तय समय में पूरे करने होंगे पुलिस और न्यायालय को अपने काम, जानिए नए कानून में क्या है प्रावधान
bhartiya nagrik suraksha sanhita
-भ्रष्टाचारियों के खिलाफ तय समय में देनी होगी अभियोजन स्वीकृति
-तीन दिन में दर्ज करनी होगी ई एफआईआर
-दो हफ्ते में पूरी करनी होगी प्रारंभिक जांच
(जैसा कि आईपीएस ऋचा तोमर ने बताया)
झालावाड़। देशभर में एक जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो गए है। देशभर में अब इंडियन पीनल कोड यानी आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता २०२३ bhartiya nagrik suraksha sanhita व क्रिमिनल प्रोसीजर कोड यानी सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 bhartiya nagrik suraksha sanhitaलागू हो गया है। आईए जानिए क्या हैं नए प्रावधान।
यह होंगे मुख्य प्रावधान
-भ्रष्टाचार में लिप्त लोकसेवकों के विरूद्व मुकदमा चलाने के लिए सरकार से अभियोजन स्वीकृति प्राप्त करने की प्रक्रिया को समयबद् किया गया है, जो भ्र्ष्टाचार के आरोपियों के विरूद् कार्यवाही में अनुचित देरी को रोकता है।
-नए आपराधिक कानून में नागरिकों के मूल अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता प्रदान की गई है। कानूनी प्रक्रियाओं के पालन और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तलाशी और जब्ती की प्रक्रिया की अनिवार्य रिकॉर्डिंग का प्रावधान है।
-जीरो एफआईआर का प्रावधान किया गया है जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवा सकता है। इस प्रक्रिया से न केवल कानूनी प्रक्रिया में तेजी आएगी अपितु पीड़ित को शीघ्र न्याय का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
- अनावश्यक गिरफ्तारी पर रोक के प्रावधान को शामिल किया गया है। जिससे छोटे अपराधों में पुलिस द्वारा नोटिस दिया जाएगा और व्यक्ति को गिरफ्तारी से छूट प्रदान की जा सकेगी।
-केवल पुलिस हिरासत की अवधि बकाया होने के आधार पर जमानत से इनकार पर रोक का प्रावधान किया गया है।
-ई-एफआईआर का प्रावधान किया गया है। जिसमें व्यक्ति विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है।
-कानूनी शब्दावली में विभिन्न लिंगों के प्रति समानता को बढ़ावा देते हुए लिंग निरपेक्ष शब्दों को जोड़ा गया है।
-मानसिक विमंदितों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण को अपनाने के लिए पागल, उन्मादी, मंदबुद्धि जैसे शब्दों के स्थान पर बौद्धिक विकलांगता शब्द को काम लिया गया है।
-आम आदमी को अपने मुकदमे की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 90 दिन होने पर परिवादी को उसके मुकदमे की स्टेटस रिपोर्ट दिए जाने का प्रावधान किया गया है। पहली बार के अपराधियों के लिए करुणा के साथ न्याय के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए बिना किसी पूर्व आपराधिक इतिहास वाले व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति पूर्ण दृष्टिकोण रखा गया है।
- नए कानून का उद्देश्य दंड देना नहीं अपितु न्याय करना है, जिसके तहत प्रतिशोध के स्थान पर पुनर्वास की भावना को केंद्र में रखा गया है। नए अपराधी कानून में युवाओं के प्रति एक ऐसे भविष्य की कल्पना की गई है जहां छोटे मोटे अपराधों के लिए दंड के स्थान पर सामुदायिक सेवा को दंड के रूप में शामिल किया गया हैं जो ऐसे व्यक्तियों को प्रायश्चित के तौर पर सामुदायिक सेवा कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर प्रदान करेगा।
-पहली बार के छोटे अपराध के विचाराधीन कैदियों के लिए जमानत के प्रावधानों को और अधिक उदार बनाया गया है। जिससे उन्हें गलतियों को सुधारने का अवसर प्राप्त हो सकेगा। छोटा अपराध करने वाले प्रथम बार के अपराधियों को जुर्म स्वीकार करने पर सजा का एक चौथाई या छठा भाग तक की ही सजा दी जाने का प्रावधान किया गया है। जिससे उन्हें अपनी गलतियों को सुधारने का तथा पुनः समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।
