जब दवाओं की सीमा समाप्त हो जाए तब इस थेरेपी से होगा आपका इलाज
Physiotherapy
मांस पेशियों और न्यूरो सिस्टम की रिकवरी का अचूक इलाज
डॉ प्रियंका जैन
सुभाष कॉलोनी झालावाड़, मो. -7014717796
( लेखिका अनुभवी फिजियिथेरेपिस्ट है जो अब तक हजारों रोगियों को असाध्य रोगों से मुक्ति दिला चुकी है। )
फिजियोथेरेपी यूं तो आधुनिक चिकित्सा पद्धति मानी जाती है, लेकिन वास्तव में ये भारत में सदियों से चले आ रहे प्रचीन चिकित्सा पद्धतियों के ज्ञान व नई तकनीक का अधुनिक मेल है। जिसमें मालिश, कसरत, तापमान व मांसपेशियों में कंपन के जरिए उन रोगों से राहत दिलाई जा सकती है जहां दवाओं की सीमा समाप्त हो जाती है। आजकल अत्याधुनिक मशीनों के जरिए असाध्य रोगों का उपचार किया जा रहा है।
फिजियोथेरेपी ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो कई तरह की रिकवरी के साथ शरीर की जकड़न को दूर कर सकती है। दर्द या शरीर की जकड़न का इलाज सिर्फ दवा से ही संभव नहीं होता, इसके अलावा फिजियोथेरेपी से ही शरीर की जकड़न और दर्द को कम किया जा सकता है। फिजियोथेरेपी एक ऐसी तरह की थेरेपी होती है, जो मेडिकल साइंस का ही एक हिस्सा है। इसमें इलाज के कई तरीके होते हैं, जिसमें हाथों की कसरत, एक्सरसाइज, दर्द से रिलीफ मूवमेंट के दर्द को दूर करने में मदद मिलती है। देखा जाए तो फिजियोथेरेपी का मुख्य उद्देश्य शरीर के रोगों को जानकार रोगी को उससे मुक्ति दिलानी है।
इन रोगों में कारगर है फिजियोथेरेपी
फिजियोथेरेपी मांसपेशियों, जोड़ों और हड्डियों के साथ दिल और दिमाग और न्यूरोसिस्टम को हेल्दी रखने में काफी मददगार है। साथ ही इससे जुडी बीमारियों में रिकवरी के लिए यही एक मात्र माध्यम है। इनके इलाज के दौरान जब दवाओं की सीमा समाप्त हो जाती है तभी फिजियो थेरेपी का महत्व शुरू होता है।
इन रोगों में कारगर
-सर्वाइकल स्पॉनडिलाइटिस
-लम्बर स्पॉनडिलाइटिस
-सर्वाइकल नेक पेन
-गठिया की समस्या और जोडों या घुटनों का दर्द
-कमर और गर्दन के दर्द के साथ शरीर की जकड़न
-लकवा ग्रस्त अंगों की सक्रियता और संवेदनशीलता बढाने में आवश्यक
फिजियोथेरेपी के फायदे
-फिजियोथेरेपी से दर्द को बिल्कुल खत्म या कम किया जा सकता है.
-मसल्स को लचीला बनाने के लिए फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है.
-जोड़ों का दर्द कम होता है, और उनमें फिर से जान आ जाती है.
-शरीर में एनर्जी बनी रहती है.
-शरीर की सक्रियता बढ़ जाती है
-लगातार दवाओं के सेवन से बचा जा सकता है
तापमान, कंपन, मसाज और व्यायाम की भूमिका
इसमें प्रभावित अंगों की मशीनों के जरिए सिकाई, वाईब्रेशन, मसाज सहित जरूरत के अनुसार उपकरणों के जरिए खास व्यायाम के माध्यम से इलाज किया जाता है। फिजियोथेरेपी किस तरह से करनी है, वो मरीज की स्थिति और उम्र को देखकर की जाती है। शरीर की जकड़न को दूर करने के लिए और मांसपेशियों को फिर से एक्टिव करने के लिए एक्टिव मूवमेंट फिजियोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। कंटीन्युअस पैसिव फिजियोथेरेपी में मरीज का इलाज हीट से जरिए किया जाता है, जिसमें मशीनों का इस्तेमाल होता है। मरीज के शरीर में कड़ेपन को जब गर्मी देकर हिलाते-डुलाते हैं, तो उसमें पैसिव मूवमेंट फिजियोथेरेपी की मदद ली जाती है।
मनोरोग और तंत्रिका रोगों में ऐसे करती है मदद
फिजियोथेरेपी में कई प्रकार के व्यायाम और शरीर की संवेदनशीलता को बढाने में तकनीक का प्रयोग कतर है। जिससे शरीर में रक्तसंचार, और संवेदनशीलता के साथ समग्र कार्यक्षमता बढती है और मस्तिष्क इन सब तरीकों से उत्तेजित होता है। शरीर में विभिन्न मशीनों के जरिए दर्द, कंपन, स्पंदन, ताप, ठंडक मिलती है तो मस्तिष्क ओर उस अंग से जुडे अंगों के तंत्रिका सिस्टम में तेजी से संवेदनाओं के उतार चढाव होते हैं।
इस दौरान मस्तिष्क शारीरिक चुनौतियों को सहन करता है। जिससे मस्तिष्क की शरीर के साथ नए कनेक्शन को बनाने की क्षमता को बढ़ाता है। यह न्यूरोप्लास्टिसीटी संज्ञानात्मक विकास और मस्तिष्क की चोटों के बाद रिकवरी की आधारशिला है।
मस्तिष्क की चोट में, फिजियोथेरेपी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह मस्तिष्क को पुनः प्रशिक्षित करने में सहायता करती है। जिससे मरीज को खोए हुए मोटर स्किल्स, स्पीच और अन्य फंक्शंस को वापस पाने में मदद मिलती है। फिजियोथेरेपी शरीर और मस्तिष्क दोनों पर ध्यान केंद्रित कर, व्यक्ति को स्वस्थ जीवन जीने में मदद करती है।
कई बार लंबे समय से चला आ रहा दर्द मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगता है। चिडचिडापन और अवसाद जैसी दिमागी बीमारी का कारण बन सकता है। डिप्रेशन और एंजायटी जैसी स्थितियां शारीरिक दर्द की स्थिति में अधिक बढ सकती हैं। ऐसे में फिजियोथेरेपी क्रॉनिक पेन के साथ मस्तिष्क रोगों को धीरे-धीरे कम कर देता है।
यह एक्सरसाइज बेस्ड थेरेपी है, जिसमें व्यक्ति थेरेपी पूरा करने के बाद अधिक एक्टिव और एनर्जेटिक हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति को पैर या हाथ में चोट है वह सावधानी वश पूरे शरीर की सक्रियता को कम कर देता है। जिससे एक अंग के साथ रोगी का पूरा शरीर निष्क्रिय हो जाता है। लेकिन फिजियोथेरेपी से इस अंग के साथ पूरा शरीर सक्रिय होता है।
शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने से नींद की गुणवत्ता बढ़ जाती है साथ ही तनाव से राहत मिलता है। स्टैमिना और ऊर्जा शक्ति में भी सुधार होता है और मूड बेहतर होता है। वहीं वेट मैनेजमेंट में मदद मिलती है। यह सभी स्थितियां मेंटल हेल्थ को इंप्रूव करने में आपकी मदद कर सकती हैं।
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