rajasthan_gopalan: क्षमता पचास की, अनुदान साढे पांच सौ गोवंश का
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गौ ग्रास की बंदरबांट भाग -2
-गौशालाओं को सरकारी अनुदान का सच
झालावाड। गोवंश के अनुदान में किस कदर फर्जीवाडा किया गया है ये खुद पशुपालन विभाग animalhusbandry के दस्तावेज बोल रहे हैं। विभाग के अधिकारियों ने कुछ फर्जी गोशाला goshalaसंचालकों को दिल खोलकर सरकारी धन लुटाया है। अकलेरा ब्लॉक की तीन गोशालाएं ऐसी है जिनमें बने शेड, चारे व पानी की नांद को देखते हुए सत्तर-अस्सी से अधिक पशुओं को पालने की क्षमता नहीं है लेकिन इनको साढे पांच सौ पशुओं की रिपोर्ट भेजकर अनुदान दिलवा दिया।
अकलेरा ब्लॉक की श्रीराम गोशाला गेहूंखेडी, मुरली मनोहर गोशाला देवली और घाटोली स्थित गोवर्धन गोशाला goshala में पशुओं को रखने के टीनशेड, चारे के लिए नांद और पानी की टंकियां या खेल बनी है। लेकिन इनकी क्षमता पचास से लेकर अधिकत अस्सी गोवंश की ही है। इससे अधिक गोवंश इनमें नहीं रखा जा सकता। जबकि पशुपालन विभाग animalhusbandry के अधिकारियों की दरियादिली देखिए कि 10 जुलाई 2023 की वित्तीय स्वीकृति में घाटोली गोवर्धन गोशाला goshala को 439 गोवंश बताकर 150 दिन का 22 लाख पांच हजार अनुदान दिलवा दिया। जबकि 25 जुलाई 2023 की स्वीकृति में श्रीराम गोशाला गेहूंखेडी को 150 दिनों का 28 लाख 38 हजार रूपए अनुदान दे दिया। जबकि देवली की गोशाला goshala को 347 गोवंश बताकर 19 लाख 44 हजार रूपए अनुदान दिलवा दिया।
फर्जीवाडा हुआ या पशु क्रूरता
विभागीय animalhusbandry रिकार्ड के अनुसार इन तीनों गोशालाओं में 347 से लेकर 565 गोवंश का अधिकतम रहवास बताया गया है। इस आंकडे के अनुसार गोशाला संचालाकों के खाते में मोटी रकम भी डाली गई। लेकिन गोशाला परिसरों में स्थित शेड की क्षमता 50 से लेकर 80 पशु रखने जितनी ही है। शेड के अलावा बाहर खुले स्थान पर पेड या छायादार स्थान नहीं है। अधिकरियों की रिपोर्ट को सच मानें तो क्षमता से अधिक सौ सवा सौ गोवंश भी शेड में घुसा दिया जाए तो चार सौ से अधिक गोवंश को दिसम्बर जनवरी की तेज सर्दी और मई जून की गर्मी खुले में गुजारनी पड़ी। झालावाड की जलवायु के अनुसार दिसम्बर और जनवरी में मावठ, ओलावृष्टि और पाला पडने सहित तेज सर्दी रहती है। जबकि मई जून में खुले में लू और गर्म हवाओं सहित तापमान 45 डिग्री से उपर चला जाता है। अब अधिकारियों की रिपोर्ट को सही मानें तो ऐसे प्रतिकूल मौसम में गोवंश को खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर किया गया। गोवंश में बीमार, बूढे, नवजात या छोटे बछडे भी शामिल हैं। ये पशु क्रूरता की श्रेणी में आता है जो दंडनीय अपराध है। दूसरी ओर विभाग गोशाला goshala में उपलब्ध क्षमता के अनुसार ही अनुदान देने की पैरवी करता है तो अनुदान के लिए अधिकारियों द्वारा भेजे आंकडे फर्जी होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
-पहले पूरे राजस्थान में कोई गाइडलाइन नहीं थी। इसलिए निरीक्षकों ने अपने हिसाब से निरीक्षण किए। क्षमता तो कम ही है और पशु ज्यादा रहे हैं तो निश्चित तौर पर धूप सर्दी में खुले में ही रहे होंगे। जो हालात है उनके अनुसार पशु क्रूरता से इनकार नहीं कर सकते। लेकिन अब नई गाईड लाइन आ गई है। उसके अनुसार सभी बिन्दुओं को जांचकर रिपोर्ट भेजी जा रही है। जिससे बहुत सुधार आया है। खामियों को आगे भी सख्ती के साथ सुधार करते हुए व्यवस्था लागू करेंगे।
डॉ तुकाराम बंसोड
संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग झालावाड।
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