खतरे के साये में भवानीमंडी शहर, बिना फायर एनओसी चल रहे संस्थान
agnikand
- 66 से ज्यादा व्यावसायिक, शैक्षणिक व चिकित्सा संस्थान को नोटिस जारी कर सील करने की चेतावनी
-नगर पालिका की करवाई
झालावाड। भवानीमंडी नगर पालिका क्षेत्र में दर्जनों व्यावसायिक भवनांें में बिना फायर एनओसी के शैक्षिक, चिकित्सा सहित अन्य व्यावसायिक कार्य संचालित हो रहे है। इन भवनों में वर्किंग ऑवर में सैंकडों बच्चे, रोगी और अन्य लोगों का जमावडा रहता है, जबकि अग्नि सुरक्षा मानकों का ध्यान नही रखे जाने के कारण ये भवन कभी भी लोगों के लिए लाक्षागृह साबित हो सकते हैं।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक भवानीमंडी शहर में 66 से अधिक भवनांे मंे बिना फायर एनओसी के कई गतिविधियां संचालित है। जबकि हकीकत में 100 से ज्यादा संस्थान बगैर एनओसी चल रहे हैं। इनमें सरकारी - निजी अस्पताल, होटल, मिष्ठान भंडार, बैंक, कोचिंग, स्कूल, लाइब्रेरी आदि शैक्षणिक संस्थान, जिम, व्यावसायिक इमारतें, शोरूम आदि शामिल हैं। नगर पालिका के फायर विभाग की कार्रवाई महज नोटिस तक ही रह गई है। विभाग ने नोटिस देने के बाद इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। ऐसे में इन संस्थानों में कभी हादसा हुआ तो जिम्मेदार कौन होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
किसी भी बड़े व्यापारिक संस्थान को शुरू करने के लिए फायर विभाग की एनओसी की जरूरत होती है। वजह यह है कि इन संस्थानों में आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम होने चाहिए, जिससे कि आकस्मिक समय में हादसा होने पर उस पर नियंत्रण किया जा सके। विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। इनमें से कई प्रतिष्ठान भीड़ वाले इलाकों में संचालित हो रहे हैं। जहां पर आग लगने का खतरा बना रहता है। इनको नगर पालिका की ओर से 66 भवन मालिकांें को दो बार नोटिस जारी कर दस्तावेज मांगे है। एनओसी नहीं लेने पर सील करने की कार्रवाई की जाएगी।
अस्पतालों में ही जान सुरक्षित नहीं
लोग अस्पताल में अपने स्वास्थ्य को ठीक करने व गम्भीर बीमारी होने पर जान बचाने के लिए जाते है, पर नगर के कई हस्पिटलो में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नही होने से अस्पताल जैसी सार्वजिनक जगह पर भी उनकी जान सुरक्षित नही है।
स्कूल, कोचिंग व लाइब्रेरी में दांव पर बच्चों की जिंदगी
आग ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो थोड़ी सी लापरवाही के कारण कहीं भी किसी भी वक्त विकराल रूप लेकर जान-माल की भारी हानि पहुंचा सकती है। बावजूद इसके फायर सेफ्टी को लेकर लापरवाही बरती जाती है। शहर के ज्यादातर स्कूलों, कॉलेजों, कोचिंग के पास फायर एनओसी नहीं है और न ही आग से बचाव को लेकर पर्याप्त व्यवस्था है। जिसके कारण आग लगने की स्थिति में जानमाल का खतरा बना रहता है।अधिकांश नियम कायदों को ठेंगा दिखाकर संचालित किए जा रहे है। नियमानुसार फायर एनओसी नहीं लेने वाले निजी व सरकारी स्कूलों को असुरक्षित घोषित किया जा सकता है। जबकि निजी स्कूलों में भवन के अनुरूप आग से बचाव के प्रबंध ही नहीं है। कई सरकारी-गैर सरकारी स्कूल की कक्षाएं दो मंजिला भवन में संचालित की जा रही है, लेकिन इनमें आग से बचाव के प्रबंध नहीं हैं। भवनों में आवागमन के लिए सीढ़ियां भी बेहद संकीर्ण बनायी गयी हैं। ऐसे में किसी खतरे की स्थिति में मुसीबतें ज्यादा होती हैं। उधर, अग्निशमन विभाग