चरागाह भूमि से करोडों का कोटा स्टोन चुराने की जांच में सरकारी विभाग नहीं दे रहे दस्तावेज
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-पुलिस ने राजस्व विभाग, खान विभाग एवं ग्राम पंचायत से मांगे दस्तावेज
-समयावधि गुजरने के बाद भी नहीं दे रहे विभाग
झालावाड। सरकारी चरागाहों की जमीन पर अवैध खान खोदकर करोडों रूपए के कोटा स्टोन की संगठित चोरी के मामले में पुलिस जांच में सरकारी विभाग ही पुलिस का सहयोग नहीं कर रहे हैं। न्यायालय के आदेश पर एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने राजस्व विभाग, खान एवं भू विज्ञान विभाग को दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए नोटिस भेजा था। लेकिन तीनों ही विभागों ने अभी तक पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी है।
सदर थाना पुलिस ने झालावाड निवासी खनन व्यवसायी के खिलाफ चरागाह की जमीन अवैध खान खोदकर करोडों का कोटा स्टोन चुराने का प्रकरण दर्ज किया था। इसी से जुडे एक अन्य मामले में खान एवं भू विज्ञान विभाग आरोपी पर पूर्व में 11 करोड रूपए का जुर्माना लगा चुका है। प्रकरण दर्ज हेने के बाद पुलिस ने मामले की जांच के लिए स्थानीय कनवाडा ग्राम पंचायत, तहसीलदार झालरापाटन और खान अभियंता से इस भूमि से जुडे दस्तावेजों को उपब्ध कराने के लिए नोटिस भेजा था। लेकिन पुलिस द्वारा दी गई समयावधि गुजर जाने के बाद भी तीनों विभाग इस इस भूमि से जुडे दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं। ग्राम पंचायत कनवाडा के सूत्रों का कहना है कि चरागाह भूमि के राजस्व रिकार्ड का संधारण पटवारी व तहसील कार्यालय से होता है। इसलिए ग्राम पंचायत ने पुलिस से प्राप्त पत्र के आधार पर जानकारी उपलब्ध कराने के लिए तहसीलदार को लिखा है। इधर दस्तावेज मिलने में देरी के कारण जांच लंबित होती जा रही है।
ये मांगे दस्तावेज
पुलिस ने प्रकरण की जांच से सम्बन्धित निम्न दस्तावेजों को अतिआवश्यक मानते हुए अतिशीघ्र जांच अधिकारी को उपलब्ध कराने के लिए लिखा है। जिनमें निम्न श्रेणी के दस्तावेज शामिल हैं।
‘-न्यायालय में दायर इस्तगासे के अनुसार जिन खसरा नंबर पर अतिक्रमण या अवैध खनन हुआ उनके खातेदारी दस्तावेज, जमाबंदी, गिरदावरी रिपोर्टें व नक्शे आदि।
-अवैध खनन से सम्बन्धित खसरों की वर्तमान स्टेटस रिपोर्ट। विभागों के रिकार्ड के अनुसार अतिक्रमण या अवैध खनन के दस्तावेज या वर्तमान मौका रिपोर्ट।
-अतिक्रमण हटाने या अवैध खनन रोकने के लिए विभागों द्वारा की गई कार्रवाईयों के क्रमबद्ध दस्तावेज।
-खान विभाग द्वारा आरोपी की खनन सीमा के दस्तावेज और उसके बाहर हुए खनन के खिलाफ की गई कार्रवाईयों के दस्तावेज।
यह था मामला
सदर थाना पुलिस ने एक सितंबर को झालावाड सीजेएम न्यायालय के आदेश पर प्रकरण दर्ज किया था। जिसे कोटा जिले के सुकेत निवासी फरियादी बुरहान खान पुत्र शोकत खान ने दर्ज कराया। जिसमें झालावाड पुलिस ने निवासी प्रदीप कुमार जैन पुत्र सरदार सिंह जैन व रिद्दी सिद्दी माइन्स एण्ड मिनरल्स नांदियाखेडी को अभियुक्त बनाया है। रिपोर्ट के अनुसार पटवार हल्का कनवाडा के गांव कनवाडा व नांदियाखेडी में कई खसरों की सरकारी चरागाह भूमि है। जिसका रकबा करीब 80 बीघा है। ये भूमि अभियुक्त के खनन लीज क्षेत्र से बाहर होने के बावजूद अभियुक्त द्वारा इन सरकारी चरागाह की जमीनों पर अवैध खनन किया जा रहा है। जिसमें बडी, जेसीबी मशीनों और विस्फोटक पदार्थ का प्रयोग करते हुए कोटा स्टोन के कई स्लैब का पत्थर तोडकर चुरा ले गया जिसमें करीब दो साल का समय लगा। साथ ही निकले हुए मलबे का ढेर भी वहीं सरकारी जमीनों पर लगा दिया। पुलिस ने अभियुक्त के खिलाफ चोरी की धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है।
खान विभाग ने लगाया था 11 करोड का जुर्माना
खान एवं भू विज्ञान विभाग अभियुक्त के खिलाफ पूर्व में जांच कर अवैध खनन की पुष्टि कर चुका है। जिसके बाद अभियुक्त के खिलाफ करीब 11 करोड का जुर्माना लगा चुका है। लेकिन समय अवधि निकल जाने के बबावजूद आज तक यह रकम खान विभाग नहीं वसूल पाया है।
-अवैध खनन प्रकरण की जांच के लिए खान विभाग, राजस्व विभाग व ग्राम पंचायत से जिन खसरों पर अवैध खनन हुआ उनसे सम्बन्धित दस्तावेजों की मांग की गई है। अभी दस्तावेज नहीं मिले हैं। जिसके कारण प्रकरण की जांच में देरी हो रही है।
