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58 लाख की एलाईजा किट खरीद में फिर क्लीन चिट

-झालावाड मेडिकल काॅलज ब्लड बैंक

-दूसरी जांच कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट

-कहा, ब्लड बैंक प्रभारी ने नहीं की किट खरीद की डिमांड

झालावाड। झालावाड मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में 15 माह तक बिना एलाइजा टेस्ट किए मरीजों को रक्त चढाने और इस अवधि में एलाईजा टेस्ट मशीन खराब हाने के बावजूद करीब 58 लाख रूपए के रीजेन्ट कंज्यूमेबल्स की खरीद के मामले में जांच पूरी कर ली गई है। डॉ दीपक गुप्ता की अध्यक्षता में बनी जांच टीम ने ब्लड बैंक प्रभारी को सभी आरोपों से क्लीन चिट दे दी है।

मात्र एक पन्ने की जांच रिपोर्ट के बिन्दु संख्या 6 के अनुसार जांच टीम ने लिखा है कि ब्लड बैंक की एलाईजा टेस्ट मशीन खराब होने के दौरान ब्लड बैंक प्रभारी की ओर से एलाइजा टेस्ट के किट की खरीदने के लिए कोई डिमांड नहीं की गई। जबकि मुख्य लेखाधिकारी साधू लाल मीणा और अस्पताल अधीक्षक संजय पोरवाल के बीच 19 अस्त 2023 को हुए पत्र व्यव्हार में स्पष्ट उल्लेख है कि इस बीच 57 लाख 99 हजार 491 रूपए के रीजेन्ट कंज्यूमेबल की खरीद की गई। अस्पताल अधीक्षक की ओर से दिए जवाब में बिल और क्रयादेश की प्रतियां भी उपलब्ध कराए गए हैं। लेकिन जांच टीम में शामिल डॉ दीपक गुप्ता, डॉ चेतना जैन और डॉ अजय भार्गव की टीम ने रिपोर्ट में लिखा है कि ब्लड बैंक प्रभारी की ओर से किट खरीद के लिए कोई डिमांड नहीं की गई। लेकिन रिपोर्ट में इसका कोई जवाब नहीं है कि बिना ब्लड बैंक प्रभारी की डिमांड के ये किट खरीदे कैसे गए और लेखा शाखा की ओर से भुगतान कैसे किया गया।

जांच टीम ने लिखा है कि एलाईजा टेस्ट मशीन खराब होने पर ब्लड बैंक प्रभारी द्वारा समय समय पर उसे ठीक करा दिया गया। लेकिन खरीदी गई मशीन की कंपनी, गारंटी अवधि और बार बार खराब होने का कारण और मशीन की गुणवत्ता के विषय में कुछ नहीं लिखा है। जांच में लिखा गया है कि मशीन खराब रहने के दौरान 4224 रोगियों को रक्त चढाया गया। ब्लड बैंक प्रभारी ने 17 जून 2023 को प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक को नई मशीन उपलब्ध कराने के बारे में लिखा गया और इस मांग पर 21 जून को नई मशीन उपलब्ध करा दी गई। जांच टीम ने मशीन खराब रहने के दौरान रेपिड कार्ड टेस्ट से रक्त की जांच करने का दावा किया गया है।

यह था मामला

झालावाड मेडिकल काॅलेज के ब्लड बैंक में बिना एलाईजा टेस्ट किए 15 माह तक रोगियों को रक्त चढाने और इस अवधि मेें मशीन खराब होने के बावजूद करीब 58 लाख रूपए के किट खरीद किए जाने की शिकायत रेड क्राॅस सोसायटी सदस्यों ने जिला कलक्टर को की थी। जिसमें जिला कलक्टर के आदेश पर मामले की जांच शुरू हुई लेकिन जांच के दौरान की जा रही लीपापोती को देखते हुए यह शिकायत राज्यपाल सहित नेता प्रतिपक्ष व अन्य स्थानों पर की गई। इधर जिला कलक्टर के आदेश पर तीन सदस्यों ने प्रकरण की जांच में पीपापोती कर दोषियों को क्लीन चिट दे दी लेकिन रिपोर्ट जिला कलक्टर के पास आने से पहले ही मीडिया में आ गई। जिसके बाद दूसरी जांच टीम बनाई गई। जिसने जांच पूरी कर प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक को सौंप दी है।

किट खरीद की जांच खुद करूंगा

-प्रकरण की जांच पूरी की ली गई है। जिसमें सामने आया कि मशीन खराब होने के दौरान रेपिड कार्ड से टेस्ट किए गए जिससे किसी रोगी को नुकसान की बात नहीं है। लेकिन इस अवधि में मशीन खराब रहने के दौरान कंज्यूमेबल किट खरीद की जांच संदिग्ध है। इसके सारे दस्तावेज मैंने मंगाए हैं। मैं खुद इसकी जांच कर जरूरत हुई तो टीम बनाकर जांच कराएंगे।

डाॅ शिवभगवान

प्रधनाचार्य एवं नियंत्रक,  झालावाड मेडिकल काॅलेज     

 

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Pradyumn Sharma: A Dedicated Voice in Journalism Pradyumn Sharma is a prominent journalist known for his significant contributions to the field of journalism through his work with "Styarth Kranti," a media outlet dedicated to spreading awareness about important societal issues. With a keen sense of investigative reporting and a passion for uncovering the truth, Sharma has made a name for himself as a reliable source of information.


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