-भीड़ के रूप में उन्माद के द्वारा आम व्यक्तियों के द्वारा की गई गैर इरादतन हत्याओं की बढ़ती प्रवृति पर अंकुश लगाने के लिए मॉब लिचिंग पर अंकुश का प्रावधान किया गया हैं। जिसमें पांच या अधिक व्यक्तियों द्वारा एक समूह के रूप में, लिंग वंश जाति समुदाय भाषा अथवा व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर किसी व्यक्ति की हत्या किए जाने या गम्भीर चोट पहुंचाने पर ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड और आजीवन कारावास से दंडित किए जाने का प्रावधान किया गया है।
- विचाराधीन कैदियो के पुनर्वास का मार्ग प्रशस्त करने और अनावश्यक हिरासत अवधि को कम करने के लिए प्रथम बार के अपराधी को निर्धारित अधिकतम सजा की एक तिहाई सजा काटने के बाद डिफाल्ट जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा।
- किसी अपराधी को जमानत के लिए आवेदन करने की जिम्मेदारी अब उस जेल के जेल अधीक्षक को दे दी गई है, जहां आरोपी बंद है। इस प्रकार जेल अधीक्षक को जमानत संरक्षक का दायित्व दिए जाने से न्याय प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
-नवीन आपराधिक कानून को पीड़ित केन्द्रित दृष्टिकोण के साथ तैयार किया गया है, जिसमें पीड़ित को जीरो एफआईआर तथा अपने प्रकरण की 90 दिन में हुई प्रगति के बारे में जानने का अधिकार प्राप्त हुआ है।
- नए आपराधिक कानून में गवाह संरक्षण स्कीम का प्रावधान किया गया है, जिसमें गवाहों को धमकियां, डराने धमकाने और चोट पहुंचाकर गवाही देने से रोकने अथवा मुकरने दबाव बनाने के बचाने के लिए राज्य द्वारा उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
तय समय में निपटाने हांेगे पुलिस और कोर्ट को अपने काम
-इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्राप्त शिकायत को 3 दिन में दर्ज किया जाना अनिवार्य किया गया है।
-प्राथमिक जांच को 14 दिवस के भीतर संपन्न करना और एफआईआर की प्रति तत्काल उपलब्ध करवाया जाना व चिकित्सक द्वारा चोट प्रतिवेदन पुलिस को तत्काल मुहैया करवाया जाना बाध्यकारी किया गया है।
&बलात्कार संबंधी मेडिकल जांच रिपोर्ट 7 दिवस के भीतर प्रदान करने और मुकदमें के अनुसंधान की स्टेटस रिपोर्ट 90 दिन में प्रार्थी को देने की समय सीमा तय की है।
- न्यायालय द्वारा पहली सुनवाई के 60 दिवस के भीतर आरोप तय करना, मजिस्ट्रेट द्वारा सेशन न्यायालय द्वारा विचार करने योग्य मामले को 90 दिवस में सेशन न्यायालय को अंतरित करने का प्रावधान है।
- अदालत में आरोप तय होने के बाद 90 दिन में घोषित अपराधियों के विरूद्व उनकी अनुपस्थिति में एक तरफा सुनवाई शुरू हो जाएगी। न्यायालय द्वारा सुनवाई समाप्त होने के 45 दिन के भीतर निर्णय घोषित करने की समय सीमा तय की है। -न्यायालय द्वारा फैसले की तारीख के 7 दिन के भीतर जजमेंट की कॉपी अपने पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
महिलाओं एवं बच्चों के प्रति अपराध पर सख्त
-बलात्कार और यौन उत्पीड़न के पीड़ितों व महिला के विरूद्व अपराधियों को और अधिक सख्त सजा दिलवाया जाना सुनिश्चित किया है। 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के विरूद्व अपराध के लिए गंभीर सजा का प्रावधान किया गया है, जिसमें जघन्य अपराधों के लिए आजीवन कारावास और मृत्युदंड भी शामिल है।
-नए कानून में लोक सेवक के उत्तरदायित्व को महिला अपराधों के संबंध में और अधिक जिम्मेदार बनाया गया है। यदि लोक सेवक बलात्कार या महिलाओं के विरूद्व यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर अपराधों में दी गई किसी जानकारी को रिकॉर्ड करने में विफल रहता है तो उसके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही आरंभ किए जाने का प्रावधान किया गया है।
-महिलाओं के साथ ही बालकों के विरूद्ध किए जाने वाले अपराधों के प्रति कठोर दंड के प्रावधान नए कानून के तहत उपाय किए गए है। बच्चों को आपराधिक गतिविधियों में नियोजित करना या बाल श्रम और वेश्यावृति में लिप्त करना या बच्चों की तस्करी और खरीद फरोख्त करने वाले अपराधियों को कठोर सजा दिए जाने का प्रावधान है।
