हवा में उड़ा दिए कलक्टर के आदेश, न नाला खुलासा किया न जमीन नापी
-नगर परिषद और राजस्व विभाग में एक ही अधिकारी
-आईडीएसएमटी की जमीन और मल्हार बाग का नाला
झालावाड़। नगर परिषद की आईडीएसएमटी कॉलोनी की एक लाख चार हजार वर्गफीट जमीन और सरकारी नाले पर करीब तीन माह से एक भूमाफिया ने कब्जा किया हुआ है। गत 28 अगस्त को जिला कलक्टर ने मौके पर जाकर नाले को तुरंत खुलासा करवाने और जमीन की पैमाइश कराने के निर्देश अपने अधिनस्थ अधिकारियों को दिए थे। इस आदेश को डेढ माह गुजर गए लेकिन न तो नाला खुलासा हुआ और न ही नगर परिषद ने अपनी जमीन अधिकार में लिया। जबकि शहर के फुटपाथों से अतिक्रमण हटाने के नाम पर धमाचौकडी मचाने में प्रशासन कोई कसर नहीं छोडी। थडी-ठेलों से रोजगार कर रहे गरीब गुरबे भले ही बेरोजगार हो गए लेकिन रसूखदारों के करोडों के कब्जों पर अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खडे करती है।
राजस्व रिकार्ड के अनुसार मल्हार बाग से निकलने वाला नाला सरकारी खाते में दर्ज है। इसके उत्तर दिशा की ओर आईडीएसएमटी कॉलोनी से लगी इसी कॉलोनी की आवासीय कनवर्ट सरकारी जमीन है। टाउन प्लानर के अनुसार इसका रकबा करीब एक लाख चार हजार वर्गफीट है। जबकि निजी खातेदारों की जमीनें नाले के दक्षिण दिशा में स्थित है। सरकारी और निजी खातों की जमीनों के बीच यही नाला स्पष्ट विभाजन रेखा है।
अब बात करें निजी खातों की तो केजीएन से गिन्दौर वाया रेलवे स्टेशन सीसी सडक निर्माण के दौरान इन खातेदारों की जमीनें राज्य सरकार द्वारा अधिगृहीत की गई थी। इनकों मुजावजा देने के लिए स्थानीय भू अवाप्ति अधिकारी ने धारा -19 की कार्रवाई कर मुजावजा वितरण के लिए राज्य सरकार को करीब एक साल से रिपोर्ट भेज रखी है। इनमें शहर के दो प्रभावशाली परिवारों के शमलाती खातेदारों की दो जमीनें है। एक संस्था के नाम सहित दो अन्य खातेदारों की जमीन शामिल है। यानी इन निजी खातेदारों की जमीनों में से ही सीसी रोड बनाया गया है। पैमाईश के लिए रेलवे ट्रेक, मल्हारबाग के चारदीवारी जैसे दर्जनों लैण्डमार्क है। फिर भी अभी तक तहसीलदार, कानूनगो और पटवरी नगर परिषद की जमीन की पैमाइश नहीं कर पाए हैं। ये कलक्टर के आदेश की खुली अवमानना नहीं तो और क्या है।
फिर वो कौन थे जो जमीन नापकर आए थे
सूत्रों का दावा है कि तीन माह पहले जब इस भूमि पर मिट्टी डाली जा रही थी उससे पूर्व राजस्व विभाग के ही कर्मचारी यहां निजी और सरकारी भूमि की पैमाईश करके आए थे। सूत्रों का दावा है कि आईडीएसएमटी की पूरी खाली जमीन कब्जाने और खाई खोदने की मौखिक सहमति चूने की लकीर डालकर राजस्व विभाग के कारिंदों ने ही दी बताई। तर्क यह दिया जा रहा है कि जिनकी जमीन सडक निर्माण में काम आ गई उन्हें जमीन के बदले जमीन दूसरी दी जाए। सूत्रों के दावे को इस बात से भी बल मिलता है कि यदि राजस्व विभाग के कर्मचारी ही सरकारी जमीन को भू माफिया को सौंपकर आ गए तो अब वापस किस मुंह से उसके खिलाफ कार्रवाई करे। जाहिर है, भू माफिया शब्द में कोई अकेला व्यक्ति शामिल नहीं होता। वो सरकारी कारिंदे भी शमिल होते हैं जो काली कमाई में काम और हैसियत के हिसाब से हिस्सेदार होते हैं।
नगर परिषद और राजस्व में एक ही अधिकारी
