एक सप्ताह से दबा रखी थी जांच रिपोर्ट, अब होगा पुनर्निरीक्षण
-बिना एलाईजा टेस्ट रोगियों को रक्त देने का मामला
-जांच रिपोर्ट पर उठ रहे सवाल
झालावाड़। झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में 15 माह तक बिना एलाइजा टेस्ट किए रोगियों को रक्त देने और मशीन खराब होने के बावजूद मशीन के दौरान काम आने वाले किट खरीदे जाने के मामले की जांच रिपोर्ट एक सप्ताह बाद भी प्राचार्य ने जिला कलक्टर को नहीं भेजी। जांच पर सवाल खडे होने के बाद शुक्रवार को डीन ने इसके तथ्यों में विरोधाभास बताते हुए पुनरावलोकन का निर्णय किया है।
एसआरजी चिकितसालय के ब्लड बैंक में बिना एलाईजा टेस्ट के ही 15 माह से रक्त दिए जाने की शिकायत के बाद जिला कलक्टर ने प्रकरण की जांच के आदेश दिए थे। जिसके बाद प्राचार्य ने तीन सदस्य जांच कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने जांच पूरी कर एक सप्ताह पूर्व अधीक्षक को सौंप दी थी। लेकिन एक सप्ताह बाद भी रिपोर्ट जिला कलक्टर तक नहीं पहुंची। इसी बीच राज्यपाल के यहां से भी प्राचार्य नाम एक पत्र आया जिसमें बिना एलाईजा टेस्ट के ब्लड चढ़ाने के मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गई। इधर प्राचार्य डॉक्टर शिव भगवान शर्मा ने से पूछे जाने पर शुक्रवार को जांच कमेटी के द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट में तथ्यात्मक विरोधाभास सामने आ रहे हैं। इस कारण इसका पुनर्निरीक्षण कराया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि मशीन खराब होने के दौरान भी ब्लड बैंक प्रभारी द्वारा 58 लाख की यूजेबल किट्स की खरीद की गई। मशनीन खराब होने के दौरान जांच किट कहां गई उनका भुगतान हुआ तो वह किसके पास गया। यह तथ्य जांच में दबाया जा रहा है।
जांच पर उठा रहे सवाल
यह जांच टीम में जिला औषधि नियंत्रक और इसी ब्लड बैंक प्रभारी के अधीनस्थ सह-आचार्य डॉ रूबी नाज़ को शामिल करने को लेकर सवाल उठाए जाते रहें हैं। जानकारों के अनुसार यह ड्रग कंट्रोलर का विषय ही नहीं है। जबकि डॉ रूबी नाज ब्लड बैंक प्रभारी डॉ सुमित गुप्त जो स्वयं इस प्रकरण के जिम्मेदार हैं उनके अधिनस्थ कर्मचारी हैं। प्राचार्य को इस मामले की जांच के लिए फिजीशियन, माइक्रो बॉयलोजी के सीनियर के अलावा मशीन के एक्सपर्ट और लेखा शाखा के वरिष्ठ अधिकारी को शामिल किया जाना चाहिए था।
डोनेशन की मशीनों का क्या है राज
अस्पताल में करोडों रूपए की मशीनें राज्य सरकार के धन से खरीदी गई हैं। लेकिन एलाइजा टेस्ट की मशीनें सशर्त दान दाताओं द्वारा लगवाई जाती है। ज़ून 2023 मे भी जनाना अस्पताल में बायोकेमिस्ट्री विषय संबंधी जॉचो के लिए डोनेशन पर एक मशीन लगाई गई थी। ऑथराइजेशन या उसकी ्क्रिट की खरिददारी के संबंध में आज तक कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। गौरतलब यह है कि ज़नाना अस्पताल में बॉयोकेमिस्ट्री विभाग का कोई चिकित्सक ही नहीं है फिर भी वह मशीन लगा दी गई।
-जांच रिपोर्ट में तथ्यात्मक विरोधाभास है। इसलिए इसको रिएक्जामिन करवाया जा रहा है। राज्यपाल के यहां से भी पत्र आया है जिसमें मामले की रिपोर्ट मांगी है।
डॉ शिवभगवान शर्मा,
प्राचार्य, झालावाड मेडिकल कॉलेज
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