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क्या किताब खोलकर परीक्षा देंगे विद्यार्थी

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-क्या है सीबीएसई का ओपन बुक परीक्षा प्रोजेक्ट

-गुण-दोष का आंकलन करती तथ्यात्मक रिपोर्ट 

झालावाड। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) इस साल नौवीं से बारहवीं तक ओपन बुक परीक्षा open book  exam पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर सकता हैं। इसी के साथ इसके गुण-दोष की समीक्षा का दौर शुरू हो गया है। 

झालावाड लेसिया स्कूल कें प्रधानाचार्य प्रभात कुमार सक्सेना का कहना है कि ये सुनने में भले ही अजीब लगता है। लेकिन इससे बच्चों में विषय को रटने की प्रवृृत्ति के बजाय समझने और विश्लेषण करने की क्षमता का विकास होगा। पुस्तक भले ही विद्यार्थी के सामने है लेकिन प्रश्नों के पैटर्न ऐसे होंगे कि पुस्तक से काॅपी किया उत्तर न सटीक होगा न उससे अच्छे अंक लिए जा सकेंगे। विद्यार्थी उस विषय को अपने तरीके से समझाकर ही अच्छे अंक हासिल कर सकेगा। 

ओपन बुक एग्जाम open book exam  का मतलब परीक्षा देते समय परीक्षार्थी किताब या दूसरी पाठ्य सामग्री देखकर सवालों के जवाब लिख सकता है। अधिकारियों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य यह पता करना है कि विद्यार्थी कितने वक्त में ये परीक्षा पूरी कर लेते हैं। इसका एक अन्य मकसद शिक्षा व्यवस्था से जुड़े सभी पक्षों से फीडबैक लेना भी है।

सीबीएसई ने 2014 में किया था प्रयोग

दुनिया के कई देशों में ओपन बुक एग्जाम open book  exam  होता है। भारत में 2014 में सीबीएसई ने स्कूली बच्चों के लिए ओपन टेक्स्ट बेस्ड असेसमेंट (ओबीटीए) शुरू किया था। क्लास नौ के लिए हिंदी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के अलावा क्लास 11 के लिए अर्थशास्त्र, विज्ञान और भूगोल जैसे विषयों में ओबीटीए कराए गए थे। लेकिन 2017-18 में ये प्रयोग बंद कर दिया गया क्योंकि ये विद्यार्थियों में आलोचनात्मक दृष्टि पैदा करने में सफल नहीं हो रहा था।

उत्तर प्रदेश में 1985-86 में आजमाया 

उत्तर प्रदेश बोर्ड ने कक्षा नौ के लिए 1985-86 ओपन बुक एग्जाम open book exam करवाया था लेकिन इसका फीडबैक ठीक नहीं था। बोर्ड ये परीक्षा ठीक ढंग से आयोजित कराने में नाकाम रहा और फिर इसे कभी आजमाया नहीं गया। इन अनुभवों को देखते हुए इस परीक्षा प्रणाली को लागू करने में कई चुनौतियां हैं। 

ये है चुनौतियां

विशेषज्ञों की मानें तो सबसे बड़ी चुनौती प्रश्न पत्र तैयार करने की है। फिलहाल हमारे यहां प्रश्न पत्र बनाने वालों में ये क्षमता नहीं है कि वे इसके हिसाब से सवाल तैयार कर सकें। इसके लिए लोगों को प्रशिक्षित करना होगा ताकि वो ओपन बुक एग्जाम के हिसाब से सवाल तैयार कर सके।  अगर पूरे देश में नौवीं और दसवीं के 30 लाख बच्चों के लिए परीक्षा आयोजित करते हैं तो पूरे देश में एक जैसा रेफरेंस मैटैरियल और दूसरी पाठ्य सामग्री कैसे उपलब्ध कराएंगे ये बेहद कठिन काम है।

नई शिक्षा नीति में नहीं है जिक्र

नई शिक्षा नीति में ओपन बुक एग्जाम का जिक्र नहीं है। लेकिन इसमें कहा गया है कि विद्यार्थियों में रटने की प्रवृति की जगह विषयों की अवधारणा को समझने की प्रवृति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। वरिष्ठ कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में 2020 में किए गए शोध के अनुसार जिन विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी उनका भी कहना था कि ये कम तनावपूर्ण था।

वरिष्ठ शिक्षक हेमंत शर्मा का कहना है कि ओपन बुक एग्जाम open book exam  छात्रों का तनाव घटाने में मदद कर सकता है। कोटा मंे जिस तरह कोचिंग छात्र आत्महत्याएं कर रहे हैं उसे देखते हुए सारी शिक्षा प्रणाली पर ही सवालिया निशान खडे हो रहे हैं। नई शिक्षा नीति में काफी कुछ बदलाव किए जा रहे हैं। अभी तक जो जानकारियां सामने आई है उसके अनुसार 5 वीं, 8वी और दसवी के बोर्ड समाप्त किए जा रहे हैं। कक्षाओं को नर्ससी से दूसरी, तीसरी से पांचवीं, छठी से आठवीं और उसके बाद नौवीं से बारहवीं के समूह में बांटकर उसके अनुसार ही शिक्षकों का वर्गीकरण किया जाएगा। दसवी के बाद फैकल्टी को समाप्त करते हुए विद्यार्थी को कोई तीन पसंदीदा विषय चुनने का विकल्प दिया गया है। इसके अलावा छठी कक्षा के बाद व्यावसायिक शिक्षा को साथ में जोडा गया है। अभी सरकार शिक्षाकों को इसके लिए प्रशिक्षित कर रही है। इसके लिए माॅडल स्कूलों के तौर पर पीएमश्री स्कूलों pmshree school चयन किया गया है। 

 

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Pradyumn Sharma: A Dedicated Voice in Journalism Pradyumn Sharma is a prominent journalist known for his significant contributions to the field of journalism through his work with "Styarth Kranti," a media outlet dedicated to spreading awareness about important societal issues. With a keen sense of investigative reporting and a passion for uncovering the truth, Sharma has made a name for himself as a reliable source of information.


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