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सम्राट मिहिर भोज किसके : पहले गुर्जर अब राजपूत समाज करेगा शक्ति प्रदर्शन

mihirvhoj

-दोनों जातियां बता रही हैं अपना पूर्वज

-दोनों ने तोड़े कानून

झालावाड। भारत के हजारों सालों के इतिहास में हुए उथल पुथल के दौरान सैंकडों जातियां, वंश, समुदाय, मत-पंथ और परंपराओं में भारी फेरबदल हुआ। ऐसे में सम्राट मिहिरभोज  Mihirbhoj   की जाति को लेकर दो जातियां आमने सामने है। झालावाड में दोनों जातियों के बीच गत कुछ दिनों से तनाव के हालात हैं। निषेधाज्ञा के बावजूद गुर्जर समाज ने रविवार को हजारों लोगों को एकत्र कर रैली निकाली। इसके विरोध में राजपूत समाज ने कोतवाली के बाहर एकत्र होकर प्रदर्शन किया। अब आगामी 18 अक्टूबर को राजपूत समाज ने विशाल रैली का ऐलान किया है।

ताजा जानकारी यह है कि राजपूत समाज सम्राट मिहिर भोज Mihirbhoj  जयंती के उपलक्ष्य में झालावाड़ में 18 अक्टूबर को वाहन रैली और आमसभा का आयोजन करेगा। समाज की ओर से जारी विज्ञप्ति में दावा किया गया है कि कार्यक्रम में सम्राट मिहिर भोज के वंशजों की उपस्थिति रहेगी। राजपूत होस्टल में आयोजित एक बैठक में समाज के प्रमुख लोगों ने आयोजन की तैयारियों पर विस्तृत चर्चा की। रैली 18 अक्टूबर को दिन के 12 बजे शुरू होगी, जो झालावाड़ शहर के प्रमुख सड़कों से होकर गुजरेगी। समापन आमसभा के साथ होगा, जो दोपहर 4 बजे आयोजित की जाएगी।

गुर्जर समाज निकाल चुका है रैली

सम्राट मिहिर भोज Mihirbhoj  को अपना पूर्वज बताने के लोकर कुछ दिनों से राजपूत और गुर्जर जातियों में विवाद चल रहा है। शुरूआत सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट और कमेंट को लेकर हुई। जो आगे जाकर पुलिस तक पहुंचा और अशांति की आशंका को देखते हुए जिला कलक्टर ने जिले में निषेधाज्ञा लगा दी। इधर गुर्जर समाज की ओर से 29 सितंबर को रैली का आयोजन रखा गया। इसे रोकने के लिए प्रशासन ने समझाइश की और समाज के प्रमुख नेताओं ने इस पर सहमति भी दी। लेकिन निर्धारित दिन व समय पर समाज के लोग जमा हो गए और निषाधाज्ञा के बावजूद शहर की सड़कों पर निषेधाज्ञा को तोडते हुए रैली निकाली गई। इस रैली के विरोध में राजपूत समाज के संगठनों के कार्यकर्ता जमा हो गए और उन्होंने भी निषेधाज्ञा की धज्जियां उडाते हुए कोतवाली के सामने प्रदर्शन किया। फिलहाल पुलिस ने निषेधाज्ञा तोडने पर दोनों पक्षों के लोगों के खिलाफ पुलिस प्रकरण दर्ज किए हैं। अब निगाह राजपूत समाज के आगामी कार्यक्रम पर है। 

 कैसे शुरू हुआ विवाद

Mihirbhoj उत्तर प्रदेश के दादारी में मिहिर भोज को लेकर विवाद हुआ। इसके बाद राजस्थान के जोधपुर में सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे से गुर्जर हटाने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। दरअसल गुर्जर समाज, सम्राट मिहिर भोज को गुर्जरों के वंशज बताता है तो वहीं राजपूत समाज अपना। 

हालांकि जानकारों का मानना है कि छत्रिय वंश, सूर्यवंशी, चंद्रवंशी, अग्निवंशी, ऋषिवंशी, भौमवंशी और नागवंशी, समेत कुछ और वंशों में बंटा हुआ है। गुर्जर समुदाय भी सूर्यवंशी हैं. भारत में गुर्जर, जाट, पटेल, पाटिदार, मीणा, राजपूत, चौहान, प्रतिहार, सोलंकी, पाल, चंदेल, मराठा, चालुक्य, तोमर सभी का संबंध छत्रिय वंश से हैं।

कौन थे सम्राट मिहिर भोज

सम्राट मिहिर भोज कन्नौज के सम्राट थे। उन्होंने 836 ईस्वीं से 885 ईस्वीं तक यानि की 49 साल तक शासन किया था और अपने साम्राज्य को मुल्तान से पश्चिम बंगाल में गुर्जरपुर तक और कश्मीर से कर्नाटक तक फैलाया.  ये वो समय था, जब अरब के इस्लामी कट्टरपंथियों ने साम्राज्य विस्तार करना शुरू कर दिया था. और सिंधु के पार भारतवर्ष पर इन लोगों की नजर थी. 

कहां तक फैला था साम्राज्य

अपने वीरता के लिए प्रसिद्ध सम्राट मिहिर भोज के राज्य का विस्तार वर्तमान मुल्तान से लेकर बंगाल तक और कश्मीर से लेकर कर्नाटक तक कर लिया था. उनके राज्य की सीमाओं को आज के परिपेक्ष्य में देखें तो वर्तमान भारत के हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और ओडिशा तक इसका विस्तार था

भगवान महाकाल के भक्त

भगवान महाकाल के परम भक्त सम्राट मिहिर भोज के शासन काल में सोने चांदी के सिक्के चला करते थे. सम्राट को आदिवराह की उपाधि भी मिली थी. कहा जाता है कि उस समय सिर्फ कन्नौज में ही 7 किले और 10 हजार मंदिर थे. इस समय जनता सुखी थी और सम्राट के न्याय की आभारी थी.

कहां तक फैला था साम्राज्य

अपने वीरता के लिए प्रसिद्ध सम्राट मिहिर भोज के राज्य का विस्तार वर्तमान मुल्तान से लेकर बंगाल तक और कश्मीर से लेकर कर्नाटक तक कर लिया था. उनके राज्य की सीमाओं को आज के परिपेक्ष्य में देखें तो वर्तमान भारत के हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और ओडिशा तक इसका विस्तार था. 

भगवान महाकाल के भक्त

 

भगवान महाकाल के परम भक्त सम्राट मिहिर भोज के शासन काल में सोने चांदी के सिक्के चला करते थे. सम्राट को आदिवराह की उपाधि भी मिली थी. कहा जाता है कि उस समय सिर्फ कन्नौज में ही 7 किले और 10 हजार मंदिर थे. इस समय जनता सुखी थी और सम्राट के न्याय की आभारी थी.

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Pradyumn Sharma: A Dedicated Voice in Journalism Pradyumn Sharma is a prominent journalist known for his significant contributions to the field of journalism through his work with "Styarth Kranti," a media outlet dedicated to spreading awareness about important societal issues. With a keen sense of investigative reporting and a passion for uncovering the truth, Sharma has made a name for himself as a reliable source of information.


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