श्याम सुंदर, जांच अधिकारी
सदर थाना
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-सरकारी जमीनों को नाप तक नहीं पाया राजस्व विभाग
-न्यायालय के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज
झालावाड। अतिक्रमण के नाम पर गरीब गुरबों के थडी ठेले उठाने वाला प्रशासन सैंकडों बीघा जमीनों पर कब्जा कर अवैध खानें चला रहे भू माफियाओं के आगे डोरमेट की तरह बिछा हुआ है। झालरापाटन तहसील के कनवाडा पटवार हल्के में चरागाह की जमीनों पर कोटा स्टोन की खदानें चलने की शिकायतें आती रही लेकिन तत्कालीन कलक्टर नजर अंदाज करते रहे। खान विभाग Department _of_Mines_&_Geology ने भले ही लीज क्षेत्र से बाहर खनन की जांच की और जुर्माना लगाया। लेकिन राजस्व विभाग landrevenue.rajasthan दाषियों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर अपनी जमीन को चिन्हित तक नहीं कर पाया।
झालरापाटन सदर थाना पुलिस ने न्यायालय के आदेश पर हाल ही में कनवाडा पटवार हलके के गांव नांदियाखेडी की चरागाह की जमीन पर कोटा स्टोन की अवैध खान खोदकर कई थर कोटा स्टोन चुराने का प्रकरण दर्ज किया है। यह कोई ऐसी चोरी नहीं कि रात को कोई चोर अंधेरे में आए और चोरी कर ले जाए। ये लगातार करीब दो साल तक दिन दहाडे चलने वाली चलने वाली प्रक्रिया है। जिसमें पचासों मजदूर, ड्राइवर, टेक्नीशियन, मुंशी, एकाउंटेंट और चोरी का माल खरीदने वाले व्यापारी शामिल रहे होंगे। इससे भी ज्यादा उस क्षेत्र का पटवारी, कानूनगो, तहसीलदार, एसडीएम और कलक्टर जिनके उपर इस सरकारी भूमि और खनन संपदा के संरक्षण का जिम्मा है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कलक्टर तक शिकायतें की, समाचार पत्रों में खबरें भी छपी। राज्य सरकार के ही एक विभाग खान एवं भू संरक्षण विभाग Department _of_Mines_&_Geology ने अपने दायरे में प्रकरण की जांच की। शिकायतों के अनुसार तो अवैध खनन का रकबा करीब बीस हैक्टेयर बताया गया है। लेकिन खान विभाग ने अपनी जांच मे बताए गए खसरों में से कुछ पर अवैध खनन होने की पुष्टि की। निर्धारित लीज क्षेत्र से बाहर जाकर जितने क्षेत्र पर अवैध खनन मिला उस पर निर्धारित रॉयल्टी का सौ गुना जुर्माना लगाया। जो करीब 11 करोड रूपए है। इसी प्रकरण में एक और शिकायत में पत्थर चुराने के बाद खाली हुइ खदान को वापस भरते हुए विभाग ने पकडा। जिसकी रिपोर्ट विभाग के पास मौजूद है। ये सारी कार्रवाई केवल खान विभाग ने की है जिसका काम केवल खनन से सम्बन्धित है।
ल्ेकिन उस विभाग landrevenue.rajasthan की जिम्मेदारी कौन तय करेगी जिसके कारिंदे सरकारी जमीनों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार से वेतन लेते हैं। बार बार शिकायतों के दबाव पर तत्कालीन तहसीलदार ने गत वर्ष चार पटवारियों की टीम को पैमाईश करने भी भेजा। ये टीम दो बार क्षेत्र का दौरा करने पहुंची लेकिन बिना कहीं फीता लगाए लौट आई। एक बार तो दोपहर बाद शाम को कई और अंधेरा होने का बहाना कर वापस लौट आई। दूसरी विजिट के बाद तैयार रिपोर्ट में लिखा कि पूरे क्षेत्र में केवल खदानें और मलबे के ढेर हैं। कहीं कहीं कच्चे रास्ते। नक्शे और रिकार्ड के अनुसार कोई लैण्डमार्क नहीं बचा है जिसे बिन्दू मानकर पैमाईश की जाए। खनन करने वालों ने सारे लैण्डमार्क नष्ट कर दिए हैं। इस टीम ने यह भी सुझाव दिया कि इस भूमि की पैमाईश जीपीएस और ड्रोन के जरिए कराई जाए। ये रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को तो दे दी लेकिन उच्चाधिकारी इसे दबाकर बैठ गए। या सवा साल बाद भी इन उच्चाधिकारियों को ड्रोन या जीपीएस सर्वे का एक्सपर्ट नहीं मिला। जबकि विभाग के पास landrevenue.rajasthan इस कार्य के लिए कुशल तकनीशियन मौजूद है। फिर आखिर क्या कारण है कि राजस्व विभाग इस क्षेत्र का ड्रोन या जीपीएस सर्वे करवाने में कतरा रहा है। जाहिर है कि सरकारी खजाने से इतनी बडी सुनियोजित चोरी केवल चोरों के बस की बात नहीं। यदि प्याज के छिलके उतरने शुरू हो गए तो एक छिलका राजस्व विभाग का भी उतरना तय है।
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