराने से लेकर बच्चा परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया में उपस्थित गायनी चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ की जिम्मेदारी होती है। प्रसव के बाद बच्चे के पैर पर टैग लगाया जाता है जिसमें माता-पिता का नाम, बच्चे का लिंग, वजन आदि लिखा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में स्वीपर और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का कोई काम नहीं होता बल्कि इस काम को प्रशिक्षित स्टाफ द्वारा ही किया जाता है। लेकिन अस्पताल में ये दोनों लेबर रूम में वो काम कर रहे थे जो इनका है ही नहीं। जबकि इस काम के लिए जिम्मेदार नर्सिंग स्टाफ को सजा दस तोर पर केवल इनका स्थान बदला गया।
ये थी घटना
गंाव कूकडा निवासी निशिका ने बताया कि उसकी बहन के प्रसव के दौरान बेटी हुई लेकिन उन्हें बेटा दे दिया। इसी तरह पनवाड क्षेत्र के मोहन पुर निवासी दीपचंद ने बताया कि उसकी पत्नी के प्रसव के दौरन बेटा हुआ था। लेकिन उसे बेटी दे दी गई। जिससे वे संदेह में आ गए। बाद में दो घंटे बाद उसे बेटा दिया गया। अब वे संदेह में हैं कि उनका बच्चा कौनसा है।
इनका प्रसव में कोई काम नहीं
-इस मामले में चार सदस्यों की जांच कमेटी गठित की थी। जिसमें आई रिपोर्ट के आधार पर दो कर्मचारियों को नोकरी से हटा दिया है व बाकी स्टाफ को बदल दिया। स्वीपर और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उनकी ड्यूटी नहीं होने के बावजूद बच्चे परिजनों को सौपने का काम किया।
रविन्द्र मीणा, अधीक्षक, जनाना अस्पताल झालावाड।
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