कर्मचारियों को वेतन देने तक में आए दिन आर्थिक संकट झेलने वाली नगर परिषद की आवासीय कनवर्ट जमीन पर कोई कब्जा कर ले और नगर परिषद चुप्पी साध ले। ये चुप्पी कब्जे को मौन स्वीकृति है या कोई मजबूरी। नगर परिषद की जमीन की सुरक्षा की जिम्मेदारी आयुक्त की है। जिसका कार्यवाहक चार्ज तहसीलदार नरेन्द्र मीणा के पास है। राजस्व विभाग के वे कारिन्दे भी आखिर उन्हीं के अधिनस्थ हैं। नरेन्द्र मीणा इस जमीन की पैमाईश करने के लिए एक संयुक्त कमेटी बनाने की बात कर रहे थे। ये संयुक्त कमेटी अभी तक तो नहीं बनी है।
नगर परिषद सभापति संजय शुक्ला की मानें तो उन्होंने आयुक्त को कई बार कहा लेकिन वे कई दिनों से सीट पर नहीं बैठ रहे। हालांकि टाउन प्लानर, अभियंता और पटवारी भी उनके अधिनस्थ कार्यरत है। और नगर परिषद को अपनी जमीन की हकबंदी करने के लिए इतना स्टाफ तो पर्याप्त है।
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लवाजमे के साथ मौके पर पहुंचे जिला कलक्टर
-आईडीएसएमटी की जमीन पर अतिक्रमण का मामला
-भू माफियाओं ने बंद किया मल्हार बाग का नाला
झालावाड़। गांवड़ी तालाब के पीछे मल्हार बाग की चारदीवारी के निकट आईडीएसएमटी कॉलोनी की जमीन पर किए जा रहे अवैध अतिक्रमण की वस्तुस्थिति देखेने के लिए जिला कलक्टर रविवार सुबह लवाजमे के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने रेलवे स्टेशन से पूरे क्षेत्र को घूमकर देखा और अधिकारियों को निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा झालावाड़ एवं झालरापाटन शहर के सभी तालाबों पर हो रहे अतिक्रमणों को हटवाकर उनके सौन्दर्य को निखारा जाएगा।
जिला कलक्टर अजय सिंह राठौड़ सुबह मौके पर पहुंचे इस दौरान नगर परिषद् के सभापति संजय शुक्ला, उप सभापति प्रदीप सिंह राजावत, उपखण्ड अधिकारी संतोष कुमार मीणा, आरएसआरडीसी, पर्यटन विभाग, नगर परिषद् आयुक्त एवं तहसीलदार नरेन्द्र मीणा सहित राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ पैदल चलते हुए जायजा लिया।
जिला कलक्टर ने मल्हाल बाग के नाले के सामने बनाई दीवार को तुरंत हटाकर नाले को खुलासा करने के आदेश दिए। साथ ही मौके पर सरकारी जमीन को चिन्हित कर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए। उन्होंने तालाब के किनारे निकल रही हाइटेंशन लाइन के नीचे अवैध कब्जा कर मकान बना रहे लोगों को तुरंत स्वयं कब्जा हटाने के निर्देश दिए तथा कब्जा नहीं हटाने पर नियमानुसार कार्यवाही करने की बात कही। उन्होंने तहसीलदार झालरापाटन नरेन्द्र मीणा को नगर परिषद् एवं पुलिस जाप्ते के साथ तुरंत कार्यवाही करते हुए पाथ-वे के दोनो तरफ तथा हाइटेंशन लाइन के नीचे के अतिक्रमण को हटवाने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने पाथ-वे के बीच में लोगों द्वारा बनाए गए अवैध रास्तों को बन्द करवाकर खाई खुदवाने के निर्देश दिए।
इस दौरान एक अन्य कॉलोनाइजर द्वारा कृषि भूमि पर भूखंड बेचने और अवैध तरीके से रास्ता बनाने का भी प्रकरण सामने आया।
जिला कलक्टर ने सम्पूर्ण पाथ-वे पर हो रही टूट-फूट की मरम्मत करवाने तथा दोनों तरफ छायादार एवं फलदार पौधे लगाने के निर्देश आरएसआरडीसी के अधिकारी को दिए।
उन्होंने पाथ-वे के एक तरफ चारदीवारी तथा तालाब की तरफ रैलिंग लगवाने के निर्देश भी संबंधित अधिकारी को दिए।
