क्वैड समिट पर दुनिया की निगाहे, भारत करेगा नेतृत्व
पांचवी क्वॉड समिट (QUAD Summit 2024) में पीएम मोदी शिरकत करेंगे
चीन को जवाब देने की बनेगी रणनीति
दुनिया के चार ताकतवर देशो के संघटन से बना QUAD समूह की बैठक (QUAD Summit 2024) अमेरिका में होने जा रही हे. जिस पर चीन के साथ पूरी दुनिया की निगाहे लगी हे. दक्षिण चीन सागर के साथ पूरी दुनिया में शक्ति संतुलन की पहचान बने इस समूह में भारत को इस बार हो रही समिट से बहुत प्रभाव बदना वाला हे .
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 21 से 23 सितंबर तक अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं. पीएम मोदी वहां क्वॉड समिट (QUAD Summit 2024) में शिरकत करेंगे. इस दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय मुलाकात भी होनी है. ये क्वॉड का पांचवां एडिशन है. अमेरिका के डेलावेयर में यह समिट होगी. डेलावेयर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का होमटाउन है. PM मोदी के अमेरिकी दौरे का ये सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है. अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान PM मोदी और जो बाइडेन के बीच कई समझौते भी होंगे. वहीं, कैंसर से निपटने के लिए अहम पहल की शुरुआत भी हो सकती है. -
क्या है क्वॉड?
क्वाड शब्द QUADRILATERAL यानी चतुर्कोणीय शब्द का छोटा नाम है. जैसा कि नाम से जाहिर होता है, इसमें चार मुल्क शामिल हैं. क्वाड्रीलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. इसका गठन 2007 में हुआ था, लेकिन बीच में ऑस्ट्रेलिया के इससे बाहर आने के बाद ये प्रभाव में नहीं आ सका. इसके बाद 2017 में इसे दोबारा एक्टिव किया गया.
क्वॉड का क्या है मकसद?
इस संगठन का मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को रोकना है. क्वाड भारत को अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास और संचालन में शामिल होने का एक प्लेटफॉर्म देता है. इससे भारतीय नौसेना की कुशलता और क्षमता दोनों बढ़ती है. इसके साथ ही नौसेनाओं का आपसी तालमेल करके समुद्री ताकत बढ़ाया जा सकता है. चूंकि, चीन लगातार QUAD का विरोध करता आ रहा है. इसलिए यह भी माना जाता है कि क्वाड चीन को जवाब देने का एक जरिया है. QUAD की वजह से भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री चुनौतियों का जवाब देने में सक्षम हो रहा है. QUAD न सिर्फ सुरक्षा, बल्कि आर्थिक से लेकर साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा राहत, जलवायु परिवर्तन, महामारी और शिक्षा जैसे अन्य वैश्विक मुद्दों पर भी फोकस करता है.
क्यों चिढ़ता है चीन
क्वॉड समिट (QUAD Summit 2024) में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय मुलाकात भी होनी है. चीन शुरू से ही QUAD का विरोध करता रहा है, क्योंकि इसे वह अपने वैश्विक उभार को रोकने वाली रणनीति के रूप में देखता है. चीनी विदेश मंत्रालय का आरोप है कि QUAD उसके हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रहा है. कई मौकों पर चीन QUAD को एशियाई NATO तक कह चुका है. चीन को डर है कि अगर भारत अन्य महाशक्तियों के साथ गठबंधन बनाता है, तो वह भविष्य में उसके लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है.
अब तक क्वॉड के कितने समिट हुए?
2017 में रिएक्टिव होने के बाद क्वॉड के अब तक 4 समिट हो चुके हैं. 12 मार्च 2021 में क्वॉड की पहली लीडर्स मीटिंग हुई थी. ये एक वर्चुअल मीटिंग थी. इसमें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिडे सुगा शामिल हुए थे. दूसरी मीटिंग 24 सितंबर 2021 को अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में हुई. इस मीटिंग में भी ये चारों लीडर शामिल हुए थे. क्वॉड की तीसरी मीटिंग 24 मई 2022 को जापान की राजधानी टोक्यो में हुई थी. इस मीटिंग में बाकी तीन लीडर के साथ जापान के नए पीएम फुमियो किशिदा ने शिरकत की थी. चौथी मीटिंग 19 मई 2023 को जापान में ही हुई थी. क्वॉड की पांचवीं मीटिंग अमेरिका में 21 से 23 सितंबर 2024 को आयोजित हो रही है. जबकि पांचवीं मीटिंग 2025 में दिल्ली में प्रस्तावित है.
भारत के लिए क्यों जरूरी है QUAD?
माना जाता है कि QUAD रणनीतिक तौर पर चीन के आर्थिक और सैन्य उभार को काउंटर करता है. इसलिए ये गठबंधन भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है. इंटरनेशनल मामलों के एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन का भारत के साथ लंबे समय से सीमा विवाद रहा है. ऐसे में अगर सीमा पर उसकी आक्रामकता ज्यादा बढ़ती है, तो इस कम्युनिस्ट देश को रोकने के लिए भारत QUAD के अन्य देशों की मदद ले सकता है. भारत क्वॉड में अपना कद बढ़ाकर चीनी की चालबाजी पर अंकुश लगा सकता है.
क्वॉड समिट 2024 का क्या है एजेंडा?
-यूक्रेन-गाजा जंग में शांति का समाधान ढूंढने की कोशिश होगी.
-‘ग्लोबल साउथ की चिंताओं को दूर करने पर चर्चा होगी.
-कैंसर से निपटने के लिए अहम पहल की शुरुआत हो सकती है.
-राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय मुलाकात होनी.
-कम से कम दो अहम समझौते होंगे
-पहला समझौता इंडो पैसेफिक इकोनॉमिक स्ट्रक्चर पर होगा.
-दूसरा समझौता इंडिया-अमेरिका ड्रग फ्रेमवर्क पर होगा.
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