मल्हार बाग में बना दिया नाले पर नाला और तलाई पर तलाई, खर्च हुए 22 लाख
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-सलोतिया ग्राम पंचायत का कारनामा
झालावाड। झालावाड जिले की सलोतिया पंचायत में नरेगा के तहत आ रहा सरकारी धन दोनों हाथों से लूटा जा रहा है। ग्राम पंचायत ने कृषि विज्ञान केन्द्र के रिसर्च फार्म मल्हार बाग में पहले से बनी तलाई पर तलाई और नाले पर नाला बना दिया। 2022-23 में इन दोनों कामों पर 22 लाख से अधिक रकम खर्च भी हो गई।
झालावाड कृषि विज्ञान केन्द्र के अधीन रायपुर राजस्व ग्राम में मल्हार सिंह बाग नाम का कृषि फार्म है। ये पूर्व में उद्यान विभाग के अधीन था जो बाद में कृषि विज्ञान केन्द्र को दे दिया गया। यहां केवीके की ओर से फल और फसलों की उन्नत किस्मों पर शोध कार्य किया जाता है। इसे पूर्व से ही सरकारी अधिकारियों ने वैज्ञानिक तरीके से विकसित किया हुआ है। जिसमें बरसाती और अतिरिक्त जल निकासी के लिए दो नाले पहले से ही निर्मित है जो आगे जाकर चारदीवारी से होते हुए एक नाले के जरिए गांवडी तालाब तक जाता है। लेकिन सलोतिया ग्राम पंचायत के कर्ताधर्ताओं पहले से निर्मित इस नाले को कागजों में दुबारा बना दिया। नरेगा के कोष से इस काम पर 11 लाख 94 हजार रूपए खर्च किए गए।
इसी तरह रेलवे पटरी के नीचे से आ रहा नाला सीसी रोड की पुलिया में होकर मल्हार बाग में प्रवेश करता है। केजीएन से गिन्दौर सीसी सडक निर्माण के समय सडक पर डालने के लिए ठेकेदार ने इस पुलिया के निकट मिट्टी की खुदाई की थी। जिससे मल्हार बाग में एक तलाई जैसी संरचना का निर्माण हो गया था। इसी संरचना को नरेगा श्रमिकों के माध्यम तलाई निर्माण होना बताकर 10 लाख 11 हजार रूपए की सरकारी खजाने में सेंध लगा दी गई। ग्राम पंचायत ने इतनी मोटी रकम खर्च करने के बावजूद इस संरचना को सही आकार देने, किनारों पर पत्थर की पिचिंग करने जैसे मामूल काम तक नहीं किए। जैसी संरचना जेसीबी से खुदाई के बाद छोडी गई वैसी ही आज की हालत में देखी जा सकती है। हालांकि श्रमिकों द्वारा मिट्टी खुदाई के कुछ पिट यहां बने हुए हैं जो नरेगा श्रमिकों द्वारा काम किए जाने के संकेत हैं।
नाले की सफाई हुई, निर्माण नहीं
नरेगा श्रमिकों ने यहां पहले से बने नाले में साल दर साल मिट्टी भर जाने से कम हुई गहराई को ठीक किया है। नाले के अंदर करीब 8 से 12 इंच मिट्टी खोदकर उसे नाले के दोनों ओर पाल पर डालने का कार्य किया है। इसके लिए बनाए गए पिट भी वहां दिखाई देते हैं। यदि इस काम का टास्के के अनुसाल आंकलन किया जाए तो कुल राशि का दस फीसदी से भी कम राशि में यह कार्य हो जाएगा।
केवीके बुलाता है नरेगा श्रमिक
कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकृत सूत्रों का कहना है कि वे समय समय पर नरेगा श्रमिकों को काम के लिए बुलाते हैं। जिनकी मस्टररोल आदि का हिसाब ग्राम पंचायत ही रखती है। नर्सरी निर्माण, नाला सफाई आदि कार्य नरेगा श्रमिकों ने किए है। लेकिन वहां बनी तलाई 2020 में स्पष्ट रूप से सडक ठेकेदार ने ही खोदी थी। जिसकी मिट्टी सडक निर्माण में काम ली गई और केवीके के लिए जल संग्रहण की संरचना तैयार हो गई। जबकि नाला कई सालों पहले से ही यहां बना हुआ है।
नाले पर 14 .40 लाख और स्वीकृत
मल्हार बाग में फिर नाला निर्माण के लिए नरेगा के तहत 2024-25 के सत्र में 14 लाख 40 हजार रूपए स्वीकृत है। इस रकम का अभी खर्च होना बाकी है। दो नाले तो यहां पहले से बने हुए हैं, देखना ये है कि ग्राम पंचायत अब तीसरा नाला कहां बनवाती है।
-नरेगा श्रमिकों ने मल्हार बाग में नाले को गहरा किया किया है। नाला पहले से बना था लेकिन श्रमिक लगे है और काम हुआ है। तलाई में भी श्रमिकों ने काम मिया है। काम का मूल्यांकन कनिष्ठ अभियंता करते हैं जिसके आधार पर श्रमिकों को भुगतान किया गया।
दुष्यंत दहावा, ग्राम विकास अधिकारी
ग्राम पंचायत सलोतिया
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