ब्ंगलादेश में चरमपंथियों को लेकर भारत ने अमरीका को किया सतर्क
-अमरीका का दबाव ले जा सकता है चीन के करीब और कटृटरपंथी ताकतों को मिल समर्थन
बांग्लादेश में अमरीकी नीतियों को लेकर भरत ने अमरीका को सतर्क किया है। अमरीका के अधिक दबाव की स्थिति में आगामी चुनाव चरमपंथी तकतों को बल मिलने और चीन का दखल बढने और क्षे.त्रीय स्थिरता प्रभावित होने की संभावना जता दी है।
बंगलादेश में आम चुनाव निकट है। इन आम चुनाव में बनने वाली सरकारों को लेकर अमेरिका, चीन और भारत की अपनी-अपनी रणनीतियां है। ऐसे में दक्षिण ऐशिया के गरीब देशों के प्रति चीन की विस्तारवादी नीति और भावी सरकार के प्रति भारत के साथ अमरीका को साझा हितों के प्रति सतर्क किया है।
उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2021 में अमेरिका ने बांग्लादेश के अर्धसैनिक बल रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) और इसके कई वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए थे। मई 2023 में भी बांग्लादेश की चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करने वाले लोगों पर वीज़ा प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी दी थी। अमेरिका ने कहा था कि राजनीतिक दलों, नागरिक समूहों या मीडिया की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित करने पर ये क़दम उठाये जा सकते हैं।
इन्हीं के मध्यनजर भारत ने अमेरिका को सतर्क किया है कि अधिक दबाव बनाने पर बंगलादेश आम चुनाव में चरमपंथी ताक़तें मज़बूत होंगी और क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित होगी। जबकि अमेरिका का दबाव स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के मुद्दे पर बांग्लादेश को चीन के क़रीब ले जा सकता है। भारत भी बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव चाहता है.
अमरीका का दबाव बांग्लादेश में चरमपंथी और कट्टरपंथी ताक़तों को मजबूती देगा शेख़ हसीना की सरकार ने अभी तक इन ताक़तों को नियंत्रित रखा है।
जिनपिंग ने डाले थे हसीना पर डोरे
हाल ही में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान जोहानिसबर्ग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को प्रभावित कारने का प्रयास किया था। दोनों की मुलाक़ात के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की ने बयान जारी कर जिनपिंग के हवाले से कहा है कि, चीन बाहरी ताक़तों के दख़ल के विरोध में बांग्लादेश का समर्थन करता है। साथ ही चीन और बांग्लादेश अपने-अपने हितों की रक्षा के लिए एक दूसरे का सहयोग करेंगे। जबकि इसी बयान के साथ शेख़ हसीना का वक्तव्य था कि बांग्लादेश और चीन संबंध “आपसी सम्मान और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने“ पर आधारित हैं। जो सधा हुआ और तटस्थ माना जा रहा है। ऐसी स्थिति में लगातार 2009 से लगातार चौथी बार सत्ता में काबिज हसीना का कमजोर करना उचित नहीं समझा जा सकता। जबकि भारत शेख़ हसीना को भरोसेमंद सहयोगी के रूप में देखता है।
Share this news
Comments