उन्होंने निरीक्षण के दौरान जिला कलक्टर ने कहा कि शहर के बीच में स्थित गांवड़ी तालाब पर बनाए गए पाथ-वे को आगामी दिनों में पूर्ण रूप से विकसित करते हुए आमजन के लिए प्रारंभ किया जाएगा। इस दौरान संजय जैन ताऊ, सियाराम अग्रवाल, संजय वर्मा, पर्यटन अधिकारी सिराज कुरैशी, चन्द्रमोहन धाभाई, संबंधित पटवारी, गिरदावर सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
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-सरकारी नाले और जमीनों को नहीं बचा पा रहे अधिकारी
झालावाड। आईडीएसएमटी कॉलोनी idsmt की खाली जमीन हडपने के लिए निजी कॉलोनाजरों ने मल्हार बाग में होकर निकल रहे बडे सरकारी नाले को न केवल पूरी तरह से बंद कर दिया। बल्कि इस नाले के पूर्व की ओर स्थित आईडीएसएमटी कालोनी idsmt की जमीन पर रास्तों के उपर खाई खुदवा दी। ताकि उस खाई को ही भविष्य में नाले के रूप में दिखाकर सरकारी जमीन को निजी बताया जा सके। यह सारा प्रकरण जिला प्रशासन की जानकारी में होने के बावजूद कार्रवाई के नाम केवल लीपापोती कर रहे हैं।
गांवडी तालाब के निकट आईडीएसएमटी idsmt की जमीन और नालों पर हुए अतिक्रमण के मामले में अधिकारी एक नाले पर पांच फीट की की नाली खुदवाकर चुप बैठ गए। लेकिन किसी अधिकारी ने मल्हार बाग के विशाल नाले को जाकर तक नहीं देखा जिसे पूरी तरह भर दिया गया है। यह नाला रिकार्ड में सरकारी नाले के तौर पर दज्र है। जो रेलवे पटरी के नीचे से होकर गिन्दौर बाईपास सीसी रोड की पुलिया में होकर मल्हार बाग में प्रवेश करता है। जो मल्हार बाग से होते हुए चारदीवारी की मोखियों से बाहर निकलता है। जिसके लिए मल्हार बाग की चारदीवारी में सात मोखे बनाए हुए हैं।
ये आईडीएसएमटी के खसरा नंबर 265 की दक्षिण की अंतिम सीमा के किनारे होकर गांवडी तालाब में जाकर मिलता है। नाले के उत्तर में आईडीएसएमटी idsmt और दक्षिण में ओर राज्य सरकार का खसरा नंबर 267 है। इन सरकारी जमीनों के दक्षिण पूर्व में ये निजी खातेदारों की जमीनें हैं। लेकिन गत दिनों भू माफियाओं ने न केवल सरकारी नाले मिट्टी और मलबे से पूरी तरह बंद कर समतल दिया है। बल्कि इसके उत्तर की ओर आईडीएसएमटी कॉलोनी idsmt के खसरा नंबर 265 की करीब 2.5-3 बीघा खाली जमीन पर भी मलबा डालकर समतल दिया।
साथ ही कॉलोनी की बसावट के निकट मल्हार बाग की दीवार से तालाब तक एक बडी खाई खुदवा दी। जिससे आईडीएसएमटी कॉलोनी idsmt से रेलवे स्टेशन और वॉकिग ट्रेक पर जाने वाले तीन आम रास्ते बंद कर दिए। इन रास्तों पर नगर परिषद की ओर से आबादी सीमा तक पक्की सडकें बनाई हुई है। जबकि इसके आगे की जमीन का लेवल नीचा ओने से 2004 में इस जमीन पर प्लानिंग नहीं की गई। यहां खाई खोदे जाने से लोगों का रेलवे स्टेशन ओर वॉकिंग ट्रेक की ओर जाने का रास्ता बंद हो गया जिससे लोग परेशान हैं।
लाखों रूपए खर्च किए सरकार ने नाले पर
मल्हार बाग से होकर गुजर रहे बरसाती नाले में रायपुर की ओर से पहाडियों का बरसाती पानी तेज बहाव से आता है। जो बाग के बीच में होकर गुजरता है। कृषि विज्ञान केन्द्र kvk यहां खेतों में शोध कार्य के लिए बोई फसल और पैड पौधों को नाले के बहाव से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए निकासी के प्रबंध पर लाखों रूपए खर्च करता है। हाल ही में सलोतिया पंचायत से नरेगा के तहत इस नाले से जल संचय और सफाई पर लाखों रूपए खर्च किए गए है। बारिश में तेज जल बहाव की स्थिति में नाले का मार्ग अवरूद्ध होता है तो न केवल मल्हार बाग में फसल और वनस्पति में पानी भरेगा बल्कि यह पानी आसपास की बस्तियों को भी जलमग्न कर सकता है। साथ पानी के वेग से मल्हार बाग की चारदीवारी भी टूट सकती है।
