Card Image " पनवासा ग्राम पंचायत में खजूरी गांव में नरेगा के तहत बनी तलाई"

तीन सौ फीट का गड्ढा खोदा, खर्च किए 41 लाख, एक तलाई को दो गांवों में दिखाकर उठाए दो-दो बजट

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-नरेगा में जनता के धन की खुली लूट

-तलाई के नाम पर सूखा गड्ढा 

झालावाड। नरेगा योजना के नाम पर कर दाताओं के गाढे पसीने की कमाई को सरपंच और सचिव दोनों हाथों से लूट रहे हैं। हालत ये है कि रास्ते के किनारे तीन सौ फीट लंबे और पच्चीस तीस फीट चौडे गढ्ढे को तलाई बताकर अब 41 लाख रूपए का डाका सरकारी कोष पर डाला जा चुका है। इतना ही नहीं इसी एक गड्ढे को दो दो गांवों की सीमा में दिखाकर बजट उठा लिए। 

मामला झालरापाटन पंचायत समिति की पनवासा पंचायत का है। इस ग्राम पंचायत के खजूरी गांव में पहाडी के किनारे करीब तीन सौ फीट लंबा सूखा गड्ढा है। जिसकी चौड़ाई करीब पच्चीस-तीस फीट और गहराई अधिकतम पंद्रह फीट है। यानी अधिकत आयतन पांच हजार घन मीटर। अब इस पंचायत के सरपंच और सचिवों का खेल देखिए कि इसी गड्ढे के गहरीकरण और घाट निर्माण के नाम पर अब तक चार बार नरेगा का बजट खर्च किया जा चुका है। नरेगा के तहत यह गड्ढा 2014-15 में बनाया जा चुका था, जिस पर 10 लाख 88 हजार रूपए खर्च किए गए थे। जबकि इसी गड्ढे पर 2019-20 में खजूरी की तलाई गहरी एवं पिचिंग के नाम पर 8 लाख 9 हजार रूपए उठा लिए गए।

इसके बाद 2020-21 में इसी गड्ढे को गांव ठूंगनी में बताकर खोखरी तलाई को गहरी एवं धाट निर्माण के नाम पर 10 लाख 84 हजार उठाए। जबकि यही खोखरी तलाई 2022-23 में चलकर वापस गांव खजूरी में आ गई और यहां इसे गहरी और पिंचिंग के नाम पर 11 लाख 7 हजार रूपए का चूना सरकारी कोष को लगा दिया गया। गत आठ साल के दौरान इस गड्ढे पर करीब 41 लाख खर्च होने के बावजूद मौके पर यहां सूखे गड्ढे के सिवा कुछ नहीं है। 

खजूरी में ही रास्ते के किनारे एक और गड्ढे पर करीब 12 लाख का काम हो चुका है। राहत की बात यह है कि कम से कम इसमें पानी तो भरा है। 

टास्क से मजदूरी ढाई लाख, जेसीबी से पचास हजार

सरपंच और सचिवों ने खजूरी गांव के जिस गड्ढे को खजूरी और ठूंगनी की तलाई बताकर 41 लाख का गबन किया उसकी नरेगा टस्क के अनुसार मजदूरी का मूल्यांकर ढाई लाख जबकि जेसीबी से ऐसा गड्ढा कराने की कीमत एक लाख से ज्यादा नहीं है। यह करीब 5 हजार घनमीटर का सूख गड्ढा है। नरेगा टास्क के अनुसार इसके परिश्रमिक का आंकलन करें तो ये करीब ढाई लाख रूपए आती है। जबकि जेसीबी से इतना बडा गड्ढा कराने का खर्च महज पचास हजार से एक लाख रूपए से ज्यादा नहीं आएगा।  

-नहीं आता सचिव, पंचायत पर ताला

ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायत में कई दिनों तक नहीं आता। न ही अन्य स्टाफ नियमित आता। जिससे कई दिनों तक ग्राम पंचायत कार्यालय के ताले तक नहीं खुलते। ग्राम पंचायत सरपंच ने भी इस बात कि पुष्टि की कि सचिव सहित कर्मचारी कई दिनों तक पंचायत नहीं आते। इसके बावजूद इनको नियमित वेतन मिलता रहता है। 

-इस बारे में कोई जानकारी रिकार्ड देखकर ही दी जा सकती है लेकिन यहां सचिव आता ही नहीं। कई दिन तक सचिव पंचायत नहीं आने से लोग परेशान हैं। रिकार्ड में कर्मचारियों ने क्या लिखा है ये सचिव के आने पर ही बताया जा सकता है। 

भैरू लाल , सरपंच, ग्राम पंचायत पनवासा

-मेरे पास टाइम नहीं है रिकार्ड देखने का, आपको जो भी जानकारी चाहिए लिखकर दीजिए। अभी मैं असनावर हूं, पंचायत जाउंगा तभी जानकारी दूूंगा। वैसे भी मुझे आए साल भर नहीं हुआ। ये सारे मामले मेरे से पहले के हैं। वही इसकी जानकारी देंगे। 

विश्रुत जैन, ग्राम विकास अधिकारी

ग्राम पंचायत पनवासा

-ये मामला आपके माध्यम से जानकारी में आया है। पता करवा लेंगे। एक दो दिन में प्रकरण की जानकारी करके बताता हूं। 

हेमन्त कश्यप

 

सहायक अभियंता, पंचायत समिति झालरापाटन

 

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