लाइलाज हुआ झालावाड रोडवेज डिपो का घाटा, निगम ने फिर हटाई 18 बसें
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-पहले 20 अब 18 बसें दूसरे डिपो को भेजी
-राजस्व चोरी के माफिया तंत्र से नहीं जीत पाया निगम प्रबंधन
-लगातार हो रहा है बेडा खाली, आधी से कम रह गई बसें
झालावाड। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के झालावाड आगार में लगातार हो रहा घाटा निगम प्रबंधन के लिए लाइलाज बीमारी साबित हो रहा है। सुधार के सारे प्रयास नाकाम होते देख निगम ने अब झालावाड आगार की घाटा देने वाले 18 श्येडयूल बसों सहित दूसरे जिला को सौंप दिए है।
झालावाड आगर की 18 बसों को निगम के प्रबंध निदेशक ने इसी माह दूसरे जिलों को सौंप दिया। अब इन बसों और उनके श्येड्यूल का संचालन अन्य जिलों से होगा। करीब डेढ साल पूर्व भी झालावाड की बीस बसें अन्य जिलांें को सौंपी जा चुकी है। इस तरह अब तक 38 बसों का संचालन दूसरे जिलों को दिया जा चुका है। जिसके चलते गत करीब पांच साल में बसों की संख्या घटकर आधी से भी कम रह गई है। इसका खामियाजा सीधे जिले के यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है।
इतनी बसें भेजी दूसरे जिलों को
झालावाड आगार के प्रबंधक यातायात प्रतीक मीणा ने बताया कि झालावाड डिपों की 5 बसें कोटा व 4 अजमेर भेजी है। जबकि बारां, अलवार, जोधपुर और भीलवाड डिपो को दो दो और चितौडगढ को एक बस सौपी है। अब बसांे का संचालन और राजस्व की जिम्मेदारी उन्हीं डिपों की होगी। करीब डेढ वर्ष पूव भी बीस बसों को उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाडा, जयपुर और बारां डिपो को दिया जा चुका है।
गिरोह के कब्जे में डिपो का राजस्व तंत्र
झालावाड डिपो का पूरा राजस्व तंत्र स्टेपनी गिरोह के कब्जे में है। इसमें डिपो के कर्मचारी, कंडक्टर सहित दर्जनों बाहरी लोग शामिल है। ये गिरोह निगम के कंडक्टरों के बजाय स्टेपनी के माध्यम से बसों का संचालन कराता है। इसके लिए साम, दाम दंड, भेद की हर नीति अपनाई जाती है। इसके लिए कंडक्टरों और अन्य कर्मचारियों को प्रलोभन देना, डराना-धमकाना और मारपीट तक करने से पीछ नहीं रहते। इनके अनुसार काम नहीं करने पर पूरा गिरोह कर्मचारी के पीछे पड जाता है और मजबूरन उसे इनके आगे समर्पण करना पडता है। बसों में अवैध तरीके से चलने वाले गिरोह के लोग अस्सी प्रतिशत तक राजस्व की चोरी करते है। जिसके चलते कई बसों के श्येड्यूल तो डीजल का पैसा भी नहीं निकाल पा रहे थे।
फलाइंग की सूचना का मजबूत तंत्र
डिपो के निरीक्षण दल सहित बाहर से आने वाली निरीक्षण टीमों की सूचना देने के लिए हर स्टैण्ड पर इनके पास मुखबिर मौजूद है। जो एक बस की जांच होते ही निरीक्षण दल की लोकेशन और अन्य जानकारी पूरे गिरोह को कर देता है। जिससे बसों में चल रहे अन्य स्टेपनी कंडक्टर सतर्क हो जाते है। यदि कोई बस बिना टिकट पकड भी ली जाए तो दलालों के माध्यम से ले देकर अधिकांश रिमार्क लगाने से रोक लिए जाते हैं। इतना ही नहीं निरीक्षण दल के साथ मारपीट करने में भी ये लोग नहीं हिचकते। करीब दो वर्ष पूर्व तीनधार चौराहे पर यातायात निरीक्षक विनोद कुमार और इससे पूर्व प्रवीण कुमार के साथ लाठी सरियों से मारपीट की जा चुकी है।
जांच के लिए एसपी को लिख चुका है निगम
निगम में चल रही चौथ वसूली व स्टेपनी गिरोह की जांच के लिए प्रबंध निदेशक जयपुर की ओर से झालावाड पुलिस अशीक्षक को शिकायत भेजी जा चुकी है। लेकिन गिरोह के खिलाफ स्थानीय प्रबंधन की ओर से पुलिस को कोई तथ्य और सबूत उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण जांच आगे नहीं बढ़ सकी।
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