द्वारा आग रोकने के लिए जिन उपायों को अमल में लाने की सलाह दी जाती है उनका इन भवनों में पूर्णतः अभाव है। अगर कहीं उपकरण लगाये भी गये हैं तो वर्षाे से पड़े रहने के कारण यह मौके पर काम करेगा भी या नहीं यह संस्थान के संचालक को नहीं मालूम। इन्हें हर साल रिन्यूवल करने की जरूरत पड़ती है, लेकिन ऐसा शायद ही होता है। वहीं क्लास रूम व कार्यालयों के कक्ष में दो दरवाजे निश्चित रूप से बनाये जाने चाहिए। इसके बावजूद शेक्षणिक संस्थानों द्वारा आग से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।
नगर पालिका ने इनको जारी किए नोटिस, अंतरिम नोटिस की तैयारी
सरकारी व निजी अस्पताल
1. संचालक नवजीवन हॉस्पिटल
2. संचालक शीला हॉस्पिटल
3. संचालक एसके हॉस्पिटल
4. राजकीय कमरुद्दीन चिकित्सालय
5. संचालक स्टार हॉस्पिटल
6. संचालक मेट्रो हॉस्पिटल
शिक्षण संस्थान
1. संचालक आत्मनिर्भर कोचिंग क्लासेस
2. संचालक टारगेट कोचिंग क्लासेस
3. न्यू लाइफ चिल्ड्रन सीनियर सेकेंडरी स्कूल
4. श्री महावीर विद्या मंदिर, उच्च प्राथमिक विद्यालय
5. नॉबल मॉडल उच्च प्राथमिक विद्यालय
6. सरस्वती पब्लिक स्कूल
7. नंदू बाई अदर्श विद्या मंदिर
8. ब्राइट फैदर एकेडमी
9. ब्राइट फैदर पब्लिक स्कूल
10. फोकस एजुकेशन पॉइंट
व्यावसायिक संस्थान व प्रतिष्ठान
1. यश गारमेंट्स
4. धनलक्ष्मी कॉम्प्लेक्स
5. मैसर्स लक्ष्मी मेटल्स
6. राकुमार गोखरू
7. तिरुपति ट्रांसपोर्ट
8. बालाजी कॉम्पलेक्स
9. ट्रॉय - बाय शोरूम
10. रविन्द्र कौर, कमलप्रीत कौर व प्रीतम सिंह छाबड़ा
11. छाबड़ा इलेक्ट्रिनिक्स व टीवी शोरूम
12. हर्षिता इलेक्ट्रॉनिक्स
13. जायसवाल ब्रदर्स
14. माधवराव सिंधिया कॉम्प्लेक्स
15. मेसर्स बुरहानी हार्डवेयर - मशीनरी
16. पिंकेश फुटवेयर
17. बालाजी गारमेंट्स
18. मुकेश तिवारी
19. लोढा गारमेंट्स
20. बालाजी गारमेंट्स
21. सिंधी कॉम्प्लेक्स
22. मैसर्स पंजाब टायर्स
23. कुरैशी बुट हाउस
24. अजय कुमार गुप्ता
25. विवेक गर्ग अग्रवाल पत्तल भंडार
26. राजेश गर्ग अग्रवाल पत्तल भंडार( अग्रवाल स्टोर्स)
27. मनमोहन जायसवाल
28. दिलीप जैन गोटावाला
29. घनश्याम गुप्ता फलौदी कॉम्पलेक्
30. गिरवर गारमेंट्स
31. संजय पाटीदार
32. शम्भूदयाल शर्मा
33. नारायण लड्डडा34. आशीर्वाद ऑप्टिकल्स
35. एवरग्रीन एग्रो
36. वक्फ बोर्ड, जामा मस्जिद
बैंक
1. पंजाब नेशनल बैंक
2. यस बैंक
इनसे नहीं सीखा तो भुगतने होंगे परिणाम
डबवाली: 23 दिसंबर 1995 को हरियाणा के डबवाली के स्कूल में आग से स्कूली बच्चों समेत 442 लोगों की मौत हो गई थी. शवों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट भी छोटा पड़ गया था. सिरसा के डबवाली के डीएवी स्कूल में साल का जश्न मनाया जा रहा था. लेकिन इस खुशी में ऐसी खलल पड़ी कि खुशी का माहौल मातम में बदल गया. वार्षिक उत्सव के दौरान पंडाल के गेट पर शॉट सर्किट हुआ और चंद मिनटों में आग ने पूरे पंडाल को अपनी चपेट में ले लिया. पंडाल के पास ही खाना बनाने के लिए गैस सिलेंडर रखा था, जो आग से जल उठा. बिजली के तार ने भी आग पकड़ ली. पास रखे जनरेटर में भी डीजल होने के कारण आग और भड़क गई. पंडाल के ऊपर तिरपाल की छत बिछाई गई थी. तिरपाल की पॉलिथीन में आग लग जाने से वो पिघलती हुई लोगों पर गिरी और देखते ही देखते लाशों का ढेर बिछ गया. इस दर्दनाक हादसे में 442 लोगों की मौत हो गई. जिसमें 136 महिलाएं और 258 बच्चे शामिल थे. ये अब तक देश का सबसे बड़ा अग्निकांड माना जाता है.