-विभिन्न यौन अपराधों को पीड़ित और अपराधी दोनों के संदर्भ में लिंग निरपेक्ष बनाया है। महिलाओें के साथ होने वाली चौन स्नैचिंग, बैग लिफ्ंिटग तथा मोबाइल फोन स्नैचिंग की बढ़ती घटनाओं के प्रति संवदेनशीलता को दर्शाते हुए, इसे एक अलग अपराध के रूप में चिन्हित किया जाकर, कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है। स्नैचिंग के अपराध की गंभीरता को समझते हुए किसी गिरोह द्वारा किए जाने वाले स्नैचिंग के अपराध को छोटे संगठित अपराध के रूप में रखा है।
-ऐसे बच्चे जो अनाथ, परित्यक्त, जिन्हे माता पिता ने छोड़ दिया या जो मानसिक रूप से विकलांग अथवा यौन उत्पीड़न के परिणाम स्वरूप उत्पन्न अवांछित संतान है, उनके पुनर्वास और समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए विशिष्ठ प्रावधान किए हैं। ऐसे बच्चों को बाल कल्याण समिति में भेजे जाने का प्रावधान है।
- बच्चों के साथ हुए किसी यौन अपराध में पीड़ित की पहचान का खुलासा करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। 7 वर्ष से 12 वर्ष तक उम्र के ऐसे बच्चों द्वारा किया गया कोई कार्य अपराध नहीं माना गया है, जिनको कार्य के परिणाम का अंाकलन करने की समझ नहीं है।
-नए कानून के अनुसार बच्चों के विरूद्व किए गए किसी अपराध में जुर्म स्वीकार करने पर भी अपराधी के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी। किशोर बालकों द्वारा कोई अपराध किए जाने पर उन्हें पुलिस लॉकअप में नही रखे जाने और उन्हें किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करने के प्रावधान को यथावत रखा गया है।
-नवीन आपराधिक विधि में महिलाओं के विरूद्व होने वाले अपराधों में संवेदनशीलता को दर्शाते हुए यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, तस्करी तथा एसिड अटैक का सामना करने वाली पीड़ित महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर की विशेष व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। वन स्टॉप सेंटर में ऐसी महिलाओं को रूकने का प्रावधान भी है जहां उनकी सहमति के विरूद्व गर्भपात कराया जाने का अपराध किया गया हो। महिला अपराध संबंधी मामलों में प्रकरण दर्ज करने के लिए जीरो एफआईआर तथा ई-एफआईआर का प्रावधान किया गया है।
-नए कानून में एक विवाहित महिला के लिए यौन सहमति की उम्र 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गई है।
महिला सुरक्षा
-नए कानून में महिला की गिरफ्तारी सामान्यतः सूर्यास्त के बाद और सूर्याेदय से पहले नहीं की जाएगी।
-महिला की तलाशी शालीनता का ध्यान रखते हुए केवल महिला द्वारा ही ली जाएगी।
- किसी महिला के शरीर की जांच केवल महिला डॉक्टर द्वारा ही की जाएगी।
-किसी महिला के बयान यथा संभव महिला मजिस्ट्रेट द्वारा अथवा किसी महिला की उपस्थिति में मजिस्ट्रेट द्वारा लिए जाएंगे।
-18 वर्ष से कम उम्र की महिला का यौन अपराध के संबंध में बयान लिए जाते समय आरोपी से आमना सामना नहीं करवाया जाना चाहिए।
- बलात्कार और यौन अपराध की सुनवाई बंद कमरे में की जाएगी, खुली अदालत में नहीं। यौन अपराध संबंधी सुनवाई यथासंभव महिला मजिस्ट्रेट या जज द्वारा की जाएगी।
-यौन अपराध पीड़िता को तत्काल निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। यौन अपराध के अपराधी पर जो आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा वह पीड़िता के इलाज के लिए पीड़िता को दिया जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए प्रमुख प्रावधान
-पशुओं के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण करने पर बड़े हुए जुर्माने के दंड के प्रावधान किए गए है। पशुओं को मारकर या जहर देकर या अपंग करके अनुपयोगी बनाकर क्षति पहुंचाने पर बढ़े हुए दंड का प्रावधान किया गया है।
-बाढ़, आग या विस्फोटक पदार्थ आदि द्वारा शरारत करना जिसमें कृषि उद्वेश्यों के लिए पानी की आपूर्ति या मनुष्यों के लिए भोजन या पेय या जानवरों के लिए पानी की आपूर्ति को नुकासान करने पर सजा के प्रावधानों को शामिल किया गया है।
-ग्रामीण क्षेत्र में किसी भूमि, नदी, जल, तालाब, नहर अथवा रास्ते के ऐसे विवाद जिस पर कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती है उसको कुर्क करने तथा उसका रिसीवर नियुक्त करने के लिए कार्यपालक मजिस्ट्रेट को पर्याप्त सशक्त किया गया है।
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