clinical establishment act : आवेदन करो और करा लो पंजीकरण, दस्तावेज दिखाने न संसाधन !
clinical establishment act : क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट बना मजाक
झालावाड। झोलाछाप चिकित्सकों पर नियंत्रण और चिकित्सा में गुणवत्ता और जवाबदेही लाने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से लागू किया गया clinical establishment act क्लिनिकल एस्टेबलिशमेन्ट एक्ट झालावाड जिले में मजाक बनकर रह गया है। जिले का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बिना दस्तावेजोें की जांच और भौतिक सत्यापन किए इस एक्ट के तहत धडल्ले पंजीकरण और उनका नवीनीकरण कर रहा है।
किसी भी चिकित्सालय या क्लीनिकल जांच प्रयोगशाला चलाने के लिए संचालक के लिए इस एक्ट के तहत पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। जिसका आवेदन ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से कर सकता है। जिसके आवेदन में आउटडोर, इनडोर, बेड क्षमता, रोग उपचार की श्रेणियां, प्रयोगशालाओं की श्रेणियां, चिकित्सा पद्धति और थेरेपी की श्रेणी का उल्लेख करना होता है। जिसके बाद पंजीकरण तो तुरंत मिल जाता है लेकिन उल्लेखित श्रेणी में सक्षम होने के समस्त दस्तावेज ओर साक्ष्य उपलब्ध कराने होते हैं। इन दस्तावेजों के सत्यापन एवं संस्थान के भौतिक सत्यापन के बाद ही पंजीकरण को नियमित किया जा सकता है। लेकिन जिले में कई निजी अस्पताल ऐसे हैं जिनके विभाग ने तो दस्तावेज जांचे और न ही भौतिक सत्यापन किया। इसके बावजूद लगातार इनका नवीनीकरण भी किया जा रहा है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार विभाग ने अवैध भवन में चल रहे एक अस्पताल का पंजीकरण 100 बेड क्षमता और मल्टीस्पेशलिटी श्रेणी में महज आवेदन के आधार पर कर दिया। इसके पंजीकरण की प्रक्रिया के नाम पर विभाग के पास आवेदन के आलावा कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।
ये होने चाहिए दस्तावेज
1 ़ अस्पताल भवन के अधिकृत दस्तावेज जो निर्धारित श्रेणी में भू रूपांतरित हो।
2 ़ भवन का निर्माण चिकित्सालय भवन के अनुसार किया गया हो जिसमें दर्शाई गई बेड क्षमता, पार्किंग, वेंटिलेशन और अन्य सुविधा हो।
3 ़ चिकित्सालय में उपचार की श्रेणियों के अनुसार योग्य चिकित्सकों, नर्सिंग और तकनीकी स्टाफ के नियुक्ति और योग्यता दस्तावेज।
4 ़ चिकित्सालय में यदि सर्जरी की जाती है तो ऑपरेशन थियेटर और अन्य सुविधाएं। सर्जन और निश्चेतक चिकित्सक की नियुक्ति।
5 ़ पैथ लेब, एक्स रे, सोनोग्राफी आदि जांचों के लिए अलग अलग श्रेणी के
पंजीकरण और योग्य स्टाफ।
6 ़ बायोमेडिकल वेस्ट पंजीकरण।
7 ़ पर्यावरण स्वीकृति।
8 ़ फायर एनओसी
9 ़ दवा काउंटर के लिए फार्मा सर्टिफिकेट
10 ़ अस्पताल में पेन्ट्री या केन्टीन संचालित है तो आईएफएफसी पंजीकरण।
सेवा दे रहे हैं सरकारी चिकित्सक
झालावाड मेडिकल कॉलेज के एसआरजी चिकित्सालय के दर्जनों चिकित्सक ऐसे ही निजी अस्पतालों में अपनी पार्ट टाईम सेवाएं दे रहे हैं। एसआरजी चिकित्सालय के महज 17 चिकित्सक ही ऐसे हैं जो नॉन क्लीनिकल अलाउंस छोड रहे हैं। जबकि अन्य चिकित्सक भारी भरकम अलाउंस राशि उठाने के बावजूद निजी अस्पतालों में बेरोकटोक आउअडोर, ऑपरेशन थियटर और लेबर रूम में पार्ट टाइम सेवा दे रहे हैं। कई निजी अस्पताल इन्ही सरकारी चिकित्स्कों के भरोसे चल रहे है.
जिला कलक्टर की अध्यक्षता वाली समिति करती है पंजीकरण
इस एक्ट के तहत पंजीकरण का निर्णय जिला कलक्टर की अध्यक्षता में बनी पांच सदस्यीय समिति करती है। जिसमें सचिव मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सहित तीन अन्य सदस्य होते है। केन्द्र सरकार की ओर से इस एक्ट को लागू करने के बाद राज्य सरकार और से कई परिपत्र जिला समितियों के भेजे जा चुके हैं।
शिकायत मिली तो जांच करेंगे
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ साजिद खान का कहना है कि पांजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किए जाते हैं। इसी आधार पर पंजीकरण किए जाते हैं। विभाग के पास सरकारी योजनाओं के बहुत काम है। सभी का भौतिक सत्यापन संभव नहीं है। यदि कोई शिकायत आती है तो जांच करा ली जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना जितनी विभाग के पास उपलब्ध थी 8 पेज में उपलब्ध करा दी गई है। इसके अलावा विभाग के पास कोई दस्तावेज नहीं है।
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