डिग्रियां बेचने का अड्डा बन गए नर्सिंग कॉलेज, एम पी जैसे हाल राजस्थान में
Nursing college
-मध्यप्रदेश नर्सिंग कॉलेज रिश्वतखोरी रैकेट में झालावाड़ के पिपलिया निवासी रिश्वतखोर बिचौलिया अशोक नागर के पार्टनरों में कई बड़े नाम शामिल
-राजस्थान में जांच हुई तो दर्जनों पर लगेंगे ताले
सीमावर्ती भैसोदामण्डी(एमपी) में 11 वर्षों चल रहे नर्सिंग कॉलेज का खुलासा, राजस्थान में भी यही हाल
झालावाड। मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की सीबीआई जांच में जिस स्तर का फर्जीवाड़ा सामने आया है कमोबेश राजस्थान में भी हालात ऐसे ही है। सुविधाओं और फैकल्टी के नाम पर कुछ नहीं बस डिग्रियां बेचने के साधन बन गए हैं जिनमें कई नेता और रसूखदार लोग शामिल हैं।
मध्यप्रदेश में सामने आए 23 आरोपियो में झालावाड़ जिले के पिपलिया निवासी बिचौलिया अशोक नागर का भी नाम शामिल है।
मामला सामने आने के बाद पिपलिया निवासी नर्सिंग कॉलेज संचालक अशोक नागर फोन बंद कर फरार हो गया। वर्तमान में सीमावर्तीय भेसोदामंडी में पिछ्ले 11 सालों से श्री साई नाथ नर्सिंग कॉलेज चलाता है। जिसने हाल ही में साईं नाथ मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल भी शुरू किया है। जिसका उद्घाटन भवानीमंडी नगर पालिका चेयरमैन कैलाश बोहरा ने किया था। नर्सिंग कॉलजे सूत्रों ने बताया कि कॉलेज में पूर्व पालिकाध्यक्ष सहित अन्य नामचीन लोग शेयर पार्टनर है। अशोक नागर इससे पूर्व भी नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े मामले में एक बार जेल काट चुका है, यह उसका दूसरा मामला है।
यह है पूरा मामला
मध्यप्रदेश में संचालित नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए सीबीआई द्वारा इंस्पेक्टर राहुल राज को 60 कॉलेजों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस दौरान नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण के एवज में इंस्पेक्टर द्वारा अलग-अलग जिलों में बिचौलियों की टीम तैयार करवाता एवं निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति कर 2 से 10 लाख रूपए वसूलता था, जिनमें भोपाल
डीएसपी व 3 इंस्पेक्टर सहित 20 से अधिक बिचौलियों का वसूली गिरोह शामिल था, जो कॉलेज में सुविधाओं की कमी सीबीआई इंस्पेक्टर तक पहुंचाते थे। जिसके बाद जांच में खानापूर्ति कर संबंधित कॉलेज को क्लीन चिट दे दी जाती थी।
बांट रहे हैं फर्जी डिग्रियां
मध्यप्रदेश ही नहीं राजस्थान के भी नर्सिंग कॉलेज बच्चों से लाखों रूपए वसूल कर फर्जी डिग्रियां बांट रहे है। कई कॉलेजों के पास भवन और उनके दस्तावेज नियमानुसार फिट नहीं है। वहीं फैकल्टी के नाम पर उनकी डिग्रियां ेिकराए पर ले रहे हैं जबकि शिक्षक वास्तव में दूसरी जगह काम कर रहे हैं। उनके दस्तावेज के एवज में पांच-छह हजार रूपए किराया दिया जा रहा है। ये शिक्षक निरीक्षण के समय ही उपस्थित रहते हैं बाकी समय अन्य स्थान पर जाकर दूसरे काम करते हैं। वहीं विद्यार्थियों को उपस्थिति में छूट के नाम पर अलग से पैसा वसूला जाता है। बाहर के विद्यार्थी पैसा दे दे तो उसकी फर्जी हाजरी लगा दी जाती है और कक्षाओं में नियमित आने की छूट दे दी जाती है। वहीं कई कॉलेजों के पास अपने अस्पताल नहीं है।
मध्यप्रदेश में 65 आयोग्य
मध्यप्रदेश में सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने राज्य के 65 नर्सिंग कॉलेजों को अयोग्य ठहराते हुए उन पर बैन लगा दिया है। हालांकि हाईकोर्ट ने 308 नर्सिंग कॉलेजों में से 169 नर्सिंग कॉलेजों को क्लीन चिट भी दिया है। इन नर्सिंग कॉलेजों के आगे संचालन और उनके छात्रों की परीक्षा के द्वार खोल दिए हैं। इसके अलावा राज्य की सबसे बड़ी अदालत ने 74 नर्सिंग कॉलेजों में सीबीआई की रिपोर्ट में कमियां पाई गईं थी, उनके लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि जो 65 कॉलेज सीबीआई जांच में अपात्र पाए गए हैं, इनमें दाखिला ले चुके छात्रों और उन संस्थाओं के साथ कोई भी नरमी नहीं बरती जानी चाहिए। कोर्ट इन नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दिलाने में मदद करने वाले अफसरों के खिलाफ भी सख्त रुख इख्तियार कर लिया है।
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