मुम्बईः देश की आर्थिक राजधानी मुंबई स्थित कमला मिल्स परिसर की एक कॉमर्शियल बिल्डिंग में लगी आग ने 14 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 55 से अधिक लोग जख्मी हुए थे. नए साल के आगमन से ठीक पहले 28 दिसंबर, 2017 को हुए इस अग्निकांड ने ठडब् सहित मुंबई में चल रहे पबों में आग जैसे हादसों को लेकर बदइंतजामी सामने आ गई
कोलकाताः 2011 में कोलकाता स्थित एक अस्पताल में भीषण आग लगी थी. इस भीषण आग दुर्घटना में जलने और दम घुटने से 89 लोगों की मौत हो गई थी. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक 9 दिसंबर की सुबह करीब साढ़े तीन बजे अस्पताल के बेसमेंट से धुआं निकलता दिखाई दिया. बेसमेंट में रखे ज्वलनशीन पदार्थों की वजहों से आग और तेजी से फैल गई. बाद में आग और धुएं की वजह से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
कुभकोणमः 2004 में तमिलनाडु के कुंभकोणम के स्कूल में लगी आग में भी 94 बच्चों को जान गंवानी पड़ी थी. तमिलनाडु के थांजावुर जिले के कुंभकोणम के कृष्णा इंग्लिश मीडियम स्कूल में छत पर लगी आग ने भयानक रूप ले लिया था. ये तमिलनाडु के इतिहास में सबसे बड़ी आग दुर्घटनाओं में से एक है. इस मामले में एक रिटायर्ड जज की अगुवाई वाली जांच कमेटी ने पाया था कि स्कूल मैनेजमेंट ने छात्रों की संख्या तो बढ़ाई लेकिन इंतजाम की तरफ ध्यान नहीं दिया.
दिल्लीः 13 जून 1997 को दिल्ली में 59 लोगों की जलकर और दम घुटने मौत हो गई थी. इस घटना को उपहार अग्निकांड के नाम से भी जाना जाता है. साउथ दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा के बाहर शुक्रवार 13 जून 1997 को सनी देओल, सुनील शेट्टी और अक्षय खन्ना की फिल्म बॉर्डर का फर्स्ट डे, फर्स्ट शो देखने के लिए लंबी कतारें लगी थीं. शाम का शो था. शाम करीब 4.55 बजे सिनेमा हॉल के बेसमेंट में रखे जनरेटर में आग लग गई और धीरे-धीरे पूरे हॉल को आग ने अपने आगोश में ले लिया. इस घटना के कारण हॉल में भगदड़ मच गई और 59 लोग इस आग में ज़िंदा जल गए. वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. मरने वालों में 23 बच्चे भी थे. सिनेमा हॉल में क्षमता से अधिक लोग बैठे थे. जांच में सामने आया कि सिनेमा हॉल में सुरक्षा और आग रोकने के पुख्ता इंतज़ाम तक नहीं थे.
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