पाइल्स-पिस्टूला का स्थाई इलाज है आयुर्वेद की इस थैरेपी में
ksharsootra
treatment
-आयुर्वेद की क्षार सूत्र पद्धति से होती है सर्जरी
-हजारांे रोगी हुए स्वस्थ
झालावाड। पाइल्स और पिस्टूला जैसे रोगों का ऐलोपैथी में उपचार कराकर जो रोगी थक चुके हैं तो उनके लिए ये जानकारी उत्साहजनक है। आयुर्वेद की क्षार सूत्र पद्धति से इन रोगों की सर्जरी करके स्थाई उपचार किया जा सकता है। इस पद्धति से हुई शल्य क्रिया के बाद जहां महज 15 दिन मंे रोगी स्वस्थ हो जाता है वहीं रोग की पुनरावृत्ति नहीं होती।
अस्त व्यस्त दिनर्चा, जीवन शैली और खानपान से जनित गुदा रोगों से आज लाखों लोग परेशान हैं। इनमें अर्श (पाइल्स) भगंदर (पिस्टूला) और परितर्तिका (फिशर ) जैसे हैं जो खाने में फाइबर की कर्मी, जंक फूड, मल्टी प्रोसेस्ड फूड, अत्यधिक मसाले और तला हुआ भोजन के अलावा अनियमित दिनचया इसके प्रमुख कारण है। जिनका सीधा सम्बन्ध रोगी की पाचन क्रिया और पाचन तंत्र से है। एैलोपैथी में लंबे उपचार और सर्जरी के बाद भी ये रोग वापस उभर जाते हैं। लेकिन आयुर्वेद में क्षार सूत्र पद्धति से हुई सर्जरी के बाद हजारों रोगियों को स्थाई निदान मिला है।
झालावाड आरोग्य मेले में आए क्षार सूत्र विशेषज्ञ डाॅ बीएल यादव बताते हैं कि इन रोगों के उपचार के लिए एलोपेथी में रोगी को लंबे समय तक एन्टीबायोटिक और दर्दनिवारक लेने पडते है। जो आगे जाकर कई अन्य रोगों को जन्म देते हैं। लेकिन आयुर्वेद में इन रोगों का बिना किसी ड्रग्स और एन्टीबायोटिक के उपचार उपलब्ध है। जिसमें पाइल्स और फिशर में रोगी को दो हफ्ते में स्वस्थ किया जा सकता है। जबकि भगंदर में रोगी की स्थिति के अनुसार समय लगता है। इतना ही नहीं पिस्टूला को ठीक करने के लिए दुनिया में इसके अलावा कोई अन्य उपचार नहीं है।
ऐसे होता है उपचार
इस पद्धति में मल मार्ग में उभरे अतिरिक्त उतक, मस्से या फोडे हो जाते हैं। जिन लोगों को कब्ज रहती है या समय पर शौच नहीं जाते उन्हें इन रागों का खतरा रहता है और मल त्याग करते समय दर्द झेलना पडता है। ऐसे समय रक्तस्राव से रोगी कमजोर होता जाता है। क्षार सूत्र विधि में त्वचा के ऐसे उभार और मस्सांे को औषधियुक्त धागे से बांधा जाता है। निर्धारित प्रक्रिया के बाद वे रोगी के शरीर से स्थाई रूप से अलग हो जाते हैं और दुबारा नहीं होते।
ये बरते सावधानी
अनियमित दिनचर्या इन रोगों का प्रमुख कारण है। इनसे बचे रहने के लिए अधिक मसालेदार और तला हुआ भोजन करने से बचना चाहिए। भोजन में सलाद, मोटे अनाज का सेवन करे। भोजन में फाईबर की मात्र अधिक होने से पाचन और विसर्जन सुगम होता है। जबकि हाई प्रोसेस्ड भोजन, फास्ट फूड कब्ज बढाता है और आंतों में उसके अंश जमे रहते हैं जिससे पाचन क्रिया मंद हो जाती है। साथ ही जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठकर मल विसर्जन करने वाले रोगी इन बीमरियों से बचे रहते हैं।
Share this news
Comments