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पंडित गिरधर शर्मा नवरत्न पुस्तकालय फिर हुआ प्रारंभ

नई पीढ़ी रूबरू हो सकेगी झालावाड़ की साहित्यिक धरोहर से

-व्यापार संघ ने उठाया जिम्मा

झालरापाटन। झालावाड़ के जानेमाने साहित्यकार पंडित गिरधर शर्मा नवरत्न के नाम से झालरापाटन में संचालित वाचनालय का उद्घाटन झालरापाटन व्यापारसंघ के तत्वावधान में संपन्न हुआ। यह वाचनालय मुख्य बाजार में नगर पालिका द््वारा गोद लिए भवन में संचालित है।

जानकारों ने बताया कि झालरापाटन के पुराने नगर पालिका भवन में पंडित गिरधर शर्मा नवरत्न के नाम से पुस्तकालय था। लेकिन देखरेख के अभाव में कई सालों से ये बंद था। नगर पालिका के गत कार्यकाल में पालिकाध्यक्ष अनिल पोरवाल की पहल पर इस भवन का नवीनीकरण करते हुए पुस्तकालय को प्रारंभ करने का प्रयास किया। जिसमें भवन में सभी सुविधाएं विकसित करने के बाद प्राचीन पुस्तकों को संरक्षित किया गया। लेकिन बाद में धन के अभाव में संचालन शुरू नहीं हो पा रहा था। गत दिनों स्थानीय व्यापार सेवा समिति इसकी देखरेख की जिम्मेदारी ली। जिसके बाद शनिवार को पुस्तकालय शुरू किया गया। 

कौन थे गिरधर शर्मा

झालरापाटन निवासी पंडित गिरधर शर्मा नवरत्न की पौत्री झालरापाटन निवासी श्रद्धा शर्मा ने बताया कि गिरधर द्विवेदी युग के प्रमुख साहित्यकार थे। उनका जन्म 6 जून 1881 में झालरापाटन में तथा निर्वाण 1 जुलाई 1961 को  हुआ। प्रथम शिक्षा कक्षा एक से 8 तक झालरापाटन में ही संपन्न हुई। इसके बाद कान्हा जी व्यास के सानिध्य में जयपुर में शिक्षा संपन्न हुई। इसके बाद परम वेदांग द्रविड़ श्री वीरेश्वरजी शास्त्री के सानिध्य में पंच काव्य और व्याकरण की शिक्षा ली। 

वे 16 वर्ष की अवस्था में काशी चले गए जहां 19 वर्ष की आयु में साहित्य की शिक्षा पूर्ण ्की। सन 1900 में काशी की विधिवत सभा द्वारा 10 से अधिक भाषाओं के ज्ञानी पंडित गिरधर शर्मा को नवरत्न की उपाधि से अलंकृत किया।

राजस्थान साहित्य अकादमी के संपादक नंद चतुर्वेदी ने अपनी पुस्तक पंडित गिरधर शर्मा नवरत्न व्यक्तित्व और कृतित्व में बताया कि पंडित जी को संस्कृत, हिंदी, गुजराती, बांग्ला, फारसी, अंग्रेजी, उर्दू को अच्छी तरह जानते थे। उन्होंने 186 हिंदी साहित्य ग्रंथों के अलावा संस्कृत भाषा में भी कई ग्रंथ लिखे हैं। साथ ही कई दूसरी भाषाओं की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद किया।

प्रमुख साहित्य रचनाएं

 पंडितजी की श्री भवानी सिंह करक रत्नम, अमर सूक्ति सुधाकर, योगी, नवरत्न निधि, प्रेम योधि, अभेद रस, न्याय वाक्य सुधा, सौरमंडलम, गिरधर सप्तमी, जापान विजयम, प्रमुख साहित्य रचनाएं हैं। इसके अलावा कई संस्कृत में भी रचनाएं लिखीं जो आज भी हिंदी साहित्य जगत में प्रासंगिक है।

पंडित जी के परिजनों ने कहा उनका साहित्य मौजूद है जिनका परिवारजन अपने खर्चे से जिल्द करवाकर पुस्तकालय में सुरक्षित कर पाठकों के लिए उपलब्ध रखा जाएगा।

 कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित

कार्यक्रम के दौरान पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष विजय मेहता, मुरली मनोहर प्रजापति, फतेह सिंह बाफना, योग गुरु नरेंद्र शर्मा एडवोकेट ने भी विचार व्यक्त किया। पूर्व विधायक निर्मल कुमार सकलेचा ने कहा कि पुस्तकालय का मकसद सभी को निशुल्क पढ़ने की सुविधा उपलब्ध करना है। साथ ही स्तरीय और स्वस्थ साहित्य का पाठक वर्ग बढ़ाना, सभी विषयों पर ज्ञान का प्रसार करना पुस्तकालय का उद्देश्य है। पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष मुकेश चेलावत ने कहा कि पुस्तकालय का उद्देश्य स्थानीय महत्व रखने वाले सभी दस्तावेजों को एकत्र करना व सुरक्षित करके भावी पीढ़ी को निःशुल्क ज्ञानार्जन कराना है।  

संचालन धर्मेंद्र सेठी ने किया और आभार जयंत पोरवाल ने ज्ञापित किया

 

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