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जापान में झालावाड़ की बौद्ध गुफाओं का प्रचार करेगा पर्यटन विभाग

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जापान में झालावाड़ की बौद्ध गुफाओं का प्रचार करेगा पर्यटन विभाग

-अजंता एलोरा की तरह चट्टानों को काटकर बनाई गई है colvi caves गुफाएं

-दो हजार साल पुरानी बताई जाती है

झालावाड़। पर्यटन विभाग द्वारा आगामी 26 से 29 अक्टूबर तक टोक्यो, जापान में टूरिज्म एक्सपो में भाग लिया जाएगा। पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौर के नेतृत्व में संयुक्त निदेशक मार्केटिंग सुमिता सरोच और उप निदेशक मार्केटिंग दलीप सिंह इस एक्सपो में राजस्थान के पर्यटन के साथ झालावाड़ की बौद्ध साईट का भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार एवं मार्केटिंग करेगें।

उल्लेखनीय है कि झालावाड की बौद्ध पर्यटन साईट कोलवी, विनायगा, हाथियागौड़ आदि राजस्थान में मुख्य बौद्ध पर्यटन स्थल है जो कि झालावाड़ से लगभग 90 से 100 किमी दूर हैं। चट्टानो को काटकर तत्समय बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित बौद्ध कालीन गुफाएं बौद्ध पर्यटन की अपार संभावनाये रखती है। किन्तु पर्याप्त प्रचार.प्रसार के अभाव में इनको अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान नही मिल पाई है। झालावाड़ जिले के समीप मध्य प्रदेश के धर्मराजेश्वर में भी बौद्ध गुफाएं, मंदिर, स्तूप, विहार आदि स्थित है। बौद्ध पर्यटन सर्किट के रुप में इन स्थलों की मार्केटिंग भी जापान में विभाग द्वारा की जाएगी। इस टूरिज्म एक्सपो के माध्यम से जापानी पर्यटकों को झालावाड़ के बौद्ध पर्यटक स्थलों तक लाने में मदद मिलेगी।

कहां है कौलवी  kolvi_budhist_caves

भारत के राजस्थान राज्य में झालावाड़ जिले के कोलवी गाँव है। जहां लेटराइट रॉक को काटकर इस बौद्ध स्थल का निर्माण किया गया था। यहां कई स्तूप, चैत्य निर्मित हैं जिनमें बुद्ध की आकृतियाँ हैं। एक स्थापत्य शैली 8 वीं-9 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में महयान संप्रदाय के प्रभुत्व को दर्शाती है। यहां लगभग 50 गुफाएं हैं। इन गुफाओं में ध्यान और खड़ी मुद्रा में बुद्ध की मूर्तियाँ हैं। हालांकि राजस्थान में बौद्ध धर्म की उपस्थिति दर्ज करने के लिए कोलवी के साक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण हैं। गुफाएं बाघ गुफाओं के समान हैं और भौगोलिक रूप से करीब एक क्षेत्र के साथ सांस्कृतिक समानता दिखाती हैं। 1854 में डॉ. इम्पे ने पहली बार इनका दौरा किया और रिपोर्ट की। ये गुफाएँ अपेक्षाकृत बाद के काल की हैं।

वास्तुकला

इस समूह में 50 गुफाएँ हैं जिनमें से कई गुफाएँ लगातार क्षरण के कारण अपना स्वरूप खो चुकी हैं। कुछ गुफाओं में खुले या स्तंभयुक्त बरामदे हैं। ( मूल रूप से कोलवी से 64 भिक्षु कक्षों और इसी तरह की संरचना बताई जाती है। लेकिन वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने केवल 45 संरचनाओं का पता लगाया है। कुछ विस्तृत बहुमंजिला संरचनाओं को भी संरक्षित किया गया है। स्तूपों और ध्यान कक्षों में व मंदिरों में बुद्ध की छवियां हैं। सबसे बड़ी छवि 12 फीट की उपदेश मुद्रा में खड़े बुद्ध की है

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