उच्च न्यायालय को चुनौति abdul rahman bnam rajasthan sarkar
राजस्थान उच्च न्यायालय highcourt की जोधपुर खंडपीठ ने नदी, तालाब, नाले, जोहड आदि जल भराव और बहाव क्षेत्र की भूमि पर अतिक्रमण के मामलों में स्पष्ट गाइडलाइन दी है। जिसमें राजस्थान सरकार को अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय करते हुए अतिक्रमी के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
अब्दुल रहमान बनाम राजस्थान राज्य abdul rahman bnam rajasthan sarkar प्रकरण में न्यायालय highcourt ने ऐसी भूमियों पर अतिक्रमण रोकने और हो चुके अतिक्रमण को हटाने के लिए मुख्य सचिव को ग्राम स्तर तक स्थाई तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए हैं। जिला कलक्टर के संरक्षण में सार्वजनिक भूमि संरक्षण प्रकोष्ठ (पीएलसीसी) बनाने का आदेश दिया था। जिसमें अतिक्रमण की जांच कर उसे तुरंत हटाने और अतिचारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के आदिश दिए गए हैं। ऐसी शिकायतों और सूचनाओं पर तुरंत स्पीकिंग आदेश जारी कर कार्रवाई की जाए और की गई कार्रवाई से शिकायत या सूचनाकर्ता को अवगत कराया जाए ताकि ऐसे प्रकरण जनहित याचिकाओं के माध्यम से न्यायालय तक आने की आवश्यकता समाप्त हो।
इतना ही नहीं न्यायालय ने abdul rahman bnam rajasthan sarkar जल बहाव के नदी नाले और जलभराव वाली जमीनों पर 1947 के बाद की स्थिति में पूर्ण रूप से राज्य सरकार का ही स्वामित्व माना है। इसके बाद ऐसी भूमियां पर पेटा काश्त जैसे अस्थाई पट्टों के किए गए नियमन को पूर्ण गैर कानूनी मानते हुए राज्य सरकार को निरस्त कर इस में शामिल सरकारी अधिकारी व कार्मिकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाइ्र के आदेश दिए हैं। जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से न्यायालय highcourt की मंशानुरूप समय समय पर कई परिपत्र जारी किए जा चुके हैं।
टाउन प्लानर townplaner ने पूछा था एक लाख 4 हजार फीट भूमि के बारे में
नगर परिषद की आईडीएसएमटी idsmt योजना की प्लानिंग के लिए रायपुर के खसरा नंबर 265 की 9.18 बीघा जमीन सहित झालावाड शहर की भूमि नगर परिषद को आवंटित की गई थी। जिसमें संभवतया खसरा नंबर 265 का मलहार बाग की गांवडी तालाब वाली साइड से लगा एक हिस्सा खाली छोड दिया गया था। इस हिस्से का लेवल काफी नीचे है और तालाब के भराव के निकट है। कॉलोनी की प्लानिंग के दौरान उप नगर नियोजक townplaner ने जनवरी 2006 को नगर पालिका आयुक्त को पत्र लिखा है। जिसमें पूछा है कि मानचित्र में योजना सीमा का क्षत्रफल 857587 वर्गफीट अंकित किया गया है। जबकि उपयोग में ली गई सीमा का क्षेत्रफल 753000 वर्गफीट आ रहा है। उप नगर नियोजक townplaner ने इस पत्र में पूछा है कि आवंटित और उपयोगित भूमि के क्ष्ेत्रफल में भिन्नता के बारे में स्थिति स्पष्ट करें और यदि अतिरिक्त भूमि उपलब्ध हो तो जानकारी में लाएं। लेकिन इसके जवाब में आयुक्त की ओर से भेजा गया कोई पत्र नगर परिषद के रिकार्ड में नहीं मिला।
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